चंडीगढ़: आगामी हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा द्वारा 67 उम्मीदवारों की पहली सूची बुधवार (4 सितंबर) शाम को जारी हुई, जिसके ठीक बाद पार्टी की एक महिला नेता, एक कैबिनेट मंत्री, एक मौजूदा विधायक और ओबीसी तथा किसान मोर्चा प्रमुख ने पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी.
अब तक भाजपा को 12 विधानसभा क्षेत्रों में बगावत का सामना करना पड़ा है. यह संख्या बढ़ने की संभावना है, क्योंकि पार्टी ने अपनी पहली सूची में नौ मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया है, जबकि आधा दर्जन सीटों पर उम्मीदवार बदले हैं. इसके अलावा, बाकी 33 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम अभी सामने नहीं आए हैं.
2014 से लगातार दो बार हरियाणा में सत्ता संभाल रही भाजपा बढ़ती सत्ता विरोधी लहर और कांग्रेस के वापस उठने के कारण आगामी चुनावों में पहले से ही कठिन चुनौती का सामना कर रही है. चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि यदि भाजपा 5 अक्टूबर को होने वाले चुनाव से पहले मतभेदों को दूर करने में विफल रही, तो उसकी चुनावी संभावनाओं को नुकसान हो सकता है.
पार्टी से इस्तीफा देने वाले प्रमुख लोगों में राज्य के बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला भी शामिल हैं. कथित तौर पर वे सिरसा जिले की रानिया सीट से टिकट न मिलने से नाराज थे, जहां से उन्होंने पिछले चुनाव में निर्दलीय के तौर पर जीत दर्ज की थी. बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए थे.
पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल के बेटे चौटाला आगामी चुनाव में फिर से रानिया से भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार शीशपाल कांबोज के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ेंगे.
बाहरी लोगों और पार्टी बदलने वालों को टिकट देने से भाजपा नेता नाराज
भाजपा नेताओं को इस बात से नाराजगी है कि समर्पित पार्टी कार्यकर्ताओं की कीमत पर बाहरी लोगों और पार्टी बदलने वालों को टिकट दिए गए हैं.
भाजपा के राज्य किसान मोर्चा के प्रमुख सुखविंदर श्योराण, जो चरखी दादरी जिले के बाधरा निर्वाचन क्षेत्र से दावेदार थे, ने द वायर को बताया कि उन्होंने पार्टी से इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि सीट पर एक ‘बाहरी व्यक्ति’ को थोपा गया है. उन्होंने कहा, ‘अगर भाजपा ने किसी अन्य स्थानीय नेता को चुना होता तो मैं अभी भी पार्टी में बना रहता. लेकिन बाहरी नेता स्वीकार्य नहीं है. इसलिए मैंने 400 समर्थकों के साथ इस्तीफा दे दिया है.’
श्योराण 2014 के चुनावों में भाजपा के टिकट पर जीते थे, लेकिन 2019 में जननायक जनता पार्टी (जजपा) नेता नैना चौटाला से हार गए थे.
इसी कड़ी में भाजपा को एक और झटका देते हुए पूर्व मंत्री और राज्य इकाई के ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष कर्णदेव कांबोज ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि पार्टी ने उन्हें यमुनानगर जिले के रादौर निर्वाचन क्षेत्र से टिकट देने से इनकार कर दिया। वे 2019 चुनाव इसी सीट से लड़े थे.
भाजपा ने उनकी जगह इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के पूर्व नेता श्याम सिंह राणा को टिकट दिया है, जो इसी साल जुलाई में पार्टी में शामिल हुए थे.
कांबोज ने अपने त्यागपत्र में लिखा कि भाजपा दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी की दी हुई मूल विचारधारा से भटक गई है, जहां उनके जैसे प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया गया, वहीं विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं को टिकट देकर पुरस्कृत किया गया.
संपर्क करने पर कांबोज ने ज्यादा कुछ नहीं कहा, सिवाय इसके कि उनके पास कई विकल्प खुले हैं.
कयास लगाए जा रहे हैं कि वह रादौर से निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं. 2019 में उन्होंने 50,000 से ज़्यादा वोट जीते थे और कांग्रेस के बिसन लाल सैनी से 2,500 वोटों के मामूली अंतर से हारे थे.
इस बीच, पार्टी को हिसार जिले की उकलाना विधानसभा सीट पर स्थानीय नेता और टिकट की आकांक्षी सीमा गैबीपुर ने भाजपा द्वारा जजपा विधायक अनूप धानक को टिकट दिए जाने के बाद इस्तीफा दे दिया.
सीमा ने द वायर को बताया कि उन्होंने पार्टी को चेतावनी दी थी कि वे किसी बाहरी या पार्टी से अलग हुए व्यक्ति को अपना उम्मीदवार नहीं बनाएंगे. लेकिन पार्टी ने स्थानीय कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया और धनक को टिकट देने से पहले किसी से सलाह नहीं ली.
उन्होंने कहा कि इस फैसले से स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी है. उन्होंने कहा, ‘हमारे पास अब सभी विकल्प खुले हैं.’
पूर्व भाजपा मंत्री और जींद जिले की सफीदों विधानसभा सीट से प्रबल दावेदार बचन सिंह आर्य भी निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं, क्योंकि पार्टी ने उनकी जगह पूर्व जजपा विधायक राम कुमार गौतम को टिकट दिया है, जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं.
आर्य 2019 के राज्य चुनावों में 3,500 मतों के अंतर से सीट हार गए थे और उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें फिर से चुनेगी क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि इस बार भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है.
द वायर से बात करते हुए आर्या के करीबी सहयोगी राम पाल ने कहा कि उन्होंने 7 सितंबर को अपने समर्थकों की एक बैठक बुलाई है, जहां वह अपनी भविष्य की रणनीति पर फैसला लेंगे.
सावित्री जिंदल सहित प्रमुख महिला नेता परेशान
अपनी पहली सूची में भाजपा ने दो प्रमुख महिला नेताओं- पूर्व कैबिनेट मंत्री कविता जैन और सावित्री जिंदल, जो कुरुक्षेत्र सांसद और उद्योगपति नवीन जिंदल की मां हैं, को भी टिकट नहीं दिया.
जिंदल को उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें हिसार विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाएगी. लेकिन पार्टी ने जब अपने विधायक और मंत्री कमल गुप्ता को उम्मीदवार बनाया तो उन्होंने घोषणा की कि वह इस सीट से स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेंगी.
उन्होंने मीडिया से कहा कि हिसार के लोग उनसे वहां से चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं. फोर्ब्स की सबसे अमीर भारतीय महिलाओं की सूची में 35.5 बिलियन डॉलर की कुल संपत्ति के साथ शीर्ष पर मौजूद सावित्री ने हिसार में अपने निवास पर संवाददाताओं से कहा, ‘अगर वे मुझे इस तरह का सम्मान देते हैं, तो मुझे उनके फैसले का सम्मान करना होगा. एक बार जब मैं कुछ कह देती हूं, तो कभी पीछे नहीं हटती.’
इस बीच, सोनीपत से दो बार विधायक रहीं कविता जैन ने भी पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी, क्योंकि उन्हें टिकट नहीं दिया गया और उनकी जगह निखिल मदान को टिकट दिया गया.
सोनीपत की सूची में नाम न आने पर जैन बुधवार रात को रोते हुए कैमरे पर कैद हुईं. उन्होंने और उनके समर्थकों ने पार्टी को अपना उम्मीदवार बदलने के लिए दो दिन का अल्टीमेटम दिया. वह 2009 और 2014 के चुनावों में सोनीपत से जीती थीं, लेकिन 2019 के चुनावों में हार गईं.
एक मौजूदा विधायक का भी इस्तीफा, एक अन्य कर रहे हैं विचार
सिरसा जिले के रतिया से भाजपा के मौजूदा विधायक लक्ष्मण नापा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है क्योंकि पार्टी ने उनकी जगह सिरसा की पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल को टिकट दिया है. नापा पहले ही कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा कर चुके हैं.
उन्होंने मीडिया को बताया कि पार्टी द्वारा कराए गए हर सर्वेक्षण में उनके लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी. उन्हें 80 से 90 सरपंचों का समर्थन प्राप्त है, जिन्होंने लिखित रूप से उन्हें समर्थन देने की बात कही है, फिर भी पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया.
नापा ने कहा, ‘जब पार्टी ने मेरे जैसे कार्यकर्ता पर विचार नहीं किया, तो मेरे लिए भाजपा में बने रहने का कोई कारण नहीं है. इसलिए, मैंने अपना इस्तीफा सौंप दिया.’
इस बीच, सामाजिक न्याय, अधिकारिता, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण तथा अंत्योदय (सेवा) विभाग के स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री बिशम्बर सिंह बाल्मीकि ने भी अपने आवास पर अपने समर्थकों की एक बैठक बुलाई.
वह भिवानी जिले की एससी-आरक्षित बवानी खेड़ा सीट से मौजूदा विधायक हैं, जहां से पार्टी ने कपूर वाल्मीकि को उम्मीदवार बनाया है.
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