नई दिल्ली: पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (पीयूसीएल) ने जयपुर के सांगानेर स्थित संपूर्णानंद ओपन जेल की ज़मीन को सेटेलाइट अस्पताल के लिए चिकित्सा विभाग को आवंटित करने पर आपत्ति जताई है.
पीयूसीएल की मांग है कि ज़मीन को तुरंत ओपन कैंप (जेल) को वापस किया जाए और अस्पताल को कहीं और बनाया जाए.
पीयूसीएल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि संपूर्णानंद ओपन जेल की 3.04 हेक्टेयर (30,400 वर्ग मीटर) ज़मीन में से 2.2 हेक्टेयर (21,948 वर्ग मीटर) ज़मीन चिकित्सा विभाग को आवंटित की गई है.
पीयूसीएल ने स्पष्ट किया है, ‘पीयूसीएल का यह उद्देश्य नहीं है कि सांगानेर में एक सार्वजनिक अस्पताल की स्थापना को रोका जाए. हम सांगानेर के लोगों की कठिनाइयों और समस्याओं के प्रति पूरी सहानुभूति रखते हैं, विशेषकर जब क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों की कमी है. बात यह है कि अस्पताल की स्थापना ओपन कैंप (जेल) की ज़मीन को छीनकर नहीं की जानी चाहिए.’
‘क़ैदियों की कमजोरी का फायदा उठा रही है सरकार’
पीयूसीएल के अनुसार, जिस भूमि पर खुली जेल पिछले छह दशकों से चल रही है, उसे इतनी आसानी से छीन लिया गया क्योंकि राजस्थान सरकार की शायद यह धारणा है कि कैदियों को इतनी बड़ी जगह की जरूरत नहीं है, वे छोटे स्थानों में रह सकते हैं और अमानवीय परिस्थितियों में जी सकते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें पता था कि कैदी राज्य के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाएंगे, क्योंकि वे ओपन जेल में रहने और अपने परिवारों के साथ रहने की स्वतंत्रता खोना नहीं चाहेंगे. राज्य ने कैदियों की इस कमजोरी का फायदा उठाया.
खुली जेल को 1963 में ज़मीन आवंटित की गई थी. पीयूसीएल का मानना है कि ‘राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा बटोरने वाली खुली जेल की भूमि पर इस तरह से कब्जा करना, भारत की सबसे बेहतरीन खुली जेल संस्था को समाप्त करने का प्रयास है.’
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना
पीयूसीएल का कहना है कि राजस्थान सरकार भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना कर रही है.
पीयूसीएल ने प्रेस में जारी बयान में कहा है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सिविल रिट याचिका संख्या 1082/2020 सुभाष चकमा बनाम भारत सरकार और अन्य में 17 मई 2024 को अपने आदेश के बिंदु क्रमांक ‘9’ में स्पष्ट रूप से कहा था, ‘…हमें यह भी सूचित किया गया है कि जयपुर के सांगानेर खुली हवाई शिविर का क्षेत्रफल कम करने का प्रस्ताव है. इसलिए हम निर्देश देते हैं कि जहां भी खुली जेल/संस्थाएं/कारागार संचालित हो रहे हैं, वहां क्षेत्रफल में किसी भी प्रकार की कमी का प्रयास नहीं किया जाएगा.’
राज्य सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती देगा पीयूसीएल
पीयूसीएल का कहना है कि राजस्थान सरकार ने स्पष्ट रूप से अदालत की अवमानना की है. अब पीयूसीएल ने तय किया है कि वह और अन्य संगठन या तो न्याय मित्र की सहायता करेंगे या फिर हस्तक्षेपकर्ता के रूप में उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में इसे चुनौती देंगे.
जेल में कितने क़ैदी
10 दिसंबर 2023 को पीयूसीएल ने खुली जेल में एक सर्वे किया था. उस समय वहां 423 कैदी (400 पुरुष और 23 महिला) थे. उस दिन खुली जेल के परिसर में कुल 633 लोग रह रहे थे, जिसमें कैदियों के परिवार के सदस्य भी शामिल थे. यह संख्या समय–समय पर बदलती रहती है. कभी–कभी पूरा परिवार आकर रहता है, तो कभी सिर्फ कुछ सदस्य ही आते हैं. कई बार कैदी अकेला जीवन जीते हैं, बिना किसी परिवार के.