नई दिल्ली: कुछ दिनों पहले ही भाजपा सरकार के लैटरल एंट्री कदम का विरोध करने के बाद अब केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान जातिगत जनगणना कराए जाने का समर्थन जताकर फिर से एनडीए की नेतृत्वकर्ता भाजपा के विपरीत रुख अपनाते नजर आए हैं. गौरतलब है कि लोजपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, ‘मेरी पार्टी (लोजपा) ने हमेशा अपना रुख स्पष्ट रखा है कि वह जातिगत जनगणना के पक्ष में है.’
अपने रुख को विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, ‘इसका कारण यह है कि कई बार राज्य और केंद्र सरकारें लाभार्थियों की जाति को ध्यान में रखकर कई योजनाएं बनाती हैं. वे योजनाएं ‘पिछड़े’ वर्ग के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के विचार से तैयार की जाती हैं.’
लोजपा नेता ने कहा कि जब केंद्र सरकार को जातिवार आबादी के बारे में पता होगा तभी वह संसाधनों और योजना के लाभों के उचित वितरण का पता लगा पाएगी.
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पासवान ने इससे पहले सरकारी नौकरियों में लैटरल एंट्री के माध्यम से नियुक्तियों के खिलाफ बोलते हुए सिविल सेवाओं में ऐसी प्रणाली को ‘पूरी तरह से गलत’ बताया था.
पासवान की यह टिप्पणी अपने गठबंधन सहयोगी भाजपा की नीति के खिलाफ है. संसद में भाजपा विपक्ष द्वारा राष्ट्रव्यापी जातिगत जनगणना कराने की मांग का विरोध करती रही है.
बता दें कि जिस कांग्रेस से पासवान वैचारिक मतभेद रखते रहे हैं, ने लोकसभा चुनाव में अपने घोषणापत्र में कहा था कि सत्ता में आने पर वह देश भर में वह देश भर में सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना कराएगी.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी चुनाव के दौरान वादा किया था कि देश में लोगों और संस्थानों के बीच धन-संपदा के वितरण के मापने के लिए एक सर्वे कराया जाएगा.
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के गठन को बमुश्किल दो महीने ही बीते हैं, लेकिन इतने कम समय में ही उसे अपनी विभिन्न नीतियों पर सहयोगी दलों की असहमति से दो-चार होना पड़ रहा है. मोदी सरकार अपने पुराने दो कार्यकालों की तरह कोई भी फैसला एकतरफा या मनमाने ढंग से लेने में असमर्थ नजर आ रही है. यहां तक कि उसे कुछ मामलों में अपने कदम भी पीछे खींचने पड़े हैं.
इसका एक उदाहरण बीते दिनों लैटरल एंट्री के माध्यम से विभिन्न केंद्रीय विभागों में नियुक्तियों का देखने का मिला, जब बिना आरक्षण के सीधे भर्ती प्रक्रिया का विरोध न सिर्फ विपक्ष ने किया बल्कि भाजपा के प्रमुख सहयोगी दलों, जैसे- जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और लोजपा ने भी इस कदम का विरोध किया था. नतीजतन, केंद्र सरकार ने इस फैसले को वापस ले लिया.
इसी तरह, केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण के लिए वक्फ संशोधन विधेयक लेकर आई थी. इसका भी विरोध विपक्ष के साथ-साथ एनडीए में भाजपा के सहयोगी दलों जदयू, लोजपा और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने किया.
इससे पहले, सावन माह में जब भाजपा शासित राज्यों में कांवड़ मार्ग पर दुकानदारों को अपनी दुकानों पर अपने नाम लिखने का आदेश जारी किया गया था, उसके विरोध में भी एनडीए के घटक दल आ गए थे. नतीजतन भाजपा सरकारों को इस आदेश पर बैकफुट पर जाना पड़ा था. तब भी चिराग पासवान विरोध में खड़े नजर आए थे. साथ ही, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) और जदयू ने भी विरोध जताया था.