नई दिल्ली: हरियाणा में अगले महीने अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अंदर टिकट बंटवारे को लेकर मतभेद देखने को मिल रहे हैं. पार्टी नेता कर्णदेव कंबोज ने बुधवार (11 सितंबर) को इस ओर इशारा करते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री नायब सैनी की टिकट वितरण प्रक्रिया में सुनी जाती तो पार्टी के भीतर इस असंतोष से बचा जा सकता था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, दक्षिण हरियाणा के वरिष्ठ पार्टी नेता रामबिलास शर्मा ने बिना पार्टी के उम्मीदवार घोषित किए ही महेंद्रगढ़ से अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया. ऐसा माना जा रहा है कि उन्हें डर था कि भाजपा उन्हें इस बार टिकट नहीं देगी. पार्टी ने अभी तक इस सीट के लिए किसी नाम का ऐलान नहीं किया है.
मालूम हो कि पार्टी नेता और हथीन क्षेत्र के पूर्व विधायक केहर सिंह रावत ने टिकट नहीं मिलने के बाद भाजपा छोड़ दी. वहीं, असंध से टिकट न मिलने से नाराज पार्टी के एक अन्य नेता जिले राम शर्मा भी नाराज चल रहे हैं.
भाजपा नेताओं का ये रुख ऐसे समय में सामने आया है, जब केंद्रीय मंत्री और गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने हाल ही में दावा किया था कि लोग चाहते हैं कि वह मुख्यमंत्री बनें.
हालांकि, केंद्रीय मंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राव इंद्रजीत की इस टिप्पणी के महत्व को कम करने की कोशिश करते हुए कहा कि दावा कोई भी कर सकता है, और साथ ही कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही घोषणा कर दी है कि चुनाव मुख्यमंत्री सैनी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा.
ज्ञात हो कि पूर्व मंत्री कंबोज ने हाल ही में भाजपा द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट देने से इनकार करने के बाद राज्य इकाई के ओबीसी मोर्चा प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने दावा किया कि पार्टी के कई नेता जो टिकट दिए जाने के योग्य थे, उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया है.
उन्होंने आगे कहा, ‘जब भाजपा ने नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाया, तो पार्टी का ग्राफ बढ़ गया. लेकिन टिकट आवंटन में मुख्यमंत्री की अधिक नहीं सुनी गई… कई सीटों पर जो बागी हम देख रहे हैं, उन्हें रोका जा सकता था.’
कंबोज, जो सैनी की तरह ही ओबीसी समुदाय से हैं, ने कहा कि उन्होंने अभी तक भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है. उनके समर्थक उनके अगले कदम का फैसला करेंगे. वह इंद्री या राडौर क्षेत्र से टिकट की उम्मीद कर रहे थे.
भाजपा नेता ने दावा किया कि कई नए लोगों और दलबदलुओं को टिकटों से नवाजा गया है, जबकि लंबे समय से काम करने वालों को नजरअंदाज कर दिया गया है.
इससे पहले, मंगलवार (10 सितंबर) को भाजपा की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष संतोष यादव ने यह कहते हुए पार्टी छोड़ दी कि पार्टी के प्रति वफादार जमीनी स्तर के नेताओं की उपेक्षा की जा रही है.
कहा जा रहा है कि राज्य विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष संतोष यादव अटेली निर्वाचन क्षेत्र से टिकट चाहते हैं, जहां भाजपा ने इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती सिंह राव को अपना उम्मीदवार घोषित किया है.
मालूम हो कि पिछले सप्ताह भाजपा द्वारा 67 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने के तुरंत बाद मंत्री रणजीत सिंह चौटाला और विधायक लक्ष्मण दास नापा द्वारा विरोध देखने मिला था, जिन्हें टिकट नहीं दिया गया, जिसके चलते उन्होंने पार्टी छोड़ दी.
उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद पार्टी के कुछ अन्य कम प्रमुख नेताओं ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया, जबकि कुछ जाने-माने चेहरों ने टिकट से वंचित होने के बाद खुले तौर पर अपनी निराशा जाहिर की.
गौरतलब है कि असहमति की आवाजों के बीच राव इंद्रजीत सिंह ने सोमवार (9 सितंबर) को कहा कि यह उनकी नहीं, बल्कि जनता की इच्छा है कि वह मुख्यमंत्री बनें.
उन्होंने कहा था, ‘आज भी लोग चाहते हैं कि मैं (राव) सीएम बनूं.’
भाजपा के गुरुग्राम उम्मीदवार मुकेश शर्मा के समर्थन में एक सभा को संबोधित करते हुए सिंह ने सड़कों पर कूड़े के ढेर लगने और सीवरों की सफाई नहीं करने के लिए राज्य मशीनरी को भी दोषी ठहराया था.
दक्षिण हरियाणा राव इंद्रजीत का गढ़ माना जाता है, ऐसे में उन्होंने कहा, ‘आपको बताया जाएगा कि मैं गुड़गांव को साफ नहीं करा सका, इसके सीवरों को साफ नहीं करा सका.’
बहरहाल, भाजपा ने मंगलवार को हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 21 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की है, जिसमें दो मौजूदा मंत्रियों का टिकट काट दिया गया और पिहोवा सीट से भी उम्मीदवार बदल दिया गया. सत्तारूढ़ दल ने गन्नौर, पटौदी, हथीन और होडल सीटों से मौजूदा विधायकों को भी टिकट देने से इनकार कर दिया है.
वैसे, उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के तुरंत बाद ही भाजपा के लिए परेशानी शुरू हो गई थी क्योंकि इससे कई लोग नाराज देखे गए.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग राज्य मंत्री और बवानी खेड़ा आरक्षित सीट से विधायक बिशंबर सिंह, उस समय रो पड़े जब पार्टी ने इस सीट से कपूर वाल्मिकी को टिकट दे दिया, जबकि पूर्व मंत्री कविता जैन भी सोनीपत से टिकट न मिलने पर रो पड़ी थीं.
उम्मीदवारों की पहली सूची के बाद ही विरोध का सामना कर रही भाजपा को लेकर पूर्व सीएम खट्टर ने सोमवार को कहा था कि एक सीट से टिकट के लिए एक से अधिक दावेदार हो सकते हैं.
उन्होंने कहा था, ‘अगर किसी उम्मीदवार को पार्टी का टिकट नहीं मिलता है, तो कुछ नाराजगी हो सकती है और ऐसा हर चुनाव में होता है. हमने कई लोगों को मना लिया है और बाकी लोगों से एक-दो दिन में बात करेंगे.’
ध्यान रहे कि भाजपा इस बार विधानसभा चुनाव में हैट्रिक बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है, लेकिन उसे फिर से उभरती कांग्रेस से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, जिसे सत्ता विरोधी लहर का फायदा मिलने की उम्मीद है.
भाजपा ने मौजूदा सीएम सैनी को ही इस विधानसभा चुनाव में भाजपा का चेहरा घोषित किया है और उनके नाम पर ही ये चुनाव लड़ने की तैयारी है.
ज्ञात हो कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती 8 अक्तूबर को होगी.
गौरतलब है कि इससे पहले अगले महीने होने वाले जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर भी भाजपा के भीतर टिकट बंटवारे को लेकर मतभेद सामने आए थे. शुरुआत में भाजपा द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूची बाद में वापस ले ली गई, क्योंकि नए उम्मीदवारों और हाल ही में भाजपा में शामिल हुए लोगों के चयन को लेकर पुराने नेताओं में असंतोष देखा गया था.