श्रीनगर: जम्मू के उधमपुर जिले में सोमवार (19 अगस्त) को सुरक्षा बलों के गश्ती दल पर संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में केंद्रीय रिजर्व अर्धसैनिक बल (सीआरपीएफ) के एक अधिकारी की मौत हो गई.
रिपोर्ट के अनुसार, मृतक की पहचान कुलदीप सिंह के रूप में हुई है, जो सीआरपीएफ की 187वीं बटालियन में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि सिंह को उस समय गोली लगी, जब सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की विशेष आतंकवाद रोधी इकाई, विशेष अभियान समूह (एसओजी) की तलाशी टीम बसंतगढ़ के सुदूर डुडू इलाके में भीषण गोलीबारी की चपेट में आ गई.
अधिकारी ने बताया, ‘आतंकवादियों के एक समूह ने दोपहर करीब साढ़े तीन बजे तलाशी दल पर गोलीबारी की, जिसमें सिंह घायल हो गए, जिन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई.’ उन्होंने बताया कि अपराधियों की तलाश के लिए इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजे गए हैं.
यह हमला जम्मू के डोडा जिले के शिवगढ़-अस्सार वन क्षेत्र में इसी तरह के आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान एक युवा सेना कप्तान दीपक सिंह की गोली मारकर हत्या करने के पांच दिन बाद हुआ है, जिसके बाद माना जा रहा है कि जंगल युद्ध में अत्यधिक प्रशिक्षित आतंकवादी क्षेत्र से भागने में सफल रहे. गोलीबारी में एक नागरिक भी घायल हो गया.
इससे पहले, 10 अगस्त को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में संदिग्ध आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान दो सैनिक और एक नागरिक मारे गए थे, जबकि 27 जुलाई को उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में एक अन्य आतंकवादी हमले में सेना का एक जवान शहीद हो गया था और एक अधिकारी सहित कम से कम चार और सैनिक घायल हो गए थे.
हालांकि 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से कश्मीर काफी हद तक शांतिपूर्ण बना हुआ है, लेकिन संघर्ष-संबंधी हिंसा का केंद्र जम्मू क्षेत्र में बन गया है, जहां सशस्त्र बल भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के एक समूह से जूझ रहे हैं, जिन्हें लेकर कुछ अधिकारियों का मानना है कि वे पाकिस्तानी सेना के पूर्व सैनिक हैं, जिन्होंने चिनाब घाटी और पीर पंजाल क्षेत्रों के ऊंचे इलाकों में शरण ली हुई है.
पिछले तीन वर्षों में जम्मू क्षेत्र में आतंकवादियों द्वारा कम से कम 51 सैन्यकर्मी, जिनमें वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं, मारे गए हैं, जिसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के दावों पर सवाल उठ रहे हैं कि 2019 में दो केंद्र शासित प्रदेशों में विवादास्पद विभाजन के बाद जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल हो गई है.
2021 में तेजी से बढ़े हमले शुरू में पुंछ और राजौरी के जंगली जिलों तक ही सीमित थे. हालांकि, हाल के महीनों में वे डोडा और किश्तवाड़ के चिनाब घाटी जिलों के साथ-साथ कठुआ और उधमपुर जिलों के मैदानी इलाकों में फैल गए हैं, जिससे सुरक्षा प्रतिष्ठान को पूरे जम्मू संभाग में अतिरिक्त बल तैनात करने पड़े हैं।
जम्मू में हमलों में वृद्धि जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ के बढ़ते प्रयासों के बीच हुई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सेना ने जुलाई में उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में एलओसी पर घुसपैठ के तीन प्रयासों को विफल किया था, जिसमें अधिकारियों ने छह अज्ञात आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया था. घुसपैठियों के साथ मुठभेड़ के दौरान सेना के एक गैर-कमीशन अधिकारी की भी गोलीबारी में मौत हुई थी.
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में अगले महीने एक दशक बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा बलों और नागरिकों पर आतंकवादी हमलों में वृद्धि से सुरक्षा प्रतिष्ठानों को यह सुनिश्चित करने में मुश्किल हो सकती है कि चुनाव शांतिपूर्ण माहौल में हों.
मतदान सितंबर महीने में तीन चरणों में होने हैं और नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे.