जम्मू कश्मीर: सभी 90 सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच गठबंधन, सीट बंटवारे पर मंथन

सूत्रों ने बताया कि अपने गढ़ जम्मू के अलावा, कांग्रेस हालिया समय में जम्मू-कश्मीर में मजबूती से उभरी है. इसलिए वह यह बातचीत भी कर रही है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस कश्मीर घाटी में उसके लिए कुछ सीटें खाली कर दे, जहां वह अपने उम्मीदवार उतार सके.

(बाएं से) उमर अब्दुल्ला, राहुल गांधी, फारूक अब्दुल्ला और मल्लिकार्जुन खरगे. (फोटो साभार: X/@JKNC_)

श्रीनगर: कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने विधानसभा चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर में चुनाव-पूर्व गठबंधन के लिए व्यापक सहमति बना ली है, जिससे इंडिया गठबंधन की सहयोगी महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) असमंजस में पड़ गई है.

हालांकि, हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक नेशनल कॉन्फ्रेंसअध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार (22 अगस्त) को कहा कि वे चुनाव के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को भी साथ लाने के लिए तैयार हैं.

अपने श्रीनगर आवास के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि तीनों दलों ने जम्मू-कश्मीर के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में सीट बंटवारे की व्यवस्था पर काम किया है ताकि उन ‘विभाजनकारी ताकतों को हराया जा सके’ जिन्होंने देश में ‘भारी मुश्किलें’ खड़ी की हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने यह घोषणा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा श्रीनगर में उनसे और उनके बेटे, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला से मुलाकात के कुछ घंटों बाद की.

कांग्रेस महासचिव और जम्मू-कश्मीर इकाई के पूर्व अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर ने कहा कि दोनों दलों ने गठबंधन करने से पहले अलग-अलग कारकों पर विचार किया. उन्होंने कहा, ‘हमने लगभग सभी बाधाओं को दूर कर लिया और दोनों दल एक सफल गठबंधन के लिए कुछ त्याग करने के लिए भी सहमत हुए.’

नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘एनसी को लगभग 50 सीटें और कांग्रेस को 35-38 सीटें मिलने की संभावना है. कुछ सहयोगियों को भी समायोजित किया जाएगा.’

हालांकि, सूत्रों ने बताया कि अपने गढ़ जम्मू के अलावा, कांग्रेस हालिया समय में जम्मू-कश्मीर में मजबूती से उभरी है. इसलिए वह यह बातचीत भी कर रही है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस कश्मीर घाटी में उसके लिए कुछ सीटें खाली कर दे, जहां वह अपने उम्मीदवार उतार सके.

बहरहाल, द हिंदू के मुताबिक, उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार (23 अगस्त) को कहा कि जम्मू-कश्मीर में अधिकांश विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया गया है और शेष निर्वाचन क्षेत्रों पर आम सहमति बनाने के लिए बातचीत चल रही है.

अब्दुल्ला ने कहा, ‘काफी हद तक आम सहमति बन गई है. मैं आपको बता सकता हूं कि हम 90 में से अधिकतम सीटों पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं. कुछ सीटों पर हम अड़े हुए हैं और कुछ अन्य पर कांग्रेस के स्थानीय नेता अड़े हुए हैं. आज भी बैठकें होंगी और हम बाकी सीटों पर भी फैसला करने की कोशिश करेंगे ताकि अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर सकें.’

बता दें कि हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में दोनों दलों के बीच जम्मू-कश्मीर में चुनाव पूर्व गठबंधन था, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कश्मीर की तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जबकि कांग्रेस ने जम्मू की शेष दो सीटों पर चुनाव लड़ा था.

इससे पहले, दिन में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी जम्मू-कश्मीर में क्षेत्रीय दलों के साथ अपनी पार्टी के चुनाव-पूर्व गठबंधन के मुद्दे पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वह इस तरह के कदम के पक्ष में हैं, लेकिन ‘कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मान की कीमत पर नहीं.’ गांधी ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति के नवनियुक्त अध्यक्ष तारिक कर्रा को इस बारे में बता दिया है.

गुरुवार को श्रीनगर में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को संबोधित करते हुए गांधी ने कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के दौरे का उद्देश्य यह संदेश देना है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों का प्रतिनिधित्व महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कांग्रेस के सत्ता में आने पर जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की कसम खाते हुए कहा, ‘यह हमारे लिए और देश के लिए महत्वपूर्ण है. हम अपने राष्ट्रीय घोषणापत्र में भी बहुत स्पष्ट हैं कि यह हमारी प्राथमिकता है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को उनके लोकतांत्रिक अधिकार वापस मिलें.’

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पार्टी क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करने की कोई भी घोषणा करने से पहले कार्यकर्ताओं और नेताओं की प्रतिक्रिया लेने जा रही है. उन्होंने कहा, ‘राहुलजी इस चुनाव में सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं. हमने एक तानाशाह को पूर्ण बहुमत हासिल करने से रोक दिया है. भाजपा अपने बहुमत का फायदा उठाकर कृषि कानून जैसे कानून पारित करती थी.’

इंडिया गठबंधन का हिस्सा सीपीआई (एम) ने गठबंधन पर कोई बयान जारी नहीं किया. पार्टी महासचिव एमवाई तारिगामी ने कहा कि यह अहसास बढ़ रहा है कि जम्मू-कश्मीर के साथ भाजपा ने जो किया है, उसके कारण उसे अलग-थलग करने के लिए एकजुट प्रयास होना चाहिए. यह बात न केवल कश्मीर घाटी में बल्कि जम्मू और लद्दाख में भी लागू होती है.

उन्होंने कहा, ‘मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना ​​है कि हालात की मांग है कि सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एक साथ आना चाहिए.’

नाम न बताने की शर्त पर द वायर से बात करने वाले पीडीपी के एक वरिष्ठ नेता ने अब्दुल्ला द्वारा चुनाव पूर्व गठबंधन की घोषणा की तुलना 1975 के इंदिरा-शेख समझौते से करते हुए कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला ने 1975 में मुख्यमंत्री बनने पर सहमति जताकर जम्मू-कश्मीर पर उस हमले को वैध बना दिया था, जिसकी शुरुआत कांग्रेस ने 1953 में उनकी गिरफ्तारी के साथ की थी, जब जम्मू-कश्मीर का अपना प्रधानमंत्री हुआ करता था.

उन्होंने कहा कि फारूक अब्दुल्ला ने 1996 के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी को चुनावी मैदान में उतारकर ऐसी ही गलती की थी. यह चुनाव जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र विद्रोह के बाद पहला चुनाव था.

पीडीपी नेता ने कहा, ‘फारूक ने सत्ता के कुछ टुकड़ों के लिए अपनी पिछली गलती आज फिर दोहराई है. सच्चाई यह है कि जम्मू-कश्मीर ने अपनी गरिमा खो दी है. 1996 के विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस दो तिहाई से अधिक बहुमत के साथ स्वायत्तता बहाल नहीं कर सकी. क्या हमें इस बार चमत्कार की उम्मीद करनी चाहिए? हमारी पार्टी के सामने एक राजनीतिक संघर्ष है और चुनाव उसी संघर्ष का हिस्सा है.’

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि 2018 में भाजपा द्वारा गठबंधन सरकार से बाहर निकलने के बाद पार्टी जिस संकट से गुजर रही है, उसे देखते हुए पीडीपी आगामी चुनाव में मजबूत प्रदर्शन नहीं कर पाएगी.

श्रीनगर के एक राजनीतिक विश्लेषक ने नाम न बताने की शर्त पर द वायर से कहा, ‘अगर पीडीपी इकाई अंक तक सीमित रहती है, तो भी सरकार गठन में उसकी भूमिका हो सकती है, क्योंकि यह संभावना नहीं है कि परिणाम आने के बाद किसी एक पार्टी को विधानसभा में बहुमत मिलेगा.’

जम्मू-कश्मीर में करीब 10 साल बाद चुनाव तीन चरणों में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होने हैं, जबकि नतीजे 1 अक्टूबर को घोषित होने की उम्मीद है.