भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी के सदस्य कोबाड गांधी को छह मामलों में ज़मानत दे दी गई.
माओवादी विचारक कोबाड गांधी को विशाखापटनम सेंट्रल जेल से मंगलवार शाम को रिहा कर दिया गया. कोबाड गांधी को 66 साल की उम्र में उन पर चल रहे छह बड़े मामलों में ज़मानत मिलने के बाद रिहा किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़ ज़मानत मिलने के बाद कोबाड गांधी मुंबई स्थित अपने घर के लिए रवाना हो गए हैं. कोबाड को साल 2009 में 20 सितंबर को आंध्र प्रदेश पुलिस और दिल्ली पुलिस के विशेष दल ने गिरफ़्तार किया था. इसके बाद उन्हें तिहाड़ जेल समेत कई जेलों में रखा जा चुका है.
साल 2008 में ग्रेहाउंड कमांडोज़ टीम हमले के मुख्य आरोपी कोबाड गांधी को इसी साल अप्रैल माह से विशाखापटनम सेंट्रल जेल में रखा गया था.
एक अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार गांधी को चार मामलों में बरी कर दिया गया था और शेष दो मामलों में जमानत दे दी गई थी.
गांधी को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के केंद्रीय समिति के सदस्य बताया जाता है, जोकि क़ानूनी रूप से प्रतिबंधित संगठन है. 8 साल से जेल में रह रहे कोबाड गांधी को गुर्दे की बीमारी, प्रोस्ट्रेट कैंसर, उच्च रक्तचाप, पीठ की समस्या सहित हृदय की बीमारी भी हो गई थी. गांधी जेल में कई महीनों से बीमार थे.
आंध्र प्रदेश पुलिस ने उनको हिरासत में लेने के बाद, अगस्त 2005 में पूर्व कांग्रेस विधायक सी. नरसी रेड्डी की हत्या के मामले में चेरलापल्ली सेंट्रल जेल में रखा था.
कोबाड गांधी आंध्र प्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, डी श्रीपाद राव की 1999 में हुई हत्या में भी आरोपी हैं.
उनके खिलाफ अधिकांश मामले विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और अवैध गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज थे. अधिकारियों ने बताया कि आंध्र प्रदेश में पुलिस उनके खिलाफ चार्जशीट दर्ज करने में विफल रही.
जब उन्हें सितंबर 2009 में गिरफ्तार किया गया, तब गांधी पर नई दिल्ली में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का नेटवर्क स्थापित करने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया था.
उन्हें जून, 2016 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा आतंक के आरोपों से बरी कर दिया गया था.
कोबाड गांधी ने देहरादून के दून स्कूल से पढ़ाई करने के बाद एलफिस्टन कॉलेज मुंबई में उच्च शिक्षा प्राप्त की है. 1960 के दशक के अंत में वह माओवादी विचारधारा से जुड़े.
वह महाराष्ट्र में सीपीआई (एमएल) (पीपुल्स वॉर) के सक्रिय सदस्य थे और पीपुल्स वॉर के भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) विचारधारा से जुड़ने के बाद साल 2004 से वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) पार्टी के सेंट्रल सदस्य रहे.