नई दिल्ली: केंद्रीय शासित प्रदेश (यूटी) पुडुचेरी को राज्य का दर्जा देने की मांग विधानसभा में एक बार फिर गूंजी है. बीते सप्ताह सदन ने इस मामले पर केंद्र के समक्ष अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पुडुचेरी विधानसभा ने 15 अन्य मौकों पर राज्य का दर्जा मांगते हुए प्रस्ताव पारित किए हैं. विधानसभा या लोकसभा चुनावों के दौरान जारी किए गए सभी राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्रों में इस बात पर जोर दिया गया था कि वे चेन्नई से लगभग 170 किमी दूर स्थित इस तटीय शहर पुडुचेरी को राज्य का दर्जा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.
पुडुचेरी और इसके बाहरी क्षेत्र कराईकल, माहे और यानम, 1954 में एक जनमत संग्रह के माध्यम से भारत में विलय के बाद से एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में भारत का हिस्सा हैं.
सदन ने 14 अगस्त को पूर्ण राज्य के मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित किया, जिसका सभी दलों ने समर्थन किया.
उल्लेखनीय है कि देश की राजनीति में यह विवादित रहा है कि जनता द्वारा निर्वाचित केंद्र शासित प्रदेश की सरकार को क्षेत्रीय विधानसभा में कोई विधेयक पेश करने के लिए भी केंद्र की सहमति जरूरी होती है, जिसके कारण निर्वाचित सरकार को पूर्ण शक्तियों के अभाव में काम करने में बाधा का सामना करना पड़ता है.
मुख्यमंत्री एन. रंगासामी, जो एआईएनआरसी-भाजपा गठबंधन सरकार के प्रमुख हैं, राज्य के दर्जे की मांग पर जोर दे रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते पुडुचेरी की वर्तमान संवैधानिक स्थिति में निर्वाचित सरकार के फैसले पूरी तरह से लागू नहीं किए जा सकते हैं.
उन्होंने हाल ही में कहा था कि क्षेत्रीय सरकार जिन सभी कठिनाइयों का सामना कर रही है, उनका एकमात्र समाधान पुडुचेरी को राज्य का दर्जा प्रदान करना है.
पुडुचेरी के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता वी. नारायणसामी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि राज्य का दर्जा बहुत जरूरी है और उन्होंने इस मुद्दे के लिए अपनी पार्टी के समर्थन की फिर से पुष्टि की.
उन्होंने कहा कि इस आशंका की कोई गुंजाइश नहीं है कि राज्य का दर्जा दिए जाने की स्थिति में यूटी की वित्तीय स्थिति तनावपूर्ण होगी.
विधानसभा ने अतीत में राज्य का दर्जा पाने के लिए 15 मौकों पर प्रस्ताव पारित किए गए थे. क्षेत्रीय सरकार की यह भी शिकायत रही है कि पुडुचेरी को फिलहाल केंद्रीय वित्त आयोग में शामिल नहीं किया गया है. यदि ऐसा किया जाए तो केंद्रीय फंड का ट्रांसफर अधिक होगा.
नारायणसामी के नेतृत्व वाली पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान निर्वाचित सरकार और तत्कालीन उपराज्यपाल किरण बेदी के बीच बार-बार होने वाले झगड़े ने सरकारी फैसलों को प्रभावित किया था. अतीत में जब भी दोनों के बीच मतभेद बढ़ते थे, तो मामले को केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेजा जाता था.
विपक्षी दलों का तर्क है कि अब जब केंद्र शासित प्रदेश में भाजपा गठबंधन सरकार का हिस्सा है, तो यूटी को राज्य का दर्जा प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए.
द्रमुक और अन्य दलों के नेताओं ने कहा, ‘अब राज्य का दर्जा पाने का समय आ गया है, इसलिए मामले पर आगे बढ़ने के लिए एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल मददगार साबित होगा.
पुडुचेरी से अन्नाद्रमुक के सचिव ए. अनबालागन ने कहा कि उनकी पार्टी ने राज्य के दर्जे के लिए जी-जान से संघर्ष किया था. वह चाहते हैं कि वर्तमान सरकार लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अपने प्रयास तेज करे. राज्य की मांग अब पहले से कहीं अधिक तेज हो गई है और वहां के विधायक लक्ष्य हासिल करने को लेकर आशावादी हो गए हैं.