नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने विधानसभा में बुधवार (4 सितंबर) को दल-बदल विरोधी विधेयक पारित किया, जिसके तहत अब अयोग्य घोषित सदस्यों को पेंशन नहीं मिलेगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य पेंशन रोककर विधायकों को दल बदलने से रोकना है.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा पेश हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक 2024 में कहा गया है कि संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित किया गया कोई भी सदस्य अपनी पेंशन पात्रता खो देगा.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह नया कानून अयोग्य सदस्यों द्वारा पहले से ली गई पेंशन की वसूली की बात भी कहता है.
विधेयक में कहा गया है, ‘अगर कोई व्यक्ति संविधान की दसवीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) के तहत किसी भी समय अयोग्य घोषित किया गया है, तो वह अधिनियम के तहत पेंशन का हकदार नहीं होगा.’
मालूम हो कि मौजूदा समय में पांच साल तक की सेवा करने वाले विधायक 36,000 रुपये की मासिक पेंशन के पात्र हैं, जिसमें उनके पहले कार्यकाल के बाद प्रत्येक वर्ष के लिए 1,000 रुपये अतिरिक्त जुड़ जाते हैं.
1985 में लाया गया दल-बदल विरोधी कानून का उद्देश्य राजनीतिक दल-बदल को रोकना है.
ज्ञात हो कि बजट चर्चा के दौरान पार्टी ह्विप का उल्लंघन करने पर फरवरी में हिमाचल प्रदेश में छह कांग्रेस विधायकों को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
गौरतलब है कि हाल के सालों में कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में दल-बदल और विभाजन के कारण गैर-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकारों ने अपना बहुमत खोया है.