चंडीगढ़: आगामी हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच गठबंधन पर बातचीत सोमवार (9 सितंबर) को विफल हो गई.
दोनों पक्षों की ओर से गठबंधन की कोई आधिकारिक पुष्टि न होने के बाद यह बात तब स्पष्ट हो गई, जब आप ने सोमवार दोपहर 20 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की तथा घोषणा की कि वह देर शाम तक शेष 70 उम्मीदवारों की सूची जारी कर देगी.
ख़बरों के अनुसार, आप कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे के समझौते के तहत 10 सीटों की मांग कर रही थी.
दूसरी ओर, कांग्रेस ने पहले ही दो अलग-अलग सूचियों में 41 उम्मीदवारों के नाम जारी कर दिए हैं और बाकी के नाम भी जल्द ही जारी होने की उम्मीद है. 5 अक्टूबर को होने वाले चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 12 सितंबर है.
आप हरियाणा के संयोजक सुशील गुप्ता के बयान से गठबंधन को लेकर असमंजस की स्थिति और स्पष्ट हो गई. उन्होंने कहा कि वह इस आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में नहीं पड़ना चाहते कि गठबंधन वार्ता क्यों नहीं हो पाई और पार्टी ने धैर्यपूर्वक इंतजार किया, लेकिन अंततः अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया.
उन्होंने कहा, ‘हम हरियाणा में बदलाव लाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. नामांकन के लिए केवल तीन दिन बचे हैं. हमें इस समयसीमा के भीतर अपने उम्मीदवारों की घोषणा करनी है और सभी कार्यकर्ता पूरी तरह से तैयार हैं.’
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘हर राजनीतिक दल अपने हित के लिए काम करता है.’
आप और कांग्रेस दोनों ने अलग होने से पहले ‘इंडिया’ गठबंधन के हिस्से के रूप में हरियाणा और अन्य राज्यों में एक साथ लोकसभा चुनाव लड़ा था.
पिछले हफ़्ते कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा आगामी विधानसभा चुनावों में आप के साथ संभावित गठबंधन की संभावना तलाशने में रुचि दिखाने के बाद उनके गठबंधन की बातचीत फिर से शुरू हुई, ताकि ‘इंडिया’ ब्लॉक में एकता का एक बड़ा संदेश दिया जा सके. कांग्रेस को उम्मीद थी कि अगले साल फरवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों में आप भी इसी तरह की उम्मीद करेगी.
स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने बातचीत क्यों टाली?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आप 90 सदस्यीय विधानसभा में 10 सीटों की मांग कर रही थी. हालांकि, जैसे ही कांग्रेस ने संभावित गठबंधन के बारे में आंतरिक चर्चा शुरू की, यह एक बड़े विवाद में बदल गया. हरियाणा कांग्रेस के राज्य नेतृत्व ने गठबंधन वार्ता का विरोध किया क्योंकि वे इतनी सीटों पर आप को जगह देने के लिए तैयार नहीं थे. राज्य के नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व को बताया कि आप जिन सीटों की मांग कर रही है, उनमें से कुछ पर पहले से ही कांग्रेस के मजबूत उम्मीदवार हैं.
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत अन्य नेताओं ने कथित तौर पर आप के साथ किसी भी सीट बंटवारे के समझौते का विरोध किया. हुड्डा कथित तौर पर दिल्ली में इस मामले पर आयोजित पार्टी की एक बैठक से भी बाहर चले गए.
उनका मानना था कि लोकसभा चुनावों में अपने प्रदर्शन के आधार पर कांग्रेस हरियाणा में अपने दम पर चुनाव लड़ने और जीतने में सक्षम है.
इसके अलावा, नेताओं का यह भी मानना था कि गठबंधन से कांग्रेस को कुछ भी हासिल नहीं होगा, क्योंकि आप का हरियाणा में कोई मतदाता आधार नहीं है.
इसके बजाय, स्थानीय कांग्रेस नेताओं को चिंता थी कि गठबंधन से आप को एक मंच मिल सकता है और क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिल सकती है.
पिछले राज्य विधानसभा चुनावों में आप ने 46 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी, क्योंकि उसका वोट प्रतिशत 0.48% था, जो नोटा के 0.52% से भी कम था.
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कुरुक्षेत्र सीट पर आप ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. हालांकि, आप के सुशील गुप्ता भाजपा के नवीन जिंदल से 29,021 वोटों से हार गए थे और उन्हें सिर्फ 3.94% वोट मिले थे.
कांग्रेस नेताओं ने आप के अधिक वोट शेयर का श्रेय स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं को दिया और तर्क दिया कि यदि वे चुनाव लड़ते तो वे सीट जीत जाते.
इस बीच, आप की पहली सूची में अनुराग ढांडा जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं, जो कैथल जिले के कलायत से चुनाव लड़ेंगे और कुलदीप गदराना, जो डबवाली में जननायक जनता पार्टी (जजपा) के दिग्विजय चौटाला के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे
आप ने उन निर्वाचन क्षेत्रों में भी उम्मीदवार उतारे हैं जहां कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं, जिनमें नारायणगढ़, असंध, समालखा, रोहतक, बहादुरगढ़, बादली, बेरी और महेंद्रगढ़ शामिल हैं.
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