नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल पटनीटॉप से सटे डोडा जिले के अस्सार इलाके में बुधवार (14 अगस्त) को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के एक अधिकारी की जान चली गई.
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में घायल हुए दो लोगों में से एक अधिकारी की मौत हो गई है. हालांकि, अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. जान गंवाने वाले अधिकारी, सेना की टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे, उसी दौरान उन्हें गोली लग गई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया. दूसरा घायल व्यक्ति हिरनी गांव का एक नागरिक है.
सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ स्थल से एक एम-4 राइफल और चार बैग जब्त किए हैं. सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है, ‘ऐसा प्रतीत हो रहा है कि एक आतंकवादी को गोली लगी है, क्योंकि घटनास्थल पर खून के धब्बे पाए गए हैं.’
इससे पहले सेना की उत्तरी कमान ने एक्स पर लिखा था, ‘भारी गोलीबारी के बीच आतंकवादियों की तलाश जारी है. तलाशी दल का नेतृत्व करते हुए एक अधिकारी घायल हो गए हैं. अभियान के दौरान युद्ध में इस्तेमाल होने वाली चीजों जैसे सामान बरामद किए गए हैं.’
इसमें कहा गया है कि खुफिया जानकारी के आधार पर भारतीय सेना और पुलिस ने मंगलवार (13 अगस्त) रात पटनीटॉप के पास अकर के जंगलों में संयुक्त अभियान शुरू किया. अधिकारियों के अनुसार, आतंकवादियों का ठिकाना मिल गया है और अभियान जारी है.’
मंगलवार को उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार ने केंद्र शासित प्रदेश के चिनाब घाटी क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियानों की समीक्षा के लिए डोडा और किश्तवाड़ में आतंकवाद रोधी डेल्टा बल के अग्रिम ठिकानों का दौरा किया था.
इस बीच, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में बढ़ती आतंकी घटनाओं पर एक बैठक बुलाई है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, रक्षा सचिव, सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) और अन्य सुरक्षा-संबंधित एजेंसियों के प्रमुख मौजूद थे.
बीते 12 जून से अब तक जम्मू संभाग के डोडा जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में विभिन्न स्थानों पर आतंकवादी हमलों की आधा दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक कैप्टन सहित चार सैनिक शहीद हो गए हैं. जिले में संयुक्त अभियान के दौरान सुरक्षा बलों और पुलिस ने तीन विदेशी आतंकवादियों को भी मार गिराया है.
सुरक्षा बलों और पुलिस ने डोडा, कठुआ और उधमपुर जिलों के ऊपरी इलाकों में व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया है, ताकि उन आतंकवादियों का पता लगाया जा सके, जिनके बारे में माना जा रहा है कि वे सीमा पार से घुसपैठ कर जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने के लिए घने जंगलों तक पहुंचने में कामयाब हो गए हैं.
‘कब तक बेटों को खोते रहेंगे?’
जम्मू एवं कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शनिवार (10 अगस्त) को जान गंवाने वाले हवलदार दीपक कुमार के पिता ने केंद्र सरकार से दीपक की पत्नी और बेटे की देखभाल करने का आग्रह किया है. दीपक के पिता सुरेश राय ने सरकार से पूछा है, ‘मेरे जैसे पिता कब तक अपने बेटों को खोते रहेंगे?’
दीपक के पिता किसान हैं. उनके पास सिर्फ दो बीघा जमीन है. परिवार बिहार के सारण जिले के बनियापुर के लाववन कलां गांव का रहने वाला है.
34 वर्षीय दीपक 2008 में सेना में भर्ती हुए थे. उनके बड़े भाई देवेंद्र भी सेना में हैं. दीपक के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं. वह आखिरी बार दो महीने पहले अपने गांव आए थे. सुरेश राय ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘मैंने अपना बेटा खो दिया है. मैं अपने शहीद बेटे का पार्थिव शरीर लेने के लिए परिवार के कुछ सदस्यों के साथ सोमवार को पटना जाऊंगा.’
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर की समस्याओं के प्रति दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘सरकार को जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से निपटने के लिए कोई दीर्घकालिक योजना बनानी चाहिए. मेरे जैसे पिता कब तक अपने बेटों को खोते रहेंगे.’