नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब महज़ कुछ दिनों का समय बचा है. सभी दलों के उम्मीदवारों की सूची भी सामने आ गई है, जिससे ये पता चलता है कि प्रमुख दलों ने इस बार केवल 51 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है जबकि 2019 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों समेत कुल 104 महिलाएं चुनाव लड़ी थीं.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार कांग्रेस ने सबसे अधिक 12 महिलाओं को टिकट दिया है. दूसरे नंबर पर इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी)-बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गठबंधन है, जिसने 11 महिलाओं को मैदान में उतारा है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) की 10-10 महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ रही हैं. जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और आजाद समाज पार्टी (एएसपी) गठबंधन की 8 महिलाएं मैदान में हैं.
चुनाव में अभी निर्दलीय महिला उम्मीदवारों की संख्या स्पष्ट नहीं है, जो नामांकन वापसी के बाद सामने आएगी.
मालूम हो कि कुरूक्षेत्र से भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां, 74 वर्षीय सावित्री जिंदल, स्वास्थ्य मंत्री कमल गुप्ता के खिलाफ हिसार से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं.
आंकड़ों की बात करें तो राज्य में पिछले 14 विधानसभा चुनावों में केवल 87 महिलाएं विधायक बनी हैं. साल 2000 से पिछले पांच विधानसभा चुनावों में कुल 47 महिलाएं विधानसभा पहुंची हैं. वर्ष 2000 में केवल 4, 2005 में 12 और 2009 में 9 महिलाएं विधायक चुनी गईं.
2014 में सबसे अधिक 13 महिलाओं को राज्य की जनता ने विधायक बनाया. वहीं, 2019 में यह संख्या घटकर 9 रह गई.
ज्ञात हो कि हरियाणा अपने खराब लिंगानुपात के लिए जाना जाता है. पिछले साल यहां जन्म के समय लिंगानुपात 916 रहा था.
वंशवाद की सक्रियता
महिलाओं को कम प्रतिनिधित्व देने के साथ ही, राज्य के मौजूदा चुनाव में परिवारवाद का बीज भी खूब फल-फूल रहा है. इंडिया टुडे के अनुसार, कांग्रेस और भाजपा दोनों ने चुनाव जीतने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के करीबी रिश्तेदारों को मैदान में उतारा है.
मालूम हो कि भाजपा ने पांच राजनीतिक घरानों से संबंध रखने वालों को टिकट दिया है, जिनमें पार्टी नेताओं की दो बेटियां और तीन बेटे शामिल हैं.
भाजपा ने आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को मैदान में उतारा है. पूर्व कैबिनेट मंत्री करतार सिंह भड़ाना के बेटे मनमोहन भड़ाना को समालखा से टिकट दी गई है, जबकि केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव को अटेली से मैदान में उतारा गया है.
भाजपा नेता किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी तोशाम से पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि पूर्व कैबिनेट मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान चरखी दादरी से उम्मीदवार हैं. बता दें कि सुनील ने भाजपा में शामिल होने के लिए जेल अधीक्षक की अपनी सरकारी नौकरी से हाल ही में इस्तीफा दिया था.
कांग्रेस की बात करें तो उसने पार्टी नेताओं के सात करीबी रिश्तेदारों को मैदान में उतारा है जिनमें बेटे, पत्नी, दामाद, पोते और ससुरालीजन शामिल हैं.
कांग्रेस ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल के दामाद सोमबीर श्योराण को बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा है. राज्यसभा सांसद और कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला को कैथल से टिकट दिया गया है, और हिसार से पार्टी सांसद जय प्रकाश के बेटे विकास सहारण कलायत से टिकट पाने में कामयाब रहे हैं. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध चौधरी को तोशाम से मैदान में उतारा गया है. इस तरह तोशाम में वंशवाद बनाम वंशवाद की लड़ाई देखी जाएगी.
बहरहाल, कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के सबसे बड़े बेटे चंद्र मोहन बिश्नोई को भी टिकट दिया है. इसके साथ ही पार्टी के मुलाना से सांसद वरुण चौधरी भी अपनी पत्नी पूजा चौधरी के लिए मुलाना से पार्टी का टिकट पाने में कामयाब रहे.
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी भतीजी के ससुर करण सिंह दलाल को टिकट दिलवाया है. गौरतलब है कि टिकट की औपचारिक घोषणा नहीं होने पर भी दलाल ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर सुर्खियां बटोरीं थीं.
इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) भी नेताओं के परिजनों को टिकट देने में पीछे नहीं है. पार्टी ने इस बार चौटाला परिवार के चार सदस्यों को उम्मीदवार बनाया है, जिनमें आईएनएलडी सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के दिवंगत भाई प्रताप सिंह चौटाला की बहू सुनैना चौटाला का भी नाम शामिल है. इसके अलावा चौटाला परिवार से दिवंगत देवीलाल के पोते आदित्य चौटाला तथा अर्जुन चौटाला और ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अभय चौटाला शामिल हैं.
वहीं, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने डबवाली से दिग्विजय चौटाला और उचाना से दुष्यंत चौटाला को मैदान में उतारा है. पार्टी ने दुष्यंत के चाचा रणजीत सिंह चौटाला को भी समर्थन दिया है, जो रानिया से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया.
भाजपा ने ख़ारिज की अनिल विज की मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी
इस बीच, हरियाणा चुनाव के भाजपा प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हरियाणा के वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंत्री अनिल विज की मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी खारिज कर दी है.
प्रधान ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ही राज्य में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं और कहा कि उनके नेतृत्व में पार्टी राज्य में जीत की हैट्रिक बनाएगी.
मालूम हो कि धर्मेंद्र प्रधान का बयान पार्टी के वरिष्ठ नेता अनिल विज के उस बयान के बाद सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर पार्टी 5 अक्टूबर के चुनाव के बाद सत्ता में लौटती है, तो वह सीएम पद के लिए दावा करेंगे.
विज की इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर धर्मेे्द्र प्रधान ने करनाल में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने एक पार्टी कार्यकर्ता होने के नाते ऐसा कहा होगा, लेकिन नायब सिंह सैनी भाजपा का मुख्यमंत्री चेहरा हैं.’
प्रधान ने कहा कि पिछले 10 वर्षों के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए भाजपा सत्ता में फिर वापसी करेगी और विजयी होकर ‘हैट्रिक’ बनाएगी.
ज्ञात हो कि छह बार के विधायक और पूर्व मंत्री विज ने कहा था कि वह अपनी वरिष्ठता के आधार पर सीएम पद के लिए दावा करेंगे और पार्टी इस पर फैसला करेगी.
उन्होंने कहा था, ‘मैंने आज तक पार्टी से कभी कुछ नहीं मांगा… हरियाणा से लोग मुझसे मिलने आ रहे हैं. यहां तक कि अंबाला में भी लोग मुझसे कहते हैं कि मैं सबसे वरिष्ठ हूं, तो मैं सीएम क्यों नहीं बना. लोगों की मांग पर और वरिष्ठता के आधार पर इस बार मैं मुख्यमंत्री बनने का दावा पेश करूंगा.’