नई दिल्लीः शुक्रवार (13 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जमानत दे दी. केजरीवाल अब जेल से बाहर भी आ चुके हैं.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की दो जजों की पीठ ने 5 सितंबर को सुरक्षित रखा लिया था, जिसे 13 सितंबर को सुनाया गया.
जस्टिस सूर्यकांत ने केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा, ‘सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी का आधार, गिरफ्तारी की आवश्यकता को पूरा नहीं करता. सीबीआई सिर्फ गोलमोल जवाब देकर गिरफ्तारी को उचित नहीं ठहरा सकती, और हिरासत में रखना जारी नहीं रख सकती. आरोपी को अभियोगात्मक बयान देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.’
हालांकि जस्टिस भुइयां केजरीवाल की गिरफ्तारी की वैधता पर जस्टिस सूर्यकांत की राय से असहमत थे, लेकिन उन्होंने जमानत देने के फैसले पर सहमति व्यक्त की.
जस्टिस सूर्यकांत ने माना कि केजरीवाल की गिरफ्तारी कानून के अंतर्गत थी.
केजरीवाल की याचिकाओं में दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें सीबीआई की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दी गई थी और उनकी जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया गया था.
आप प्रमुख को 26 जून, 2024 को मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामले में ईडी की हिरासत के दौरान सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत मिलने के बावजूद, केजरीवाल अपनी सीबीआई गिरफ्तारी के कारण हिरासत में थे.
केजरीवाल को 12 जुलाई को ईडी मामले में जमानत मिल गई थी, हालांकि सीबीआई की गिरफ्तारी ने उन्हें जेल से रिहा नहीं होने दिया.
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने केजरीवाल का प्रतिनिधित्व करते हुए तर्क दिया कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी रिहाई के आदेश के बाद उनकी निरंतर कैद अन्यायपूर्ण थी.
जस्टिस भुइयां ने शुक्रवार की सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि जब केजरीवाल को ईडी मामले में जमानत मिल गई, तब सीबीआई में हड़कंप मच गया.
लाइव लॉ के अनुसार, जस्टिस भुइयां ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रायल कोर्ट द्वारा ईडी मामले में अपीलकर्ता को जमानत दिए जाने के बाद सीबीआई सक्रिय हुई और हिरासत की मांग की. सीबीआई को 22 महीने से अधिक समय तक गिरफ्तारी की जरूरत महसूस नहीं हुई. इस तरह की कार्रवाई गिरफ्तारी पर गंभीर सवाल उठाती है. मैं यह समझने में विफल हूं कि जब अपीलकर्ता ईडी मामले में रिहाई के कगार पर था तो उसे गिरफ्तार करने के लिए सीबीआई की ओर से इतनी तत्परता क्यों दिखाई गई? अपीलकर्ता की सीबीआई द्वारा देर से की गई गिरफ्तारी अनुचित है.’
जस्टिस भुइयां ने यह भी कहा कि सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता होने की धारणा को दूर करना चाहिए, यह दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे में बंद तोता नहीं है.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल, एस.वी. राजू ने सीबीआई का प्रतिनिधित्व करते हुए जमानत पर आपत्ति जताते हुए कहा कि केजरीवाल को पहले ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए क्योंकि इसके अतिरिक्त कुछ भी करने से हाईकोर्ट का मनोबल गिरेगा.
हालांकि, पीठ इस बात से सहमत नहीं थी कि जमानत देना हाईकोर्ट का मनोबल गिरेगा.
केजरीवाल को जमानत देने का फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा शराब नीति मामले में सह-आरोपी बीआरएस एमएलसी के. कविता, आप नेता मनीष सिसौदिया और संजय सिंह और अन्य को जमानत देने के बाद आया है.
अदालत के इस फैसले को अपनी जीत मानते हुए आम आदमी पार्टी के नेता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगातार पोस्ट कर रहे हैं.
सत्यमेव जयते – सत्य की शक्ति से टूटे तानाशाह की जेल के ताले.
— Manish Sisodia (@msisodia) September 13, 2024
Welcome back Arvind Kejriwal, we missed you!
सत्य परेशान हो सकता है मगर पराजित नहीं!
अंततः माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के बेटे अरविंद केजरीवाल को जेल की बेड़ियों से आजाद करने का फैसला सुना दिया है।
माननीय Supreme Court का शुक्रिया!
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) September 13, 2024
सत्यमेव जयते..
सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। https://t.co/WCrQBkEluY
— Atishi (@AtishiAAP) September 13, 2024