नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा सेबी प्रमुख माधबी बुच और उनके पति के खिलाफ किए गए खुलासे के बाद से विपक्षी दलों की मांग है कि इस मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराई जाए.
हालांकि, इस पूरे मामले को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के दो प्रमुख सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) सावधानी से कदम बढ़ा रहे हैं.
पिछले सप्ताह अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने ‘ह्विसिलब्लोअर डॉक्यूमेंट्स’ के हवाले से बुच और उनके पति पर उन दोनों ऑफशोर फंडों में हिस्सेदारी रखने का आरोप लगाया था जिसका इस्तेमाल अडानी समूह ने पैसों की कथित हेराफेरी के लिए किया था.
इससे पहले हिंडनबर्ग रिसर्च ने साल 2023 की अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह पर कंपनी के शेयरों की कीमत में हेराफेरी का आरोप लगाया था.
जदयू का क्या कहना है?
द वायर से बात करते हुए जदयू के राजनीतिक सलाहकार और राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष ने खुद को ऐसे मामले में शामिल कर लिया है, जिसमें कॉरपोरेट क्षेत्र शामिल है. उन्होंने कहा, ‘वे (विपक्ष) कितने मुद्दों के लिए जेपीसी की मांग करेंगे?’
उल्लेखनीय है कि जदयू उन विपक्षी दलों में शामिल था, जिन्होंने मार्च 2023 में हिंडनबर्ग की पिछली रिपोर्ट सामने आने के बाद जेपीसी जांच की मांग की थी.
जदयू सांसद और अब केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह सांसदों द्वारा बनाई गई उस मानव श्रृंखला का भी हिस्सा थे, जिसमें अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच के लिए जेपीसी की मांग की गई थी.
जब जदयू की जेपीसी की पिछली मांग के बारे में पूछा गया तो त्यागी ने कहा कि वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते, क्योंकि वह संसद का हिस्सा नहीं हैं.
तेदेपा का क्या कहना है?
इस बीच संसद में भाजपा की एक अन्य प्रमुख सहयोगी तेदेपा ने भी चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि हिंडनबर्ग द्वारा अपनी रिपोर्ट में किए गए खुलासे फिलहाल ‘केवल आरोप’ हैं.
तेदेपा प्रवक्ता ज्योत्सना तिरुनगरी ने द वायर से कहा, ‘अभी यह सिर्फ आरोप है. हम पूरी जानकारी सामने आने का इंतज़ार कर रहे हैं. एनडीए के सहयोगी और सरकार के हिस्से के तौर पर हम आरोपों पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं कर सकते. हमें विवरण चाहिए होगा. इसलिए एनडीए की टीम जो भी फैसला करेगी, हम उसके अनुसार चलेंगे.’
दबाव बना रही है कांग्रेस
इस बीच कांग्रेस ने जेपीसी की मांग पर दबाव बनाना जारी रखा है. कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, ‘अडानी महाघोटाले की जेपीसी जांच हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में किए गए खुलासे से कहीं आगे है.’
रमेश ने कहा कि घोटाले की प्रमुख चीजों में बंदरगाहों, हवाई अड्डों, सीमेंट और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अडानी के एकाधिकार को सुरक्षित करने के लिए भारत की जांच एजेंसियों का दुरुपयोग, प्रमुख परियोजनाओं को ऋण प्रदान करने में सरकारी बैंकों, विशेष रूप से एसबीआई द्वारा दिखाया गया ‘असाधारण पक्षपात’ और कोयला और बिजली उपकरणों की अधिक कीमत वसूली, जिससे आम नागरिकों का बिजली बिल बढ़ गया, शामिल हैं.
उन्होंने कहा,’हिंडनबर्ग के आरोप उपरोक्त में से किसी भी बात का जिक्र नहीं है. उसके आरोप कैपिटल मार्केट से संबंधित मामलों तक ही सीमित हैं, जैसे- स्टॉक हेरफेर, एकाउंटिंग धोखाधड़ी और नियामक एजेंसियों में हितों का टकराव. हिंडनबर्ग तो सिरा भर है.’
रमेश ने कहा, ‘केवल जेपीसी ही इस मोदानी महाघोटाले की सच्चाई की जांच कर सकती है.’ इससे पहले सोमवार को भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस भारतीय अर्थव्यवस्था में अराजकता और अस्थिरता फैलाने की साजिश कर रही है.
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