नई दिल्ली: राजस्थान हाईकोर्ट ने एक वकील द्वारा सुप्रीम कोर्ट में राज्य के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) के पद पर पद्मेश मिश्रा की नियुक्ति को चुनौती दिए जाने के बाद राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. वे सर्वोच्च अदालत के जज- जस्टिस पीके मिश्रा के बेटे हैं,
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट में जस्टिस अनिल कुमार उपमन की पीठ ने हाल ही में इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब तलब किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता का कहना है कि पद्मेश मिश्रा के पास राज्य मुकदमेबाजी नीति (State Litigation Policy) 2018 के अनुसार, इस पद के पात्र होने के लिए आवश्यक अनुभव नहीं है, बावजूद इसके सरकार द्वारा उन्हें अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया.
मालूम हो कि उक्त नीति की धारा 14, जो राज्य के लिए वकील की नियुक्ति का प्रावधान करती है, के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में पैनल वकील के रूप में नियुक्ति के लिए न्यूनतम पांच वर्ष और राज्य अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में नियुक्ति के लिए दस वर्ष का अनुभव आवश्यक है.
याचिकाकर्ता के मुताबिक, पद्मेश मिश्रा के नामांकन संख्या के अनुसार उनके पास बतौर अनुभव केवल पांच साल की प्रैक्टिस है.
अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने ये भी आरोप लगाया है कि विधि विभाग ने एक अधिसूचना के माध्यम से इस नीति में एक नई उप-धारा 14.8 पेश की, जिसमें प्रावधान किया गया कि नीति में निहित किसी भी नियम से इतर उचित स्तर के प्राधिकारी को संबंधित क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता पर विचार करने के बाद किसी भी पद पर किसी भी वकील को नियुक्त करने का अधिकार होगा.
लाइव लॉ की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नए नियम के बाद पद्मेश मिश्रा को सबसे पहले 20 अगस्त की एक अधिसूचना द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पैनल वकील के रूप में नियुक्त किया गया था. लेकिन सिर्फ तीन दिन बाद, ये अधिसूचना वापस ले ली गई और नीति में बदलाव के बाद में उनकी नियुक्ति के लिए 23 अगस्त को नई अधिसूचनाएं जारी की गईं.
याचिकाकर्ता ने अदालत से पद्मेश मिश्रा को राज्य अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में कार्य करने और नीति में बदलाव से संबंधित अधिसूचना पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह किया है.