नई दिल्ली: महाराष्ट्र में ठाणे के जिस निजी स्कूल में दो नाबालिगों का यौन उत्पीड़न हुआ, वहां सीसीटीवी कैमरे नहीं थे, और न ही आरोपी को काम पर रखते समय उसकी पृष्ठभूमि की जांच की गई. इसके साथ ही स्कूल में न ही सखी सावित्री समिति थी.
यह बात महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एमएससीपीसीआर) की अध्यक्ष सुसीबेन शाह ने कही, जो इस घटना की प्रारंभिक जांच (पीई) कर रही हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बदलापुर के एक प्रमुख नामी स्कूल में प्री-प्राइमरी कक्षाओं में पढ़ने वाली दो चार वर्षीय लड़कियों के साथ 12-13 अगस्त को 23 वर्षीय सफाईकर्मी अक्षय शिंदे ने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया. यह घटना लड़कियों के शौचालय में हुई थी, जहां कथित तौर पर महिला कर्मचारियों की निगरानी नहीं थी.
यह मामला तब प्रकाश में आया जब लड़कियों में से एक ने दर्द की शिकायत की और अपने माता-पिता को अपनी आपबीती बताई. हैरान माता-पिता को तब पता चला कि एक दूसरी लड़की के साथ भी कथित तौर पर उत्पीड़न किया गया है. 16 अगस्त की रात को शिकायत दर्ज की गई, जिसके बाद कथित अपराधी को गिरफ्तार कर लिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुसीबेन शाह को स्कूल, पुलिस और अस्पताल की ओर से व्यवस्थागत विफलता को समझने और उसके बारे में सिफारिशें देने के लिए प्रारंभिक जांच करने के लिए कहा गया है.
अखबार से बात करते हुए शाह ने, जो उस स्कूल में मौजूद थीं, जहां यह घटना हुई थी, कहा, ‘व्यवस्थागत विफलता के कारण लड़कियों को निराश होना पड़ा. स्कूल ने इसे छुपाने की कोशिश की, पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में 12 घंटे लगा दिए, जबकि लड़कियों की मेडिकल जांच में 10 घंटे की देरी हुई और उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया गया. वे अस्पताल के स्तनपान कक्ष में थीं.’
अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. मनोहर बंसोड़े ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा, ‘यह सच नहीं है. हम उसे भर्ती करने के खिलाफ नहीं थे. हालांकि, लड़की बहुत रो रही थी, इसलिए रिश्तेदार उसे भर्ती नहीं करना चाहते थे.’
शाह ने कहा, ‘मैं स्कूल में हूं और वहां सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं, कोई सखी सावित्री समिति नहीं है, लड़कियों के शौचालयों में पुरुष सफाईकर्मियों की पहुंच है. साथ ही, आरोपी एक संविदा कर्मचारी था और फिर भी उसका बैकग्राउंड वेरिफिकेशन नहीं किया गया. हम जांच कर रहे हैं कि उसका कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड तो नहीं है.’
बताया गया है कि आरोपी को 1 अगस्त, 2024 को अनुबंध के आधार पर काम पर रखा गया था.
एमएससीपीसीआर की अध्यक्ष ने कहा, ‘पहले भी स्कूलों में इसी तरह के मामले सामने आए हैं और हमें यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदारी तय करने की ज़रूरत है कि स्कूल में प्रतिदिन 6 से 8 घंटे बिताने वाले बच्चे सुरक्षित रहें. प्रशासन द्वारा स्कूलों पर करोड़ों खर्च किए जाते हैं और अगर ऐसी कोई घटना होती है तो स्कूल पर भी यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘यही एकमात्र तरीका है जिससे स्कूल इन मुद्दों को गंभीरता से लेंगे और सरकार द्वारा सुझाए गए सभी उपायों को लागू करेंगे, जिसमें सखी सावित्री समिति और पृष्ठभूमि जांच शामिल है.’
बता दें कि सखी सावित्री समितियों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक, स्कूल प्रबंधन समितियां, परामर्शदाता, बच्चे और सभी हितधारक शामिल होते हैं. बच्चों से संबंधित सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उनकी नियमित रूप से बैठक होनी चाहिए.
घटना को लेकर आक्रोश
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीच स्कूल के बच्चों के गुस्साए सैकड़ों माता-पिता और स्थानीय लोगों ने बदलापुर रेलवे स्टेशन पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया और रेल मार्ग बाधित किया.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र पुलिस ने इस विरोध प्रदर्शन के बाद 40 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है और 300 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
गिरफ्तार लोगों को बुधवार (21 अगस्त) को अदालत में पेश किया जाएगा. महाराष्ट्र पुलिस ने रेलवे स्टेशन पर भी सुरक्षा बढ़ा दी है और मंगलवार की घटना की पुनरावृत्ति न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.
उन्होंने कहा कि मंगलवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान रेलवे स्टेशन और बदलापुर के अन्य हिस्सों में पथराव की घटनाओं में कम से कम 17 शहर के पुलिसकर्मी और लगभग आठ रेलवे पुलिसकर्मी घायल हो गए और जांचकर्ताओं ने हिंसा के सिलसिले में 72 लोगों को गिरफ्तार किया है.
बदलापुर में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और दुकानों को बंद रखने का आदेश दिया गया है. रेलवे पुलिस के जीआरपी के डीसीपी मनोज पाटिल ने कहा, ‘स्थिति अब सामान्य है. रेलवे की आवाजाही भी सामान्य है. कोई धारा नहीं लगाई गई है. अफवाह न फैले, इसके लिए कुछ दिनों तक इंटरनेट सेवाएं बंद रहेंगी.’
डीसीपी सुधाकर पठारे ने बुधवार को बताया कि विरोध प्रदर्शन और उसके बाद हुई हिंसा के मद्देनजर शहर में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. उन्होंने कहा, ‘शहर में स्थिति की समीक्षा के बाद इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी.’
स्थानीय लोगों ने बताया कि बुधवार को शहर के अधिकांश स्कूल बंद रहे. मंगलवार को पुलिस ने बदलापुर रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने रेलवे ट्रैक को अवरुद्ध कर दिया था, जिससे लोकल ट्रेनें रुक गई थीं.
प्रदर्शनकारियों द्वारा ट्रैक को अवरुद्ध करने के कारण 12 मेल एक्सप्रेस ट्रेनों का मार्ग बदल दिया गया और 30 लोकल ट्रेनों को आंशिक रूप से रद्द कर दिया गया. हालांकि, पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के बाद 10 घंटे तक ठप रहने के बाद देर रात रेलवे सेवा फिर से शुरू हो गई.
मीडिया से बात करते हुए, जीआरपी आयुक्त रवींद्र शिसवे ने कहा, ‘ट्रैक को साफ कर दिया गया है और रिपोर्ट रेलवे परिचालन को भेजी जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि परिचालन शुरू किया जा सके.’
जांच के लिए एसआईटी गठन
इस बीच, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को उक्त घटना की निंदा की और कहा कि मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘बदलावपुर में कुकर्म की घटना बेहद गंभीर है, मैं इस घटना की कड़ी शब्दों में निंदा करता हूं. राज्य सरकार ने आईजी रैंक की महिला अधिकारी के नेतृत्व में एक मामले की जांच के लिए एक जांच का गठन किया है. सरकार का प्रयास है कि मामले को फास्टट्रैक कोर्ट में चलाया जाए ताकि पीड़ित परिवार को जल्द न्याय मिल सके.’
फडणवीस ने ठाणे पुलिस आयुक्त को बदलापुर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक, सहायक उपनिरीक्षक और हेड कॉन्स्टेबल को तत्काल निलंबित करने का भी आदेश दिया, जिन्होंने बदलापुर की घटना के शुरुआती चरण में कार्रवाई में देरी की थी.