नई दिल्ली: कोलकाता में ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के मामले को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी है. कलकत्ता हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में केस की सुनवाई चल रही है. इस बीच, चौतरफा दबाव के चलते पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार (21 अगस्त) को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के चार अधिकारियों का तबादला कर दिया है.
प्रदर्शनकारी डॉक्टर इसकी लंबे समय से मांग कर रहे थे. द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों की मांग के आगे झुकते हुए स्वास्थ्य विभाग ने नए प्रिंसिपल सुहृता पॉल सहित अस्पताल अधीक्षक, अतिरिक्त अधीक्षक और चेस्ट मेडिसिन के प्रमुख को उनके पद से हटा दिया है. वहींं, आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की नई नियुक्ति भी रद्द कर दी गई है.
पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम ने अखबार से बातचीत में कहा, ‘हमने जूनियर डॉक्टरों की मांग के अनुसार, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के चार अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया है. हमने उनकी सभी मांगें मान ली हैं.’
हालांकि, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना है कि उनकी मांगें केवल आंशिक रूप से पूरी की गई हैं. वे मृत जूनियर डॉक्टर के लिए न्याय और इस कृत्य में शामिल ‘सभी दोषियों’ की गिरफ्तारी चाहते हैं और इसलिए अभी उनकी काम बंदी जारी रहेगी.
वहीं, सरकार का कहना है कि वो अस्पताल में स्थिति सामान्य करना चाहती है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं सामान्य रूप से चल सकें. स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि अस्पताल में सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं. सभी अधिकारी अच्छे हैं और हम यहां नए अधिकारियों की एक टीम भी दे रहे हैं.
मालूम हो कि बुधवार दोपहर में आरजी कर के जूनियर डॉक्टरों ने स्वास्थ्य भवन में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की थी और कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों को एक घंटे के भीतर हटाने की मांग की थी. प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने साल्ट लेक में सीबीआई के कार्यालय सीजीओ कॉम्प्लेक्स से स्वास्थ्य भवन तक एक रैली भी निकाली थी.
इसके बाद शाम को स्वास्थ्य सचिव निगम के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम आरजी कर पहुंचीं और उन्होंने प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को चार अधिकारियों को हटाने से संबंधित फैसले की जानकारी दी.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले सोमवार (19 अगस्त) को अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख करते हुए मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष के कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर सामने आए कदाचार और अनियमितताओं की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग की.
मंगलवार (20 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीआईएसएफ को अस्पताल की सुरक्षा सौंपे जाने के एक दिन बाद सीआईएसएफ अधिकारी बुधवार की सुबह अस्पताल पहुंचे और उन्होंने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से मुलाकात कर स्थिति को सामान्य करने पर ज़ोर दिया.
गौरतलब है कि कोलकाता महिला ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां की थीं, जिसमें पश्चिम बंगाल शासन-प्रशासन के रवैये और महिलाओं के साथ कार्यस्थल पर होने वाली हिंसा को लेकर भी चिंता जाहिर की गई थी.
अदालत ने डॉक्टर्स की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया. साथ ही सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह गुरुवार (22 अगस्त) तक जांच को लेकर स्टेटस रिपोर्ट फाइल करे और छानबीन का स्तर बताए.
हत्या से पहले यौन उत्पीड़न का शिकार हुई डॉक्टर की पहचान उजागर करने और शव के कथित वीडियो क्लिप प्रसारित करने को सख्त तौर पर आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से ऐसे पोस्ट को तत्काल हटाने का भी आदेश दिया था.
इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार लगातार आलोचनाओं से घिरी हुई है. विपक्षी दलों के साथ ही अदालतें भी सरकार को जमकर फटकार लगा चुकी हैं. मामले की जांच फिलहाल सीबीआई कर रही है, लेकिन शुरुआती जांच में मामले पर पर्दा डालने को लेकर स्थानीय शासन-प्रशासन सभी के निशाने पर है.