बांग्लादेश: मुख्य इस्लामिक पार्टी पर पूर्व पीएम हसीना द्वारा लगाया प्रतिबंध हटाया गया

पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की अवामी लीग सरकार ने 1 अगस्त को देश के आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी और उसकी छात्र शाखा पर यह आरोप लगाते हुए प्रतिबंध लगा दिया था कि उन्होंने छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन के दौरान घातक हिंसा को बढ़ावा दिया है.

बांग्लादेश में हुआ एक विरोध प्रदर्शन. (फोटो साभार: ढाका ट्रिब्यून)

नई दिल्लीः बांग्लादेश में प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने देश की मुख्य इस्लामी पार्टी बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी और उसकी छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिबिर पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है.

रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार ने 1 अगस्त को देश के आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी और उसकी छात्र शाखा पर यह आरोप लगाते हुए प्रतिबंध लगा दिया था कि उन्होंने छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन के दौरान घातक हिंसा को बढ़ावा दिया है. इन्हीं छात्र आंदोलन के परिणामस्वरूप हसीना शासन का पतन हुआ और शेख हसीना देश छोड़ने पर मजबूर हुईं. 

बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार, 8 अगस्त को बांग्लादेश के गृह मंत्रालय की एक गजट अधिसूचना में कहा गया कि ‘आतंकवादी गतिविधियों में जमात, शिबिर और उसके प्रमुख संगठनों की संलिप्तता का कोई विशेष सबूत नहीं है.’ 

आतंकवाद विरोधी अधिनियम 2009 की धारा 18 को लागू करते हुए यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले परिपत्र को रद्द कर दिया जिसमें जमात, शिबिर और उसके प्रमुख संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया था. प्रतिबंध हटने से जमात को बांग्लादेश की राजनीतिक प्रक्रिया और देश में अगला आम चुनाव कराने के लिए राजनीतिक बातचीत में भाग लेने की अनुमति मिल जाएगी. 

बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी, जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश नामक एक अन्य संगठन की एक शाखा है, जिसकी स्थापना 26 अगस्त, 1941 को लाहौर, पाकिस्तान में हुई थी. जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश ने अविभाजित पाकिस्तान की वकालत की थी. 1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद भी इसकी शाखा ने अविभाजित पाकिस्तान का समर्थन किया था. 

द हिंदू के अनुसार, बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के अमीर शफीकुर रहमान ने बुधवार (28 अगस्त) को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘राजनीति हमारे देश की दिशा तय करेगी. हम सभी ने अपने-अपने स्तर पर लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास किया है, लेकिन मैं सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि अब तक हम उन चुनौतियों से निपटने में सफल नहीं हुए हैं.’ 

रहमान ने आगे कहा कि मीडिया को संगठन को ‘निष्पक्ष दृष्टिकोण’ से देखना चाहिए. 

बांग्लादेश को एक बहुधार्मिक देश बताते हुए उन्होंने कहा, ‘बांग्लादेश- मुसलमानों, हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों और अन्य छोटे धार्मिक समूहों से बना है. मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि हम सभी धर्म के लोग मिल कर बांग्लादेश का गठन करते हैं.’