सिख विरोधी दंगे: कोर्ट का सीबीआई को कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर पर आरोप तय करने का आदेश

31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे. यह मामला 1 नवंबर 1984 को दिल्ली के आज़ाद मार्केट स्थित गुरुद्वारा पुल बंगश में भीड़ द्वारा आग लगाने और तीन लोगों की मौत से संबंधित है. टाइटलर पर भीड़ को उकसाने का आरोप है.

जगदीश टाइटलर. (फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: दिल्ली की एक निचली अदालत ने शुक्रवार (30 अगस्त) को सीबीआई को 40 साल पुराने सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया. यह दंगे 31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के एक दिन बाद शुरू हुए थे.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने कहा कि तीन सिखों की हत्या के मामले में आरोपियों के खिलाफ मामला आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार हैं और सीबीआई को आरोप तय करने का निर्देश दिया.

एजेंसी ने पिछले साल टाइटलर के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 1 नवंबर 1984 को दिल्ली के गुरुद्वारा पुल बंगश में एकत्रित भीड़ को उकसाया और भड़काया, जिसके परिणामस्वरूप तीन सिखों की हत्या कर दी गई.

एजेंसी ने टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत दंगा और हत्या के आरोप लगाए हैं.

सीबीआई ने 22 नवंबर 2005 को सरदार ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरचरण सिंह की मौत के संबंध में मामला दर्ज किया था. उनकी मौत 1 नवंबर 1984 को भीड़ द्वारा एक गुरुद्वारे में आग लगा देने से हुई थी.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय एजेंसी ने प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों को भी आरोपपत्र में शामिल किया, जिन्होंने पुष्टि की कि कांग्रेस नेता दंगों के दौरान उस स्थान पर मौजूद थे, जहां तीन लोग मारे गए थे.

एजेंसी ने कहा कि उसके पास आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सामग्री है.

बता दें कि वर्ष 2000 में भारत सरकार द्वारा सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए जस्टिस नानावती आयोग की स्थापना की गई थी. आयोग की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद गृह मंत्रालय ने तत्कालीन सांसद और अन्य के खिलाफ मामले की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश जारी किए थे.

सीबीआई ने 22 नवंबर 2005 को तत्काल मामला दर्ज किया था. यह मामला 1 नवंबर 1984 को राष्ट्रीय राजधानी के आजाद मार्केट में गुरुद्वारा पुल बंगश में भीड़ द्वारा आग लगाने और तीन लोगों की मौत से संबंधित था.

सीबीआई ने आरोप-पत्र में दावा किया कि जांच के दौरान ऐसे साक्ष्य मिले कि घटना वाले दिन तत्कालीन सांसद टाइटलर ने गुरुद्वारा पुल बंगश में जमा हुई भीड़ को कथित रूप से उकसाया और भड़काया, जिसके परिणामस्वरूप धार्मिक स्थल में आग लगा दी गई. भीड़ ने सरदार ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरचरण सिंह नाम के तीन व्यक्तियों को भी जलाकर मार डाला, जिसके बाद दुकानों में लूटपाट और आगजनी भी की गई.

जांच के हिस्से के रूप में सीबीआई ने दंगों के दौरान 40 साल पहले दिए गए एक भाषण की रिकॉर्डिंग के साथ जांच के लिए टाइटलर की आवाज के नमूने एकत्र किए थे.

एजेंसी ने पहले इस मामले में टाइटलर को क्लीनचिट दे दी थी, लेकिन 2015 में अदालत के आदेश पर मामले को फिर से खोलना पड़ा.

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में सिख विरोधी दंगों के मामले में टाइटलर ने सहभागिता होने की बात से बहुत बार इनकार किया है. उन्हें सीबीआई से इसी मामले में 3 बार क्लीनचिट मिल चुकी है. मामले से जुड़े पीड़ितों ने सीबीआई की रिपोर्ट को अदालत में चुनौती दी थी.