नई दिल्ली: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के खिलाफ देशभर के डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं, तो वहीं पश्चिम बंगाल की तृणमूल (टीएमसी) सरकार लगातार इस मामले में घिरती नज़र आ रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार (18 अगस्त) को पश्चिम बंगाल के बांकुरा में एक रैली में को संबोधित करते टीएमसी सांसद अरूप चक्रवर्ती ने कहा कि अगर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण जनता का गुस्सा उन पर फूटता है तो हम इन्हें नहीं बचाएंगे.
उन्होंने आगे कहा, ‘आंदोलन के नाम पर आप घर जा सकते हैं या अपने बॉयफ्रेंड के साथ घूम सकते हैं, लेकिन अगर आपकी हड़ताल के कारण कोई मरीज मर जाता है और जनता का गुस्सा आप पर फूटता है, तो हम आपको नहीं बचाएंगे.’
इस संबंध में मंच से उतरने के बाद जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया, तो वह अपनी बात पर अड़े रहे और उन्होंने फिर दोहराया कि ‘डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं. हड़ताल के नाम पर अगर वे बाहर चले जाते हैं और लोगों को इलाज नहीं मिलता है तो स्वाभाविक रूप से उनका गुस्सा उन पर ही उतरेगा. ऐसे में हम उन्हें बचा नहीं सकते.’
मालूम हो कि बीते 14 अगस्त को अज्ञात लोगों की भीड़ ने प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों पर हमला कर दिया था. इस दौरान आरजी कर अस्पताल में भी भारी संख्या में भीड़ घुस गई थी और परिसर के अंदर इमरजेंसी बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर तोड़फोड़ की गई थी.
ज्ञात हो कि कुछ टीएमसी नेता जहां प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का समर्थन कर रहे हैं और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, वहीं कई अन्य नेता ममता बनर्जी सरकार का बचाव करने में लगे हैं.
अरूप चक्रवर्ती से पहले टीएमसी नेता उदयन गुहा ने भी इस मामले में मुख्यमंत्री की आलोचना करने वालों के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था, ‘जो लोग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ऊपर उंगली उठा रहे हैं – हम उनकी उंगलियां तोड़ देंगे.’
वहीं, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा था, ‘कुछ लोगों को लगता है कि बांग्लादेश की तरह ही पश्चिम बंगाल में भी कुछ लोग गाएंगे और ममता बनर्जी सरकार गिर जाएगी. यहां ऐसा संभव नहीं है. टीएमसी उन कलाकारों का बहिष्कार करेगी जो अब गा रहे हैं, फिर वे क्या करेंगे?
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले की सुनवाई मंगलवार (20 अगस्त) को सुचीबद्ध की है. फिलहाल, इस घटना की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है.
पश्चिम बंगाल सरकार ने इस बीच डॉक्टरों के प्रदर्शन और दबाव के चलते शनिवार (17 अगस्त) शाम 42 वरिष्ठ डॉक्टरों के स्थानांतरण (ट्रांसफर) आदेश को रद्द कर दिया है. शुक्रवार (16 अगस्त) की रात को राज्य चिकित्सा शिक्षा सेवा ने कम से कम 42 डॉक्टरों का तबादला नोटिस जारी किया था, जिनमें से ज्यादातर एसोसिएट प्रोफेसर और उससे ऊपर के पदाधिकारी डॉक्टर हैं. इनमें से 12 का तबादला कोलकाता से बाहर किया गया था.
मालूम हो कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुनवाई की थी और बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार को फटकार लगाते हुए इसे सरकारी मशीनरी की नाकामी करार दिया था. उच्च न्यायालय ने ये भी कहा था वह जांच की निगरानी करेगा और सीबीआई को तीन सप्ताह में अदालत को एक रिपोर्ट सौंपनी होगी.
ये मामला बीते 9 अगस्त को सुर्खियों में आया था, जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में एक पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी महिला डॉक्टर का शव मिला था. वो देर रात खाने के बाद हॉल में आराम करने गई थीं. शुरुआती जांच में रेप और हत्या की बात सामने आई थी, जिसकी बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी पुष्टि हुई.
इस मामले में ममता बनर्जी सरकार और पुलिस शुरू से ही सवालों के घेरे में है. मेडिकल कॉलेज केे प्रिंसिपल को महज़ इस्तीफा देने के कुछ ही घंटों बाद दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल नियुक्त कर दिया गया था, जिसे लेकर राज्य सरकार को कड़ी आलोचना का भी सामना करना पड़ा था.