नई दिल्ली: जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने रविवार (1 सितंबर) को पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि, वह पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक सलाहकार बने रहेंगे.
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद खान की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘नीतीश कुमार ने राजीव रंजन प्रसाद को राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया है. केसी त्यागी ने निजी कारणों से पार्टी के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है.’
त्यागी का इस्तीफा भाजपा के वैचारिक मुद्दों पर उनके कुछ आक्रामक रुख की पृष्ठभूमि में आया है. माना जा रहा है कि ‘संवेदनशील मुद्दों’ पर त्यागी के बयान ने पार्टी को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भीतर मुश्किल स्थिति में डाल दिया था.
अपने इस्तीफे की घोषणा के बाद त्यागी ने कहा कि वह पार्टी में बने रहेंगे क्योंकि नीतीश समाजवादी हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं पार्टी में राजनीतिक सलाहकार के तौर पर रहूंगा. नीतीश कुमार जब चाहें मुझे बुला सकते हैं. हमारा रिश्ता कई दशकों पुराना है. मैं हमेशा उनका सम्मान करूंगा.’
त्यागी ने कहा कि अब उनकी उम्र 75 साल हो गई है, ‘यह उम्र टेलीविजन चैनलों और प्रेस के बीच बने रहने में बाधा बन रही है. यही कारण है कि मैंने प्रवक्ता का पद छोड़ दिया.’
त्यागी ने इससे पहले 2021 में राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दे दिया था, जब आरसीपी सिंह जदयू अध्यक्ष थे. हालांकि, नीतीश ने जब देखा कि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विचारों का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं किया जा रहा है, तो उन्होंने केसी त्यागी को उसी वर्ष पुनः बहाल कर दिया था.
कारण कुछ और भी हैं?
हालिया इस्तीफे की घोषणा के बाद केसी त्यागी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘मैंने 1984 में अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता था और मुझे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के अनौपचारिक प्रेस सलाहकार के रूप में काम करने का सम्मान मिला था. मैंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी आइकन कर्पूरी ठाकुर जैसे लोगों के साथ काम किया है.
इस्तीफे का कारण पूछे जाने पर त्यागी ने कहा, ‘मैं एक नई टीम में था जिसमें नीतीश कुमार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और संजय कुमार झा राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हैं… मुझे लगा कि मैंने अपना काम काफी कर दिया है. अब पार्टी का बचाव करने के लिए कुछ भी नहीं है.’
जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘वह (केसी त्यागी) बहुत सम्मानित नेता हैं, लेकिन उन्होंने पार्टी लाइन के बारे में आलाकमान से पूछे बिना ही बयान जारी करना शुरू कर दिया था. लैटरल एंट्री, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) आदि बहुत संवेदनशील मुद्दे हैं. पार्टी नेतृत्व की राय लिए बिना जारी किए गए कड़े बयान गठबंधन में परेशानी पैदा कर सकते हैं.’
गौरतलब है कि 10 दिन पहले, जब लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने यूपीएससी द्वारा लैटरल एंट्री पर जारी विज्ञापन पर आपत्ति व्यक्त की थी और कहा था कि उनकी पार्टी इस कदम के ‘बिल्कुल समर्थन में नहीं है’, तब त्यागी ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा था कि सरकार ने ‘विपक्ष के हाथ में एक हथियार’ दे दिया है और यह कदम ‘राहुल गांधी को दलित वर्गों का चैंपियन’ बना देगा.
सरकार ने आखिरकार विज्ञापन वापस ले लिया, जिसके बारे में त्यागी ने कहा कि यह ‘नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सामाजिक न्याय की राजनीति की जीत’ है.
इस मामले को सप्ताह भर भी नहीं बीता था कि त्यागी ने विपक्ष के साथ मिलकर इज़रायल-हमास संघर्ष को लेकर बयान जारी कर दिया. संयुक्त बयान में भारत से इजरायल को हथियार बेचना बंद करने को कहा गया. इस बयान पर केसी त्यागी के अलावा समाजवादी पार्टी (सपा) के जावेद अली, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के सांसदों और नेताओं ने हस्ताक्षर किए.
त्यागी के बयान से एनडीए में थी खलबली
एनडीए में जदयू की वापसी के बाद भी केसी त्यागी भाजपा की नीतियों की खुलकर आलोचना कर रहे थे. माना जा रहा है कि इसी वजह से त्यागी को पद छोड़ना पड़ा.
जदयू के एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है, ‘कई बार वक्फ, जाति जनगणना और एससी/एसटी उप-वर्गीकरण जैसे हाल के विवादास्पद मुद्दों पर उनके बयान पार्टी को पसंद नहीं आए. सीएम के इर्द-गिर्द नेताओं का एक समूह भी त्यागी के महत्वपूर्ण पद छोड़ने के लिए जिम्मेदार हो सकता है.’
इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है, ‘पटना में जदयू के सूत्रों ने संकेत दिया कि त्यागी कुछ विवादास्पद विषयों पर पार्टी का बचाव करने में असहज महसूस कर रहे थे, विशेष रूप से इस वर्ष की शुरुआत में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए में पार्टी की वापसी के बाद से.’
किताब लिख रहे हैं केसी त्यागी
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में त्यागी ने यह भी बताया है कि वह वर्तमान में ‘माई प्रेसिडेंट्स’ नामक पुस्तक पर काम कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने उन नेताओं के बारे में बताया है, जिनके साथ काम किया है. उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में चौधरी चरण सिंह और जॉर्ज फर्नांडिस से लेकर शरद यादव और नीतीश कुमार तक कई समाजवादी नेताओं के बारे में बताया गया है.
यह पूछे जाने पर कि क्या जदयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह और आरसीपी सिंह भी इसका हिस्सा होंगे, त्यागी ने कहा, ‘नहीं. किताब का अंत पार्टी में मेरे नेता नीतीश कुमार के साथ होता है.’