नई दिल्ली: शनिवार को बिहार के खगड़िया जिले में गंगा नदी पर बन रहे एक निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा ढह गया.
खगड़िया के जिलाधिकारी अमित कुमार पांडे ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि अगुवानी-सुल्तानगंज पुल का एक स्लैब सुबह करीब 8 बजे ढह गया.
उन्होंने कहा, ‘मैं एक बात जरूर कहना चाहूंगा कि निर्माणाधीन पुल का पूरा ढांचा, जो दोषपूर्ण है, उसे ठेकेदार द्वारा ध्वस्त किया जाना था. वहां निर्माण कार्य पहले ही रोक दिया गया है. ठेकेदार पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर ढांचे को ध्वस्त कर रहा है.’
उन्होंने कहा कि इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.
मालूम हो कि गंगा नदी पर बन रहे इस पुल के ढहने की यह तीसरी घटना है. पिछले साल जून में इसी निर्माणाधीन पुल का 200 मीटर का हिस्सा ढह गया था. ठीक एक साल पहले 2022 में इसी तरह की एक और घटना इसी पुल पर घटी थी.
खगड़िया जिले के अगुवानी को भागलपुर के सुल्तानगंज से जोड़ने वाले 3.1 किलोमीटर लंबे पुल का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था और इसके 2019 में पूरा होने की उम्मीद थी. तब से समयसीमा को चार बार बढ़ाया जा चुका है.
हालांकि, नौ साल से बन रहे इस पुल के विभिन्न हिस्सों के बार-बार ढहने से निर्माण की गुणवत्ता और परियोजना पर गंभीर सवाल उठते हैं. पुल का निर्माण एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 1,710 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, निर्माण कंपनी एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने अभी तक घटना के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है.
निर्माण स्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने इस ढहने की घटना को कैमरे में कैद कर लिया और ये वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तेजी से शेयर किए गए.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के रूप में परिकल्पित इस पुल का उद्देश्य भागलपुर जिले के सुल्तानगंज को खगड़िया जिले के अगुवानी घाट से जोड़ना था, जिससे भागलपुर से खगड़िया होते हुए झारखंड तक यात्रा आसान हो सके. इससे क्षेत्र में महत्वपूर्ण लिंक विक्रमशिला पुल पर यातायात की भीड़ कम होने की भी उम्मीद थी.
विशेषज्ञों ने इन बार-बार होने वाली विफलताओं के लिए मिसअलाइनमेंट मुद्दों को संभावित कारण बताया है.
पिछले कुछ महीनों में राज्य में कई पुल ढह गए हैं, जिससे निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं. मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है.
बता दें कि 3 जुलाई को बिहार के दो जिलों में चार पुल ढह गए. तीन पुल सीवान जिले के अलग-अलग इलाकों में ढहे. वहीं, एक पुल सारण जिले में ध्वस्त हो गया था. ताज़ा मामलों को जोड़कर बिहार में 17 दिनों में 12 पुल ढह गए थे. इनमें पुराने और निर्माणाधीन, दोनों तरीके के पुल शामिल हैं.
18 जून को सबसे पहले अररिया ज़िले में सिकटी प्रखंड में बने एक निर्माणाधीन पुल गिरने की खबर सामने आई थी. यह पुल अररिया के ही दो ब्लॉक सिकटी और कुर्साकांटा को जोड़ने के लिए बन रहा था.
इसके बाद 22 जून की रात को पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन प्रखंड के अमवा में एक निर्माणाधीन पुल गिर गया था. ये पुल अमवा से चैनपुर स्टेशन जाने वाली सड़क पर बन रहा था. शाम को इस पुल के ऊपरी भाग की ढलाई हुई थी और रात होते होते ये भरभराकर गिर पड़ा था.
22 जून को ही पूर्वी चंपारण के सीवान में गंडक नहर पर बनी पुलिया ध्वस्त हो गई. महाराजगंज और दरौंदा प्रखंड को जोड़ने वाली ये पुलिया 34 साल पुरानी थी.
27 जून को किशनगंज जिले में मदिया नदी पर एक 70 मीटर लंबा पुल टूटने की खबर सामने आई थी, जबकि 28 जून को मधुबनी जिले में भुतही बलान नदी पर बना एक निर्माणाधीन पुल ढह गया था.
वहीं, 30 जून को किशनगंज जिले में एक और पुल ढहने का मामला सामने आया था, जिससे आसपास के गांवों में रहने वाले लगभग 60,000 लोगों का संपर्क प्रभावित हो गया था.