नई दिल्ली: राजस्थान सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में भाग लेने पर लगा 52 साल पुराना प्रतिबंध हटा लिया है.
राज्य की भाजपा सरकार का यह कदम ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार ने 9 जुलाई को एक ऑफिस मेमोरेंडम के माध्यम से सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस में शामिल होने और इसकी गतिविधियों में भाग लेने पर 1966 से लगा प्रतिबंध हटा लिया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, राजस्थान सरकार ने 1972 और 1981 के निर्देशों की समीक्षा की और आरएसएस का नाम उन संगठनों की सूची से हटा दिया जिनकी गतिविधियों में राज्य सरकार के कर्मचारी भाग नहीं ले सकते.
केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा पिछले माह जारी ऑफिस मेमोरेंडम के बाद सरकारी कर्मचारियों पर आधिकारिक प्रतिबंध अब जमात–ए–इस्लामी की सदस्यता और उसके द्वारा आयोजित गतिविधियों में भाग लेने तक ही सीमित रह गया है.
यह ऑफिस मेमोरेंडम उस समय जारी किया गया जब मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी द्वारा प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
तब उच्च न्यायालय की एक पीठ ने कहा था कि ‘आरएसएस में शामिल होने पर प्रतिबंध के कारण कई तरह से देश की सेवा करने की केंद्र सरकार के कई कर्मचारियों की आकांक्षाएं कम हो गईं.’
जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और जस्टिस गजेंद्र सिंह की पीठ ने कहा, ‘केंद्र सरकार को अपनी गलती का एहसास होने में लगभग पांच दशक लग गए. सरकार को इतना समय लग गया यह स्वीकार करने में कि आरएसएस जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त संगठन को गलत तरीके से देश के प्रतिबंधित संगठनों में रखा गया था और उसे वहां से हटाना आवश्यक है.’
कार्मिक विभाग नहीं दे रहा फाइल
ऑफिस मेमोरेंडम को कार्मिक विभाग की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया गया है, लेकिन इससे संबंधित फाइल को गुप्त रखा गया है.
जब द वायर ने आरटीआई आवेदन दायर कर फ़ाइल की एक प्रति मांगी, तो कार्मिक विभाग ने कहा कि फाइल ‘गोपनीय प्रकृति की है इसलिए इसका खुलासा नहीं किया जा सकता.’
पीटीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की राज्य सरकारों ने पहले ही आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने वाले कर्मचारियों पर लगे प्रतिबंध हटा लिए हैं.
हिंदू राष्ट्रवादी आरएसएस को भाजपा का वैचारिक स्रोत माना जाता है.