नई दिल्ली: महाराष्ट्र की महायुति सरकार के मंत्री और शिवसेना नेता तानाजी सावंत ने गुरुवार को कहा कि उनका एनसीपी नेतृत्व के साथ कभी तालमेल नहीं रहा और उनके करीब आने से ही उल्टी जैसा महसूस होता है.
सावंत ने कहा कि वह कैबिनेट में एनसीपी (अजित पवार) के बगल में बैठते हैं, लेकिन जब वह बैठक से बाहर आते हैं, तो उन्हें उल्टी हो जाती है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सावंत ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, ‘मैं अपने पूरे जीवन में एनसीपी के साथ कभी तालमेल नहीं बैठा पाया, हम एक-दूसरे के बगल में बैठते हैं, लेकिन जब हम बाहर आते हैं, तो हमें उल्टी हो जाती है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं एक कट्टर शिवसैनिक हूं. मैं अपने जीवन में कभी भी कांग्रेस और एनसीपी के साथ तालमेल नहीं बैठा पाया. मैं छात्र था, तब से ही मेरा तालमेल नहीं बैठा है. यह असलियत है. आज, भले ही मैं उनके (एनसीपी) साथ कैबिनेट में बैठता हूं, लेकिन बाहर आते ही मुझे उल्टी हो जाती है. मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता.’
भाजपा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी राज्य में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में साझेदार हैं.
शिवसेना नेता को बर्खास्त करने की मांग की
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीपी प्रवक्ता उमेश पाटिल ने कहा, ‘या तो वह पद पर बने रहें या एनसीपी. अगर उन्हें बर्खास्त नहीं किया जाता है, तो हमें महायुति कैबिनेट से इस्तीफा दे देना चाहिए. मैं अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित पवार और हमारे सभी वरिष्ठ नेताओं से कैबिनेट से इस्तीफा देने का अनुरोध करता हूं.’
पाटिल ने कहा कि सावंत को बर्खास्त किए जाने तक पवार को किसी भी कैबिनेट मीटिंग में शामिल नहीं होना चाहिए. पाटिल ने कहा, ‘हमारे मंत्रियों को भी सावंत को बर्खास्त किए जाने तक कैबिनेट मीटिंग का बहिष्कार करना चाहिए. हम सावंत की माफी या उनके बयान को स्वीकार नहीं करेंगे कि उनकी बातों का गलत अर्थ निकाला गया. हम चाहते हैं कि वह तुरंत कैबिनेट से बाहर हो जाएं.’
पाटिल ने कहा कि एनसीपी सत्ता के लिए बेताब नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हम ऐसे मंत्री के साथ काम नहीं कर सकते जो इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी करता है. वह महायुति कैबिनेट में रहने लायक मंत्री नहीं है…उसे तुरंत बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए.’
सावंत पर निशाना साधते हुए पाटिल ने कहा, ‘मुझे देश में ऐसा कोई राजनेता याद नहीं है जिसने साथी नेताओं के खिलाफ इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी की हो. सावंत एक क्रूर व्यक्ति हैं. अगर उन्हें पद पर बने रहने दिया गया तो इससे राजनेताओं की छवि खराब होगी. लोग राजनेताओं को अपनी सोसाइटी में फ्लैट खरीदने या उनके बीच रहने की अनुमति नहीं देंगे.’
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीपी (अजित पवार) प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) अमोल मिटकरी ने सावंत की टिप्पणी की निंदा की और पूछा कि क्या गठबंधन को बरकरार रखना केवल उनकी पार्टी की जिम्मेदारी है.
उन्होंने कहा कि सावंत ने पहले भी ऐसी टिप्पणियां की हैं, जिनसे एनसीपी को ठेस पहुंची है. मिटकरी ने कहा, ‘हम केवल गठबंधन धर्म निभाने के लिए चुप हैं.’
मिटकरी ने कहा, ‘तानाजी सावंत को नहीं पता कि उल्टी क्यों होती है. तानाजी सावंत स्वास्थ्य मंत्री हैं, स्वास्थ्य का इससे कुछ लेना-देना होगा. लेकिन महायुति में होने के नाते, अगर उन्हें उल्टी हो रही है, तो केवल एकनाथ शिंदे ही हमें बता सकते हैं कि इसका कारण क्या है.’
सावंत के बयानों से पहले भी विवाद हो चुके हैं. पिछले साल शिवसेना से राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री सावंत ने धाराशिव (उस्मानाबाद) जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से कहा था कि वह मुख्यमंत्री की बात भी नहीं सुनते, इसलिए अधिकारी को वही करना होगा जो सावंत कहेंगे.
इससे पहले मार्च में सावंत ने कहा था कि महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को गिराने के लिए शिवसेना विधायकों के एक वर्ग को मनाने के लिए देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के समर्थन से 100 से 150 बैठकें की गईं. सावंत ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने उन्हें 2019 में कैबिनेट में जगह नहीं दी और इससे नाराज होकर उन्होंने जनवरी 2020 में शिवसेना में बगावत कर दी. सावंत ने कहा कि उन्होंने धाराशिव जिला परिषद में भाजपा के साथ गठबंधन करके इसकी शुरुआत की.
महायुति गठबंधन – जिसमें भाजपा, शिवसेना का एकनाथ शिंदे गुट और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल है – आंतरिक विवादों और बढ़ते तनाव का सामना कर रहा है.
हाल ही में शिवसेना नेता रामदास कदम ने भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री रवींद्र चह्वाण को मुंबई-गोवा राजमार्ग की खराब स्थिति के लिए ‘बेकार मंत्री’ कहा था. इस टिप्पणी के बाद शिवसेना और भाजपा नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी.
इससे पहले बीते 18 अगस्त को उपमुख्यमंत्री अजित पवार की जन सम्मान यात्रा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं द्वारा काले झंडे दिखाए गए थे. अजित पवार जन सम्मान यात्रा के कार्यक्रम में पुणे जिले के जुन्नर तहसील पहुंचे थे, जहां कुछ लोगों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की और उन्हें काले झंडे दिखाए. इस विरोध का नेतृत्व भाजपा की स्थानीय नेता आशा बुचाके कर रहीं थीं.