संसदीय समिति में जातिगत जनगणना पर चर्चा के लिए विपक्ष की मांग को जदयू का समर्थन

अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण पर संसदीय समिति की पहली बैठक में जनता दल यूनाइटेड ने विपक्ष की इस मांग का समर्थन किया कि जातिगत जनगणना पर चर्चा की जाए. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में जदयू भाजपा का एक प्रमुख सहयोगी दल है.

जनता दल (यूनाइटेड) की बैठक की एक फाइल फोटो. (फोटो साभार: एक्स/@JDUOnline)

नई दिल्ली: जनता दल (यूनाइटेड) ने गुरुवार (29 अगस्त) को विपक्षी सदस्यों की इस मांग का समर्थन किया कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कल्याण पर संसदीय समिति की पहली बैठक में जातिगत जनगणना पर चर्चा हो. द वायर को इस संबंध में जानकारी प्राप्त हुई है.

इस महीने की शुरुआत में पुनर्गठित की गई समिति में 30 सांसद शामिल हैं और इसकी अध्यक्षता भाजपा सांसद गणेश सिंह कर रहे हैं. समिति ने 2024-25 के दौरान विस्तृत जांच के लिए विषयों के चयन पर चर्चा करने के लिए गुरुवार को अपनी पहली बैठक की थी.

सूत्रों ने द वायर को बताया कि जाति जनगणना पर चर्चा की मांग सबसे पहले द्रमुक सांसद टीआर बालू ने उठाई, उसके बाद कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर और फिर जदयू सांसद गिरिधारी यादव ने कहा कि जाति जनगणना पर चर्चा होनी चाहिए.

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार में जदयू भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एक प्रमुख सहयोगी दल है. 2024 के लोकसभा चुनावों में 240 सीट जीतकर अपने दम पर बहुमत न जुटा सकी भाजपा, सरकार में बने रहने के लिए अपने गठबंधन सहयोगियों पर निर्भर है.

12 सांसदों के साथ जदयू और 16 सांसदों के साथ तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) भाजपा के महत्वपूर्ण गठबंधन सहयोगी हैं.

सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान विपक्षी सदस्यों ने जल्द ही जनगणना कराए जाने की संभावना संबंधी मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया.

बताया जा रहा है कि विपक्षी सदस्यों ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों को समिति में बुलाया जाना चाहिए और इस बात पर चर्चा होनी चाहिए कि जनगणना कब होगी और इसके लिए क्या तैयारियां हैं.

उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की मांग की कि क्या जनगणना के साथ-साथ जातिगत जनगणना भी कराई जाएगी.

द वायर को सूत्रों से पता चला है कि समिति के अध्यक्ष सिंह ने जनगणना को चर्चा के विषयों में से एक बनाने पर सहमति जताई है.

द हिंदू ने इस महीने की शुरुआत में अपनी रिपोर्ट में बताया था कि जहां 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना में देरी हुई है और केंद्र सरकार ने अब तक यह तय नहीं किया है कि इसे कब कराया जाएगा, वहीं जाति के कॉलम को इसमें शामिल करने के लिए डेटा संग्रह का विस्तार करने हेतु सक्रिय चर्चा भी चल रही है.

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन में रहते हुए जदयू ने राज्य में एक जाति सर्वेक्षण भी कराया था.

पार्टी ने दोहराया है कि एक सामाजिक न्याय की पक्षधर पार्टी होने के नाते वह एनडीए में वापस शामिल होने के बावजूद राष्ट्रव्यापी जातिगत जनगणना की अपनी मांग से पीछे नहीं हटेगी.

जाति जनगणना की मांग विपक्षी दलों की ओर से लगातार की जा रही है और 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी इस मुद्दे को उठाया गया था. पिछले महीने ही लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बजट पर चर्चा के दौरान अपने भाषण में इस मांग को दोहराया था.

सूत्रों ने बताया कि गुरुवार को संसदीय समिति की बैठक में विपक्षी सदस्यों ने यह भी मांग की कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को चर्चा सूची में पहला विषय बनाया जाए.

बताया जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी सहित विपक्षी सदस्यों ने कहा कि यह पता लगाने की जरूरत है कि कितने वर्ग पिछड़े हैं और उनका सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन कितना है.

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