छत्तीसगढ़: बस्तर के पत्रकारों की आंध्र प्रदेश में गिरफ़्तारी पर आक्रोश

बस्तर के चार पत्रकारों को ख़बर मिली थी कि कोंटा से आंध्र प्रदेश रेत तस्करी की हो रही है, जिसमें भाजपा नेता भी शामिल हैं. जब वे घटना स्थल पर पहुँचे, पुलिस ने मामला रफा-दफा करने की भरसक कोशिश की.

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बप्पी राय (सबसे ऊपर), धर्मेंद्र सिंह, मनीष सिंह और निशु त्रिवेदी. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

सुकमा: बस्तर के चार पत्रकारों की आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम ज़िले के चिंतूर थाना क्षेत्र में गिरफ्तारी के बाद छत्तीसगढ़ के पत्रकार आक्रोशित हैं.

दक्षिण बस्तर पत्रकार संघ के अध्यक्ष बप्पी राय, धर्मेंद्र सिंह, मनीष सिंह और निशु त्रिवेदी की गिरफ़्तारी दस अगस्त को हुई थी, जब उनकी गाड़ी में गांजा पाया गया था. छत्तीसगढ़ के पत्रकारों का कहना है कि सुकमा के कुछ भाजपा नेताओं ने उन पर झूठा आरोप लगाकर उन्हें फंसाया है. इन पत्रकारों ने सत्रह अगस्त को सुकमा के कोंटा क्षेत्र में धरना दिया और इन चारों की तत्काल रिहाई की मांग की.

गौरतलब है कि इस प्रकरण में कोंटा के थाना प्रभारी अजय सोनकर की तस्करों से कथित संलिप्तता सामने आई है. सोनकर पर चारों पत्रकारों की बेगुनाही का प्रमाण मिटाने का भी आरोप है. सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने सोनकर को तत्काल निलंबित कर दिया है. इस मामले में कोंटा के भाजपा ज़िला उपाध्यक्ष पी. विजय का भी नाम आया है. पी. विजय सलवा जुडूम के दौरान एसपीओ हुआ करते थे और उन पर कई केस दर्ज थे. इस वक्त वे इलाके की कद्दावर हस्ती हैं.

सुकमा के पत्रकार संघ ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें पी. विजय के खिलाफ जांच की मांग की गई है.

किस तरह जाल बिछाया गया

नौ अगस्त को बप्पी राय ने पत्रकारों के वॉट्सऐप ग्रुप में वीडियो साझा किया था जिसके अनुसार उन्हें खबर मिली थी कि दक्षिण बस्तर के कोंटा से आंध्र प्रदेश के कुछ इलाकों में रेत की तस्करी की जा रही है. वाहनों को बड़ी आसानी से बॉर्डर पार करा दिया जाता है. पत्रकारों को ख़बर मिली थी कि ये तस्कर भाजपा से जुड़े हैं.

इस ख़बर की तलाश में दंतेवाड़ा से बप्पी राय और निशु त्रिवेदी, सुकमा से धर्मेंद्र सिंह और मनीष सिंह कोंटा गए थे. कोंटा पहुंचकर इन्होंने अपने साथी पत्रकारों को बताया था कि उन्होंने तस्करी करते हुए कुछ गाड़ियों को देखा था. वे कैमरे में वाहनों की वीडियो रिकॉर्ड कर रहे थे कि तस्करों ने अजय सोनकर को मौके पर बुला लिया. अजय सोनकर पहुंचे, उन्होंने पत्रकारों के साथ गाली-गलौज की और उन्हें थाने ले जाने की धमकी दी.

किसी तरह यह मामला उस समय शांत हो गया था. चूंकि काफ़ी देर हो चुकी थी, इन चारों पत्रकारों ने कोंटा के आरएसएन होटल में कमरा लेकर और रात यहीं ठहरने का निश्चय किया. उनकी गाड़ी होटल की पार्किंग में खड़ी हुई थी. होटल के कर्मचारियों के अनुसार दो अज्ञात लोगों ने रात को उनकी गाड़ी के साथ छेड़छाड़ की, गाड़ी का लॉक और डिक्की खोलने का प्रयास किया.

गौरतलब है कि यह पूरा माजरा पार्किंग में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया.

उस रात कोंटा के निवासी इरशाद खान और पवन माडवी भी  होटल पहुंचे. ये दोनों बप्पी के पुराने परिचित थे. इन्होंने बप्पी से गाड़ी की चाभी मांगी कि उन्हें कुछ जरूरी काम है और वे जल्द लौट आएंगे. इसके बाद वे दोनों बप्पी की गाड़ी लेकर कहीं चले गए. कुछ देर बाद वे लौटे और चाभी बप्पी राय को लौटा दी. अगली सुबह बप्पी समेत अन्य पत्रकार होटल से निकले और कोंटा से सटे आंध्र प्रदेश के एक गांव की तरफ चल दिए.

बॉर्डर पार करते ही आंध्र प्रदेश पुलिस के जवानों ने उन्हें रोका और उनकी गाड़ी की डिक्की चेक की, जिसमें उन्हें 15 किलो गांजा मिला. उन्हें तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया. आंध्र प्रदेश पुलिस ने कुल 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिसमें इरशाद खान और पवन को भी आरोपी बनाया गया. ये दोनों फरार हैं.

दिलचस्प है कि आंध्र पुलिस की एफआईआर के अनुसार ग्यारह अगस्त की रात गिरफ़्तारी हुई थी, जबकि बस्तर के पत्रकारों के पास  गिरफ़्तारी की ख़बर दस तारीख को ही आ गई थी और वे इसके तुरंत बाद सक्रिय हो गए थे.

जैसे ही इस मामले की जानकारी बस्तर और छत्तीसगढ़ के पत्रकारों को मिली, उनके बीच आक्रोश उमड़ उठा. उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृह मंत्री विजय शर्मा समेत पुलिस के बड़े अधिकारियों और कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा जिसके बाद सुकमा पुलिस ने सबडिविजनल ऑफिसर ऑफ पुलिस परमेश्वर तिलकवार के नेतृत्व में एक जांच टीम बनाई.

थानेदार को हुई जेल

मामले की जांच में पाया गया कि अजय सोनकर ने होटल में लगे सीसीटीवी कैमरे से छेड़छाड़ की थी. उन्होंने डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर को अपने कब्जे में लेकर फुटेज को भी डिलीट कर दिया. यह फुटेज उन दो लोगों की थी जो रात को बप्पी की कार खोलने की कोशिश कर रहे थे.

गौरतलब है कि जब सोनकर उसे नष्ट कर रहे थे, किसी ने उनका वीडियो बना लिया जिसमें यह देखा जा सकता है कि उनके साथ भाजपा नेता पी. विजय भी थे.

कोंटा थाना प्रभारी अजय सोनकर और सीसीटीवी फुटेज.

इसके बाद एसपी किरण चव्हाण ने तत्काल थाना प्रभारी अजय सोनकर को निलंबित कर दिया. उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है.

‘थाना चिंतूर में जो एनडीपीएस (नारकोटिक्स एक्ट) का अपराध दर्ज हुआ था, उस संदर्भ में (कोंटा) थाना प्रभारी अजय सोनकर के खिलाफ आरोप लग रहा था कि इस इस प्रकरण में इनकी भूमिका संदिग्ध है. इस पर पत्रकार संघ द्वारा शिकायत पत्र मिलने के बाद एक जांच कमेटी बिठाई गई. इस कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया है कि अजय सोनकर ने दस अगस्त की रात को सीसीटीवी का डीवीआर अपने कब्जे में लिया, जो एक आपराधिक कृत्य है. उन्हें तत्काल निलंबित किया गया है, और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है,’ चव्हाण ने कहा.

पत्रकारों का कहना है कि मामले को रफा-दफा करने के लिए पुलिस ने सोनकर के खिलाफ केस दर्ज किया है.

सुकमा के पत्रकार सलीम शेख ने कहा, ‘चारों पत्रकारों के खिलाफ सारे आरोप बेबुनियाद हैं. पुलिस ने यह तो स्वीकार कर लिया है कि थाना प्रभारी ने सीसीटीवी फुटेज को नष्ट किया है, लेकिन पुलिस यह नहीं बता रही है कि सोनकर ने ऐसा क्यों किया? इसके पीछे की मंशा और वजह क्या थी?’

सलीम शेख ने आगे कहा, ‘पत्रकारों ने राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा से पूछा कि पुलिस का एक अधिकारी खुद इस मामले में संलिप्त है, तो आप उच्च स्तरीय जांच का आदेश क्यों नहीं देते? लेकिन उन्होंने कहा कि इसकी आवश्यकता नहीं है.’

‘पत्रकारों का कहना है कि सरकार भाजपा नेताओं को बचाने की कोशिश कर रही है, और पुलिस अपने अधिकारी पर गांजा तस्करी जैसा संगीन और गंभीर आरोप से बचना चाह रही है. यही वजह है कि अजय सोनकर के खिलाफ एनडीपीएस का केस दर्ज नहीं हुआ है. उनके खिलाफ बहुत ही मामूली धाराओं में केस दर्ज हुआ है, और उन्हें जेल भेजा गया है ताकि पत्रकारों को शांत कर दिया जाए.’ सलीम शेख ने कहा.

‘आरोपी अजय सोनकर से यह पूछा जाए कि आपने किसके कहने पर सीसीटीवी फुटेज से छेड़छाड़ की? पूरा मामला मिनटों में सुलझ जाएगा,’ सलीम शेख ने कहा.

पत्रकारों को फर्जी केस में फंसाए जाने के विरोध में पत्रकारों का आंदोलन

दक्षिण बस्तर के चार पत्रकारों को गांजा केस में फंसाए जाने पर अन्य पत्रकारों ने सीबीआई जांच और इसमें शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

17 अगस्त को कोंटा में पत्रकारों ने विशाल प्रदर्शन किया, जिसमें छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के 200 से ज्यादा पत्रकार शामिल हुए. इन चार राज्यों के पत्रकारों ने हाथ और मुंह पर काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया. उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नाम एसडीएम को ज्ञापन भी सौंपा कि तीन दिन के अंदर वह इस मामले में कार्रवाई करे, वरना राजधानी रायपुर में प्रदर्शन किया जाएगा.

दक्षिण बस्तर के पत्रकार विनोद सिंह ने कहा, ‘हमारे साथी निर्दोष हैं. उन्हें जेल से छुड़वाने के लिए हम संघर्षरत हैं. जब तक सारे पत्रकार साथी बाहर नहीं आ जाते तब तक ये आंदोलन नहीं रुकेगा.’

उन्होंने कहा, ‘सरकार को मालूम है कि हमारे निर्दोष पत्रकार साथियों को फंसाया गया है. रेत माफियाओं के साथ मिलकर थानेदार अजय सोनकर समेत अन्य लोगों ने बड़ी साजिश की है.’

इस मामले में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के संयोजन में छह-सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और बस्तर के निवासी हैं.)