नई दिल्ली: गुजरात में भारी बारिश और बाढ़ के कारण स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की ओर जाने वाली सड़क का कुछ हिस्सा बह गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़, बुधवार (28 अगस्त) को दभोई रोड स्थित राजवी क्रॉसिंग के पास राजमार्ग पर बड़ी दरारें आ गईं, जिसके कारण सड़क को आम जनता के लिए बंद कर दिया गया.
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने आने वाले लोगों की वजह से इस सड़क पर यातायात काफी अधिक रहता है. सड़क को हुए नुकसान का तात्कालिक कारण धाधर नदी का पानी लग रहा है, जिसके उफान के कारण सड़क के कई हिस्से बह गए हैं. यात्रियों के लिए सड़क का दूसरा हिस्सा अभी भी खुला है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में स्थानीय निवासियों का बयान भी छपा है, जिनका कहना है कि क्षतिग्रस्त सड़क का निर्माण कुछ महीने पहले ही हुआ था.
The road leading to the Statue of Unity from Vadodara is into pieces. pic.twitter.com/06DvOJPks2
— Our Vadodara (@ourvadodara) August 28, 2024
गुजरात में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश हो रही है, जिसके कारण बाढ़ आ गई है. भारतीय मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि तटीय राज्य में आने वाले दिनों में और अधिक बारिश होने की संभावना है.
द मिंट ने विभिन्न रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि राज्य में कई नदियां और जलाशय उफान पर हैं. अजवा और प्रतापपुरा जलाशयों का पानी विश्वामित्री नदी में छोड़ा गया था, जिससे निचले इलाकों में जलभराव हो गया.
बाढ़ से करीब 3 दर्जन मौतों की खबरें हैं, वहीं तटीय राज्य के बाढ़ प्रभावित इलाकों से करीब 8,500 लोगों को बचाया गया है और उन्हें दूसरे स्थानों पर भेजा गया है.
बता दें कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ‘भारत के लौह पुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा है, जो गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के पास स्थापित है. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण 31 अक्टूबर, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की 143वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए किया था.
यह प्रतिमा 182 मीटर (597 फीट) की ऊंचाई के साथ दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है. 2,989 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को पूरा करने में 42 महीने लगे थे. 3,400 मजदूरों और 250 इंजीनियरों ने दिन–रात काम किया था.
प्रतिमा की आधारशिला अक्टूबर 2013 में मोदी ने ही रखी थी, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
इस प्रतिमा को क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों और किसानों की ओर से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था. वह परियोजना की भारी लागत के साथ–साथ भूमि अधिग्रहण के भी खिलाफ थे.
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के अनावरण वाले दिन कई गांव बंद रहे थे. शोक के प्रतीक के रूप में घरों की रसोई में चूल्हे नहीं जलाए गए थे. परंपरागत रूप से, मृतकों के शोक में कोई खाना नहीं पकाया जाता है.
साधु बेट द्वीप पर स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से कम से कम 72 गांवों के 75,000 लोग प्रभावित हुए थे. यह सरदार सरोवर परियोजना से तीन किमी दूर है और बांध को सहारा देने वाले गरुड़ेश्वर बांध के भीतर है.