नई दिल्ली: हरियाणा में गोरक्षकों के एक समूह ने एक 23 वर्षीय बंगाली प्रवासी मजदूर की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी. आरोपियों ने इससे पहले मृतक को अपने घर पर मांस रखने के लिए धमकाया था.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सूत्र ने बताया कि साबिर मलिक की 27 अगस्त को हत्या कर दी गई थी और शुक्रवार सुबह उसका शव दक्षिण 24-परगना स्थित उसके घर पहुंचा.
हरियाणा पुलिस ने घटना के संबंध में हत्या का मामला दर्ज कर लिया है. साबिर के एक रिश्तेदार द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में हत्या के लिए कथित गौरक्षकों को जिम्मेदार ठहराया गया है.
साबिर दक्षिण 24-परगना के जिबंतला का रहने वाला था. वह पिछले तीन सालों से अपनी पत्नी के साथ हरियाणा के बधरा में रह रहा था और कबाड़ बीनने का काम कर रहा था.
परिवार के एक सदस्य के अनुसार, 27 अगस्त की दोपहर को तीन युवकों का एक समूह साबिर के घर गया और उससे बड़हरा बस स्टैंड से कबाड़ खरीदने के लिए साथ चलने का अनुरोध किया.
पीड़ित के चाचा बाबर अली मलिक ने कहा, ‘वह उनके साथ गया, लेकिन 27 अगस्त की शाम तक घर नहीं लौटा. अगले दिन मुझे हरियाणा के एक पुलिस अधिकारी का फोन आया, जिसने मुझे बताया कि साबिर का शव पास के इलाके से बरामद किया गया है. उन्होंने मुझे यह भी बताया कि उसे अज्ञात व्यक्तियों ने पीट-पीटकर मार डाला है.’
बाबर ने कहा, ‘हमारे इलाके में कुछ रिश्तेदार हैं और उन्होंने बाद में संदिग्धों में से एक की पहचान गोरक्षक समूह से संबंधित व्यक्ति के रूप में की. उस व्यक्ति ने पहले भी उन्हें मांस खाने के लिए धमकाया था. चूंकि मेरा भतीजा बंगाली बोल रहा था, इसलिए उस पर बांग्लादेशी होने का भी झूठा संदेह था.’
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, एफआईआर में कहा गया कि 27 अगस्त की सुबह कुछ युवक बधरा गांव के पास झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले कबाड़ व्यापारी साबिर के पास आए और उसे स्थानीय बस स्टैंड पर ले गए और दावा किया कि उनके पास कुछ कबाड़ है. आरोपियों ने एक अन्य प्रवासी, असम के मूल निवासी असीरुद्दीन को भी बस स्टैंड पर बुलाया और कथित तौर पर वहां दोनों की पिटाई की. जब राहगीरों ने हस्तक्षेप किया, तो वे दोनों को अपनी मोटरसाइकिलों पर किसी अन्य स्थान पर ले गए. बाद में, साबिर को भांडवा गांव में एक नहर के पास मृत पाया गया. असीरुद्दीन को एक अन्य स्थान पर फेंका गया और वर्तमान में अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है.
साबिर के परिवार में उनकी पत्नी और दो साल की बेटी है.
चरखी दादरी की पुलिस अधीक्षक पूजा वशिष्ठ ने अखबार को बताया कि आरोपी गोरक्षक दल के सदस्य थे और उन्होंने पीड़ितों की पिटाई की क्योंकि उन्हें संदेह था कि उन्होंने गोमांस खाया है. वशिष्ठ ने कहा कि जब गिरोह दोनों की पिटाई कर रहा था, तब बीच-बचाव करने वाले लोगों ने हमले का वीडियो बनाया था, लेकिन पुलिस को इसकी सूचना नहीं दी.
आरोपियों की पहचान अभिषेक, रविंदर, मोहित, कमलजीत और साहिल के रूप में हुई है.
मामले में शिकायतकर्ता साबिर के बहनोई सुजाउद्दीन ने कहा कि वह अपने पिता और बहन के परिवार के साथ पिछले पांच सालों से झुग्गी-झोपड़ी इलाके में रह रहे हैं, लेकिन उन्हें पहले कभी ऐसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. 20 वर्षीय सुजाउद्दीन और उनके पिता सुबह कूड़ा बीनने के काम से घर लौट रहे थे, तभी गोरक्षक दल ने उनसे कहा कि उन्होंने गोमांस खाया है और उन्हें बड़हरा पुलिस थाने ले गए.
सुजाउद्दीन ने कहा, ‘मैं पुलिस थाने में था, तभी मेरी बहन ने मुझे फोन करके बताया कि कुछ लोग आए हैं और उसके पति को कबाड़ बेचने के बहाने अपने साथ ले गए हैं. मैंने तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी. बाद में उन्हें नहर के पास मृत पाया गया.’
उन्होंने कहा कि वे अपने बहनोई के लिए न्याय चाहते हैं और आरोपियों के लिए सख्त से सख्त सजा की मांग की.
वहीं, पश्चिम बंगाल प्रवासी श्रमिक विकास बोर्ड के अध्यक्ष समीरुल इस्लाम ने साबिर की हत्या की निंदा की.
द टेलीग्राफ के अनुसार, समीरुल, जो तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य भी हैं, ने कहा, ‘बंगाल से आए प्रवासी मजदूरों के लिए भाजपा शासित राज्यों में काम करना ख़तरा बन गया है. भाजपा शासित हरियाणा या ओडिशा जैसे राज्यों में बंगाली बोलना ख़तरनाक है क्योंकि गोरक्षकों जैसे आक्रामक समूह उन्हें बांग्लादेशी मानते हैं. हम मांग करते हैं कि बंगाल के लोग पार्टी लाइन से ऊपर उठकर, ऐसी क्रूरता के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के लिए एकजुट हों.’
उन्होंने कहा, ‘हमने देखा है कि हाल ही में बंगाल के प्रवासी श्रमिकों को ओडिशा में सिर्फ इसलिए प्रताड़ित किया गया क्योंकि वे बंगाली बोल रहे थे.’
मालूम हो कि हाल ही में ओडिशा के संबलपुर जिले में भाजपा कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेशी होने के संदेह में बंगाल के 34 मज़दूरों को प्रताड़ित किया था. सभी मूल रूप से पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद क्षेत्र के थे और कुछ महीनों से पश्चिमी ओडिशा के शहर बुधराजा क्षेत्र में निर्माण स्थल पर काम कर रहे थे.