नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (16 अगस्त) को एक अहम फैसले में भारत सरकार को शौर्य चक्र विजेता दिवंगत ‘कॉमरेड’ बलविंदर सिंह भिखीविंड की पत्नी, जगदीश कौर जो खुद एक शौर्य चक्र विजेता हैं, को दो साल से अधिक समय से रोका गया भत्ता अगले 10 दिनों के भीतर देने को कहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, ये कुल रकम 2.76 लाख रुपये है, जिसे सरकार ने पंजाब के नागरिक और शौर्य चक्र पुरस्कार विजेता जगदीश कौर को देने से इनकार कर दिया था. कौर के परिवार को 1990 में खालिस्तानी आतंकवादियों के कई हमलों का सामना करना पड़ा था. कौर और उनके पति को मिलाकर उनके परिवार में चार (जेठ रणजीत सिंह और जेठानी बलराज कौर) शौर्य चक्र पुरस्कार विजेता हैं.
शौर्य पुरस्कार विजेता होने के चलते जगदीश कौर 6,000 रुपये प्रति माह भत्ते की हकदार हैं. अक्टूबर 2020 में उनके पति की मृत्यु के बाद उन्हें 6,000 रुपये और मिलने थे, लेकिन सरकार की तरफ से उन्हें 18 महीने तक मासिक भत्ता देने से मना कर दिया गया. वहीं, उनके पति की मृत्यु के बाद मई 2022 से उन्हें किसी भी तरह का भत्ता मिलना बंद हो गया था. अब इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें बड़ी राहत दी है.
मालूम हो कि जगदीश कौर ने इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी. अदालत में उनका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता अंकित सिंह सिनसिनवार, नेहा यादव, धनंजय कुमार और रवि कुमार ने किया. अपने फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह 10 दिनों के भीतर उनका बकाया पैसे का भुगतान करे.
अखबार से बात करते हुए जगदीश कौर ने बताया कि वर्ष 1990 में 30 सितंबर को वो और उनके परिवार के तीन लोग 200 आतंकवादियों के खिलाफ लड़े थे. उस समय आतंकवादियों के पास ग्रेनेड और रॉकेट लॉन्चर थे. उन्होंने कहा, ‘मेरे पति ने एक आतंकवादी को घायल कर दिया था, इसके बाद उनकी तरफ से गोलीबारी बंद हो गई… हमें लगा कि हम उस दिन मर जाएंगे इसलिए हमने बचने की पूरी कोशिश की.’
उन्होंने बताया कि उनके परिवार पर लगातार पांच घंटे तक आतंकवादियों के द्वारा गोलीबारी की गई थी. हमले से बचने के लिए उन चारों ने भी पिस्तौल और स्टेन गन से जवाबी कार्रवाई की थी,
इस घटना के तीन साल बाद 26 जनवरी, 1993 को जगदीश कौर, उनके पति (दोनों सीपीआई-एम के पूर्व सदस्य थे), बलविंदर के बड़े भाई रणजीत सिंह और उनकी पत्नी बलराज कौर को तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.
ज्ञात हो कि शौर्य चक्र राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है. इसे ‘दुश्मन का सामना करने’ के अलावा वीरता के लिए भी दिया जाता है. इसे सेना, नौसेना, वायु सेना के अधिकारियों, सशस्त्र बलों की नर्सिंग सेवाओं के सदस्यों और नागरिकों सहित अन्य को दिया जा सकता है.
हालांकि, मार्च 2020 में कौर और उनके पति को आतंकवादियों द्वारा मिल रही धमकियों की शिकायतों के बावजूद परिवार को प्रदान की गई पुलिस सुरक्षा वापस ले ली गई थी. इसके बाद अक्टूबर 2020 में आतंकवादियों ने उनके घर में घुसकर बलविंदर को गोली मार दी थी, जिनकी बाद उनकी मौत हो गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए जगदीप कौर ने बताया कि आतंकवादी 2018 से उनके पति को मारने की योजना बना रहे थे. उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में न तो पंजाब सरकार, न ही केंद्र सरकार ने उनकी कोई मदद की.
जगदीप कौर के अनुसार, उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान को 10-15 बार ईमेल किया था, लेकिन सीएम ने उन्हें मिलने का समय नहीं दिया.
गौरतलब है कि जगदीप कौर और उनके पति लॉकडाउन से पहले एक स्कूल चलाते थे, जिसमें एक हजार से अधिक छात्र पढ़ते थे. अब इस स्कूल में महज 80 छात्र बचे हैं.