श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने शनिवार (24 अगस्त, 2024) को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया, जिसमें जम्मू–कश्मीर को उसकी ‘मूल स्थिति’ में बहाल करने का वादा किया गया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने श्रीनगर स्थित पीडीपी मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में वरिष्ठ पार्टी नेताओं की मौजूदगी में घोषणापत्र जारी किया.
घोषणापत्र में कहा गया है, ‘पीडीपी, अन्यायपूर्ण तरीके से खत्म किए गए संवैधानिक गारंटियों को बहाल करने के अपने प्रयास को लेकर दृढ़ है, वह जम्मू–कश्मीर को उसकी मूल स्थिति में बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है.’ पीडीपी का कहना है कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि लोगों की आवाज सुनी जाए और उनके अधिकारों की रक्षा की जाए.
घोषणापत्र में कहा गया है कि 2019 में अनुच्छेद 370 और 35ए को ‘असंवैधानिक और अवैध रूप से निरस्त करने’ से ‘कश्मीर का मुद्दा और जटिल हो गया है, और क्षेत्र के लोगों में अलगाव की भावना और गहरी हो गई है.’
इसमें कहा गया है कि पीडीपी का दृढ़ विश्वास है कि सार्थक सहभागिता ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.
पार्टी ने भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को बेहतर बनाने पर जोर दिया है, दोनों पड़ोसियों के बीच कूटनीतिक पहल की वकालत करने का वादा किया है, संघर्ष समाधान, विश्वास निर्माण उपायों और क्षेत्रीय सहयोग पर जोर देने की बात कही है.
‘पीपुल्स एस्पिरेशंस’ शीर्षक वाले घोषणापत्र में व्यापार और सामाजिक आदान–प्रदान के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार पूर्ण संपर्क स्थापित करने का वादा किया गया. घोषणापत्र में एक क्षेत्रीय मुक्त व्यापार क्षेत्र और साझा आर्थिक बाजार की वकालत की गई है.
घोषणापत्र में सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए), गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और शत्रु अधिनियम को निरस्त करने के प्रयास की बात लिखी गई है. साथ ही सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफस्पा) को निरस्त करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोराया गया है.
कश्मीर में पिछले कुछ समय से संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत सरकारी कर्मचारियों को आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप में बर्खास्त किया जा रहा है. पीडीपी ने अपने घोषणापत्र में इसे ‘अन्यायपूर्ण’ बताते हुए मामलों पर विचार करने की बात कही है.
जम्मू–कश्मीर के लोगों के भूमि और रोजगार के अधिकारों की रक्षा का वादा करते हुए पार्टी ने कहा कि सभी सरकारी निविदाओं के साथ–साथ खनन ठेकों में स्थानीय लोगों का पहला अधिकार होगा.
कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास के मुद्दे पर पीडीपी के घोषणापत्र में कहा गया है कि पार्टी उनकी सम्मानजनक वापसी के लिए प्रतिबद्ध है और ‘यह सुनिश्चित करेगी कि उनका हमारे समुदाय के सम्मानित सदस्यों के रूप में स्वागत किया जाए.’
कब है जम्मू-कश्मीर में चुनाव?
चुनाव आयोग ने 16 अगस्त को चुनावी कार्यक्रम की घोषणा करते हुए बताया कि जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव होंगे. पहला चरण- 18 सितंबर, दूसरा चरण- 25 सितंबर और तीसरा चरण- एक अक्तूबर होगा.
पिछले विधानसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में कुल 87 सीटें थी, जो परिसीमन के बाद 90 कर दी गई हैं. इसमें से नौ सीटें एसटी और सात सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं.
वर्तमान में जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश है. पिछली बार साल 2014 में जब चुनाव हुआ था, तब यह पूर्ण राज्य हुआ करता था. 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने गठबंधन कर सरकार बनाई थी.