नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और मिर्जापुर थर्मल एनर्जी यूपी प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी किया है.
दरअसल, साल 2016 में एनजीटी ने मिर्जापुर वन प्रभाग की वन भूमि पर निर्माण करने से रोक लगा दी थी. लेकिन एनजीटी के इस आदेश का उल्लंघन किया गया है, जिसकी वजह से उसे नोटिस जारी करना पड़ा है.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अडानी पावर की सहायक कंपनी अवैध रूप से वन भूमि पर दीवारें और सड़कें बना रही है और अन्य भूमि पर अतिक्रमण भी कर रही है.
बता दें कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर वन प्रभाग में एक भालू संरक्षण रिजर्व भी प्रस्तावित है. यह जंगल विंध्य-कैमूर पारिस्थितिकी तंत्र के कम से कम 24 स्थलीय जानवरों के लिए समृद्ध और संकटग्रस्त वन्य जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान भी है.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 21 दिसंबर, 2020 को ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बिजली कंपनी वेलस्पन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को मिर्जापुर के दादरी खुर्द गांव में 2×660 मेगावाट सुपर क्रिटिकल कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने के लिए पर्यावरण मंजूरी को रद्द कर दिया था.
वर्तमान में यह संयंत्र अडानी समूह के स्वामित्व वाली मिर्जापुर एनर्जी यूपी प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया गया है.
21 अगस्त, 2014 की तारीख वाली पर्यावरण मंजूरी को रद्द कर दिया गया क्योंकि यह पाया गया कि पर्यावरण मंजूरी देने की प्रक्रिया में गड़बड़ी थी. क्षेत्र के किसानों ने कंपनी पर उनकी सहमति के बिना जबरन उनकी जमीन की रजिस्ट्री करने का भी आरोप लगाया था.