नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख़ों में बदलाव किया गया है. शनिवार (31 अगस्त) को चुनाव आयोग ने सूचना दी कि हरियाणा में मतदान 1 अक्टूबर की जगह अब 5 अक्टूबर को होगा.
इसके साथ ही मतगणना की तारीख़ को भी आगे बढ़ा दिया गया है. पहले जम्मू–कश्मीर विधानसभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव के मतों की गिनती 4 अक्टूबर को होनी थी, लेकिन अब मतगणना का कार्य 8 अक्टूबर को होगा.
क्यों हुआ ऐसा?
चुनाव आयोग ने यह फ़ैसला हरियाणा के आगामी त्योहार के मद्देनज़र लिया है. दरअसल, बिश्नोई समुदाय के लोग अपने समाज के संस्थापक गुरु जम्बेश्वर की याद में आसोज अमावस्या उत्सव मनाते हैं.
इस वर्ष आसोज अमावस्या 1 अक्टूबर को रात 9:39 बजे से लेकर 3 अक्टूबर की रात 12:18 मिनट तक रहने वाली है.
इस मौक़े पर देशभर के बिश्नोई समुदाय के लोग राजस्थान के बीकानेर में मुकाम नामक गांव में इकट्ठा होते हैं, जहां गुरु जम्बेश्वर को समाधि दी गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस ने चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि चुनाव की तारीख़ों को आगे बढ़ाने का निर्णय बिश्नोई समुदाय की ओर से मिले एक ज्ञापन के बाद लिया गया है, जिसमें कहा गया था कि बिश्नोई समाज के लोगों को 300 साल पुराने आसोज अमावस्या उत्सव में भाग लेने के लिए राजस्थान की यात्रा करनी होगी. ऐसे में सिरसा, फतेहाबाद और हिसार में रहने वाले हजारों बिश्नोई समुदाय के मतदाता, मतदान के अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.
चुनाव आयोग ने तारीख़ बदलने की प्रेस विज्ञप्ति में कहा है, ‘हमें राष्ट्रीय राजनीतिक दलों, स्थानीय राजनीतिक दलों और अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा से ज्ञापन प्राप्त हुए हैं. इससे (त्योहार की वजह से) बड़ी संख्या में लोग मतदान के अधिकार से वंचित हो सकते हैं और हरियाणा विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी कम हो सकती है.’
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) ने हरियाणा में चुनाव को एक सप्ताह के लिए स्थगित करने के लिए आयोग को पत्र लिखा था, जिसमें मूल मतदान तिथि के आसपास कई छुट्टियों के कारण कम मतदान की चिंता का हवाला दिया गया था.
हालांकि, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने इस कदम का विरोध किया था.
इंडियन एक्सप्रेस ने चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ सूत्र के हवाले से लिखा है कि पिछले महीने जब मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू हरियाणा में चुनावी तैयारियों की समीक्षा करने और राजनीतिक दलों से मिलने आए थे, तब इन मुद्दों को नहीं उठाया गया था. चुनाव आयोग ने राजपत्रित और अनिवार्य छुट्टियों को ध्यान में रखते हुए ही चुनाव कार्यक्रम बनाया था.
पहले भी हो चुका है ऐसा
यह पहली बार नहीं है जब चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीखें बदली हैं. 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान गुरु रविदास जयंती के लिए वाराणसी जाने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए मतदान एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया था.
इसी तरह, 2022 के मणिपुर चुनावों में मतदान की तारीख को संशोधित किया गया था क्योंकि वह रविवार को थी, जब ईसाई चर्च जाते हैं.
वर्ष 2023 के राजस्थान चुनावों को भी पुनर्निर्धारित किया गया था क्योंकि इसकी तारीख देवउठनी एकादशी से टकरा रही थी, जिस दिन राज्य में सामूहिक विवाह होते हैं.
2012 में यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान पैगंबर मुहम्मद की मृत्यु के प्रतीक बारावफात के कारण मतदान पुनर्निर्धारित किया गया था.