राजस्थान सरकार का आदेश, सरकारी लेटर पैड पर होगा दीनदयाल उपाध्याय का लोगो

कांग्रेस ने कहा कि भाजपा पार्टी के अंदर जिस तरह चाहे अपने नेता को याद करे, लेकिन सरकार को इससे जोड़ना नियमों के विरुद्ध. आदेश के ख़िलाफ़ जाएगी कोर्ट.

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कांग्रेस ने कहा कि भाजपा पार्टी के अंदर जिस तरह चाहे अपने नेता को याद करे, लेकिन सरकार को इससे जोड़ना नियमों के विरुद्ध. आदेश के ख़िलाफ़ जाएगी कोर्ट.

vasundhara Deendayal Upadhyay
फोटो: पीटीआई

बीते कई महीनों में विभिन्न सरकारी फैसलों पर हुए विवादों के बाद राजस्थान सरकार का एक नया फैसला फिर चर्चा में है. मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार 11 दिसंबर की तारीख के एक शासनादेश के अनुसार अब सरकारी पत्राचार के लिए इस्तेमाल में आने वाले लेटर पैड पर भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय का लोगो लगाना होगा.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक गुरुवार को राज्य सरकार द्वारा सभी 72 विभागों, बोर्डों, निकायों, निगमों, स्वायत्त संस्थाओं को उनके पुराने छपे लेटर हैड पर दीनदयाल उपाध्याय का लोगो (तस्वीर) का स्टीकर लगवाना होगा. साथ ही आगे से जो स्टेशनरी छपवाई जाये, उस पर भी ये लोगो होना चाहिए.

11 दिसंबर की तारीख के इस शासनादेश पर प्रमुख सचिव के दस्तखत हैं और इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने की बात कही गयी है.

ज्ञात हो इसके बारे 7 दिसंबर को दैनिक भास्कर अख़बार द्वारा एक ख़बर प्रकाशित की गयी थी, जिसमें सरकार द्वारा दीनदयाल उपाध्याय को अपने लेटर हैड, शासकीय व अर्ध शासकीय पत्रों पर अशोक स्तंभ के बराबर लगाने के बारे में बताया गया था.

इस ख़बर में सरकार के हर सरकारी पत्र, दस्तावेज, स्टेशनरी आदि पर उपाध्याय का स्टीकर लगाने के बारे में बताने के बाद इसे लेकर कांग्रेस व अन्य पार्टियों के नेताओं ने इसका विरोध किया था.

नेताओं का कहना है कि यह अशोक स्तंभ का अपमान है, साथ ही अलोकतांत्रिक कदम है. कांग्रेस ने वसुंधरा सरकार पर संघ के एजेंडा को प्रशासन में लागू किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस तरह से शिक्षा का भगवाकरण किया गया, उसी तरह से अब प्रशासन का भगवाकरण करने का प्रयास किया जा रहा है.

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने इस फैसले की निंदा करते हुए कहा कि वसुंधरा सरकार उपाध्याय  को जबरन महापुरुष का दर्जा देने का प्रयास कर रही है.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट इसे नियमों के खिलाफ बताया है. उन्होंने कहा, ‘सरकार के लेटर हेड पर किसी ऐसे व्यक्ति की तस्वीर लगाना जो कभी किसी संवैधानिक पद पर न रहे हों, पूरी तरह से असंगत है. पार्टी के अंदर वे अपने नेता का जिस तरह चाहे याद कर सकते हैं, लेकिन सरकार में लाना नियमों के विरुद्ध है.’

न्यूज़18 के अनुसार कांग्रेस ने राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में अपील करने का फैसला किया है.

वहीं भाजपा द्वारा इस आदेश को दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष कमेटी के स्तर पर लिया फैसला बताकर बचाव किया जा रहा है.

साभार: न्यूज़18
साभार: न्यूज़18

दैनिक भास्कर की ख़बर के मुताबिक गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा, ‘सरकारी पत्रों पर फोटोयुक्त लोगो लगाकर सरकार पं. दीनदयाल उपाध्याय का सम्मान कर रही है. उपाध्याय ने जो कार्य किए हैं उसका सम्मान कर रहे हैं. कांग्रेस का काम ही विरोध करना है. कभी भगवाकरण का आरोप लगाती है. कांग्रेस और विरोध करने वाले लोगों को समय हो तो पहले पं. दीनदयाल को पढ़ना चाहिए कि वे कितनी विपरीत परिस्थितियों में आईएएस बने और नौकरी छोड़कर समाजसेवा से जुड़े. दीनदयाल जन्म शताब्दी वर्ष चल रहा है. सरकार और विधायकों ने तय किया है कि वे पत्रों मे दीनदयाल के फोटो का उपयोग करेंगे.

वहीं कांग्रेस के प्रदेश महासचिव ने भाजपा से जवाब मांगा है कि पहले सरकार यह स्पष्ट करे कि उपाध्याय का आज़ादी की लड़ाई और राष्ट्र निर्माण में क्या योगदान था? साथ ही भाजपा यह भी जनता के बीच खुलासा करे कि वह दीनदयाल को अशोक महान के समकक्ष मानती है. पंडित दीनदयाल को जबरन महापुरुष बनाने की यह सोच केवल व्यक्ति पूजा का उदाहरण है. यह राष्ट्रीय चिह्न का अपमान और असंवैधानिक है.

गौरतलब है कि इससे पहले अक्तूबर महीने में मानव संसाधन एवं विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अपने लेटर हेड पर दीनदयाल उपाध्याय का स्टीकर राष्ट्रीय प्रतीक के साथ प्रयोग करने की ख़बर आई थी.

उससे पहले भी भाजपा सरकार पर संघ के प्रचार के आरोप लगते रहे हैं. 22 सितंबर, 2017 को विदेश मंत्रालय ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट के होमपेज पर ‘इंटीग्रल ह्यूमनिज्म’ (एकात्म मानववाद) शीर्षक से एक ई-बुक अपलोड किया था. इस ई-बुक, जिसे विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की कड़ी मेहनत का नतीजा बताया था, में आजाद भारत के शुरुआती इतिहास को तोड़-मरोड़ पेश किया गया था, साथ भाजपा को देश का एकमात्र राजनीतिक विकल्प कहा गया था.

उस समय भी सवाल उठा था कि क्या सत्ताधारी दल को दलगत राजनीतिक प्रोपगेंडा का प्रचार-प्रसार करने के लिए जनता के पैसे और सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग करने की छूट है?

इसके बाद उत्तर प्रदेश के स्कूलों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में भाजपा द्वारा आयोजित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता पर भी सवाल उठे थे. इस प्रतियोगिता की तैयारी के लिए छात्रों को दी गई किताब पर हिंदुत्व की विचारधारा की प्रचार सामग्री होने की बात कही गयी थी. इसके अलावा उत्तर प्रदेश मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन किया गया है.