मणिपुर में विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान आज

मणिपुर की साठ सदस्यीय विधानसभा के लिए पहले चरण का मतदान चार मार्च यानी आज है. पहले चरण में 38 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे.

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मणिपुर की साठ सदस्यीय विधानसभा के लिए पहले चरण का मतदान चार मार्च यानी आज है. पहले चरण में 38 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे.

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(फाइल फोटो: पीटीआई)

इन 38 सीटों पर मतदान कराने के लिए 1,643 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. पहले चरण में कुल 168 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. इनमें से सात महिलाएं हैं. मतदाताओं की कुल संख्या 19,02,562 है जिनमें से 9,28,562 पुरुष और 9,73,989 महिलाएं हैं. नए मतदाताओं की संख्या 45,642 है.

इसके अलावा सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र चूराचांदपुर और सबसे छोटा केइशामथोंग है. दूसरे चरण के चुनाव आठ मार्च को होंगे इस चरण में 22 सीटों के लिए लोग मतदान करेंगे. भाजपा ने जहां सभी 60 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं वहीं कांग्रेस से 59 प्रत्याशी मैदान में हैं.

क्या हैं मुख्य मुद्दे

कुल 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव की दौड़ में शामिल सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपना चुनाव प्रचार मुख्यत: यूनाइटेड नगा काउंसिल द्वारा लागू आर्थिक नाकेबंदी और इसे तोड़ने में राज्य सरकार की नाकामी पर फोकस किया है.

कथित विकास की कमी, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, कोषों का दुरुपयोग और राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों कोे भी राजनीतिक पार्टियों ने उठाया है.

इसके अलावा चूराचांदपुर ज़िला अस्पताल के मुर्दाघर में करीब पिछले 550 दिनों से आठ लाशें दफनाए जाने का इंतज़ार कर रही हैं. इस बार के चुनाव में इस क्षेत्र में यह प्रमुख मुद्दा है.

न्याय की मांग को लेकर रखी गईं ये लाशें इस बार मणिपुर विधानसभा में विभिन्न सियासी दलों के समीकरण को बिगाड़ भी रही हैं.

दरअसल, 31 अगस्त 2015 को को मणिपुर विधानसभा द्वारा तीन विधेयक- मणिपुर जन संरक्षण विधेयक-2015, मणिपुर भू-राजस्व एवं भूमि सुधार (सातवां संशोधन) विधेयक-2015 और मणिपुर दुकान एवं प्रतिष्ठान (दूसरा संशोधन) विधेयक-2015 पारित किए गए थे.

मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने इन कानूनों का पहाड़ी क्षेत्र की आदिवासी जातियों ने विरोध किया था. इन आदिवासियों को डर था कि नया कानून आने के बाद पहाड़ी क्षेत्र में ग़ैर-आदिवासी बसने लगेंगे, जिन पर अभी रोक लगी है. पहाड़ी क्षेत्र के लोग ज़्यादा स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं. मारे गए लोग इसी के लिए हो रहे प्रदर्शन का हिस्सा थे.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत पार्टी के कई नेताओं ने वर्ष 2015 में केंद्र सरकार और एनएससीएन (आईएम) के बीच हुए नगा फ्रेमवर्क समझौता की गोपनीय प्रकृति और सामग्री पर सवाल उठाए हैं.

भाजपा नेताओं ने राज्य के दो राष्ट्रीय राजमार्गों पर तीन महीने से अधिक समय से चल रही आर्थिक नाकेबंदी को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधा. वहीं कांग्रेस ने कहा है कि सरकार ने अपने 15 साल के शासन में कई विकास परियोजनाएं कार्यान्वित कीं और बिजली आपूर्ति में सुधार किया.

मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने अपनी हालिया चुनावी रैली में आरोप लगाया कि भाजपा कांग्रेस द्वारा शुरू एवं उद्घाटित की गई रेल परियोजनाओं और उसे जैसी दूसरी परियोजनाओं का श्रेय लेना चाहती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)