भारत-बांग्लादेश सीमा पर तनाव, बांग्लादेशी जवानों ने भारत को मवेशियों के लिए बाड़ लगाने से रोका

बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के बीच उत्तर बंगाल के कूचबिहार में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश के जवानों ने भारतीय सीमा सुरक्षा बल को बाड़बंदी करने से रोक दिया, जिसके बाद बीजीबी और बीएसएफ के बटालियन कमांडेंट ने एक फ्लैग मीटिंग भी की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. 

/
(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर/बीएसएफ)

नई दिल्लीः बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच भारत के साथ उसके संबंधों में उस वक्त और तनाव आ गया जब गुरुवार (22 अगस्त) शाम उत्तर बंगाल के कूचबिहार में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) के जवानों ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकारियों को मवेशियों के लिए बाड़ लगाने से रोक दिया.  

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले से अवगत लोगों ने कहा है कि इस वाकये के दौरान कोई हिंसा नहीं हुई, लेकिन बाड़ लगाने के काम को अब रोक दिया गया है और इस मुद्दे को अक्टूबर में नई दिल्ली में दोनों सेनाओं के महानिदेशकों के बीच होने वाली बैठक के दौरान उठाया जाएगा. 

इस मुद्दे से अवगत बीएसएफ के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘जब हमारे जवान मवेशियों के लिए बाड़बंदी के निर्माण कार्य की निगरानी कर रहे थे, बीजीबी के जवान आए और उन्होंने आपत्ति जताई,’ 

एक अधिकारी ने बताया कि बाड़बंदी यह सुनिश्चित करने के लिए की जा रही थी ताकि एक देश से मवेशी दूसरे देश में न जा पाएं, जिससे अक्सर दोनों तरफ के ग्रामीणों के बीच विवाद होता है.

एक अन्य अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा कि मवेशियों के लिए बाड़बंदी का निर्माण दोनों देशों के बीच 2012 के समझौते के अनुसार किया जा रहा था. 

मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए बीजीबी और बीएसएफ के बटालियन कमांडेंट ने सीमा पर एक फ्लैग मीटिंग की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका. 

एक अन्य अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, ‘यह मामला अक्टूबर के पहले सप्ताह में नई दिल्ली में होने वाली दोनों सेनाओं के महानिदेशकों की बैठक के दौरान उठाया जाएगा. सीमा के दोनों ओर कोई हिंसा की खबरें नहीं है, लेकिन दोनों सेनाओं द्वारा गश्त बढ़ा दी गई है.’

एक सप्ताह में यह दूसरी मर्तबा है जब सीमा पर तनाव बढ़ा है. 

तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के राजधानी ढाका से भाग जाने के बाद से बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता है.  शेख हसीना के शासन के खिलाफ पूरे बांग्लादेश में खूनी विरोध प्रदर्शन तेज हो गया था, जिसके बाद मजबूरन उन्हें इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा था.  उसके बाद से नोबेल पुरस्कार विजेत मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली एक अंतरिम सरकार ने देश का कार्यभार संभाला है. 

हसीना की अवामी लीग के समर्थकों या सदस्यों के साथ-साथ बांग्लादेश की अल्पसंख्यक आबादी सीमा के रास्ते  भारत में प्रवेश की कोशिश में है, जिसके चलते बीएसएफ को अपनी सुरक्षा बढ़ाने और अवैध अप्रवासियों को दूर रखने के लिए मजबूरन कदम उठाने पड़ रहे हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, एक अन्य मामले में पिछले शनिवार (17 अगस्त) को बीजीबी ने उन पांच भारतीय नागरिकों को रिहा करने से इनकार कर दिया था, जो गलती से बांग्लादेश के जलक्षेत्र में बह कर चले गए थे. ये पांच लोग शनिवार को गंगा में तस्करी कर लाए गए जानवरों को बचाने में बीएसएफ जवानों की मदद कर रहे थे, तभी उनकी स्पीड बोट में खराबी आ गई और तेज धाराएं उन्हें बांग्लादेश की ओर बहा ले गईं.

विभिन्न स्तरों पर कई बैठकों के बावजूद, बीजीबी ने उन्हें वापस करने से इनकार कर दिया और उन्हें बांग्लादेश की जेल में कैद कर लिया. वे अभी भी जेल में हैं.

दिल्ली में बीएसएफ मुख्यालय ने विभिन्न प्रेस बयानों में कहा है कि बीजीबी अवैध घुसपैठ और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से संबंधित मामलों पर अच्छी तरह प्रतिक्रिया दे रहा है, लेकिन पूर्वी सीमा पर मौजूद लोगों ने कहा है कि सरकार गिरने के बाद से कई मुद्दों पर बीजीबी का रुख बदल गया है.