नई दिल्ली: उत्तराखंड पुलिस ने इस सप्ताह की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के महंत यति रामस्वरूपानंद पर देहरादून में अल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित तौर पर नफरती भाषण देने लिए एफआईआर दर्ज की है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यति रामस्वरूपानंद गाजियाबाद जिले के डासना में स्थित शिव शक्ति धाम के महंत हैं और उन पर एक वीडियो वायरल होने के बाद विभिन्न समूहों के बीच नफरत को बढ़ावा देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.
इस वायरल वीडियो में यति रामस्वरूपानंद को कथित तौर पर ये कहते हुए सुना जा सकता है कि हिंदुओं को अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से महिलाओं और बच्चों की रक्षा के लिए हथियार रखना चाहिए.
देहरादून में पुलिस द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, उन्होंने वायरल वीडियो का स्वत: संज्ञान लिया है और यति रामस्वरूपानंद गिरि के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पुलिस का कहना है कि आगे की जांच जारी है.
इस मामले में देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने कहा, ‘हमारी सोशल मीडिया मॉनिटरिंग टीम ने पाया कि इस भाषण में इस्तेमाल किए गए शब्द (विशिष्ट) जाति/धर्म के खिलाफ थे और हेट स्पीच की श्रेणी में आते हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक, जब भी पुलिस को नफरत भरे भाषण के बारे में पता चलता है तो वह तुरंत एफआईआर दर्ज करती है. इसलिए, जांच के बाद एसआई देवेंद्र गुप्ता की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया.’
शिकायत के अनुसार, मंगलवार (10 सितंबर) को देहरादून के प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में यति रामस्वरूपानंद गिरि ने कथित तौर पर ये नफरती भाषण दिया था.
उन्होंने ये भी घोषणा की थी कि विश्व धर्म संसद, जिसमें कई संतों के भाग लेने का कार्यक्रम है, इस साल 14 दिसंबर से 21 दिसंबर तक आयोजित की जाएगी. उन्होंने कथित तौर पर कहा कि वे इस संसद के दौरान उत्तराखंड को ‘इस्लाम-मुक्त’ बनाने पर चर्चा करेंगे.
उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यक समुदाय बहुसंख्यक समुदाय की तुलना में कहीं अधिक बच्चे पैदा कर रहा है और हिंदू ‘नपुंसक’ हो गए हैं.
उनके खिलाफ एफआईआर भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कार्य करना) और 353 (सार्वजनिक उत्पात को बढ़ावा देने वाले बयान) के तहत दर्ज की गई थी.
देहरादून एसएसपी ने जनता से अपील कर कहा है कि वे सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसे पोस्ट को बढ़ावा न दें, जो समाज में धर्म, जाति या क्षेत्र के आधार पर नफरत फैलाते हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस लगातार ऐसे पोस्ट पर नजर रख रही है.
गौरतलब है कि बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि नफरत भरे भाषण (Hate Speech) इसलिए दिए जा रहे हैं, क्योंकि सरकार कमजोर और शक्तिहीन है. वह समय पर कार्रवाई नहीं करती और यह तब रुकेगा, जिस क्षण राजनीति और धर्म अलग कर दिए जाएंगे.