नई दिल्ली: भारत में मुसलमानों को लेकर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामेनेई की टिप्पणी पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने सख़्त प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय का कहना है कि अल्पसंख्यकों पर बयानबाज़ी करने वाले देशों को दूसरे के बारे में राय ज़ाहिर करने से पहले अपना रिकॉर्ड देखना चाहिए.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, खामेनेई ने अपने एक बयान में गाज़ा और म्यांमार के साथ ही भारत को भी उस सूची में शामिल किया, ‘जहां मुसलमान खराब परिस्थितियों से जूझ रहे हैं.’
रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने सोमवार (16 अगस्त) को पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन यानी मिलाद-उन नबी के मौके़ पर तेहरान में इस्लामी स्कॉलर्स को संबोधित कर रहे थे, जिसमें उन्होंने इस्लामी सार्वभौमिक भाईचारे के अस्तित्व पर ज़ोर दिया और अपने समुदाय के दूसरे लोगों की पीड़ा के प्रति अधिक जागरूक होने की बात कही.
अयातुल्लाह के फ़ारसी में दिए भाषण को आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने के साथ ही उसके एक अंश को उनके एक्स अकाउंट पर भी पोस्ट किया गया था.
उनकी पोस्ट में कहा गया, ‘सच्चे इस्लामी पहचान के लिए इन संघर्षों के बारे में जागरूकता की आवश्यकता है. हम ख़ुद को मुसलमान नहीं मान सकते अगर हम म्यांमार, ग़ाज़ा, भारत या किसी भी दूसरी जगह पर मुसलमानों की झेली जा रही पीड़ा से बेखबर हैं.’
The enemies of Islam have always tried to make us indifferent with regard to our shared identity as an Islamic Ummah. We cannot consider ourselves to be Muslims if we are oblivious to the suffering that a Muslim is enduring in #Myanmar, #Gaza, #India, or any other place.
— Khamenei.ir (@khamenei_ir) September 16, 2024
इसके बाद 16 सितंबर ही देर रात भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक बयान जारी कर ईरान के प्रमुख नेता की टिप्पणी को अस्वीकार्य और निंदनीय बताया.
Statement on Unacceptable Comments made by the Supreme Leader of Iran:https://t.co/Db94FGChaF pic.twitter.com/MpOFxtfuRO
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) September 16, 2024
जायसवाल ने कहा, ‘हम ईरान के सर्वोच्च नेता की ओर से भारत के अल्पसंख्यकों के बारे में की गई टिप्पणियों की कड़ी निंदा करते हैं. ये न केवल गलत जानकारियों पर आधारित है बल्कि अस्वीकार्य बयान भी है. अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी देने वाले देशों के लिए ये सलाह है कि वे दूसरों के बारे में कोई भी बयान देने से पहले अपना रिकॉर्ड देख लें.’
गौरतलब है कि ये पहली बार नहीं है, जब ईरान के सर्वोच्च नेता ने भारत को लेकर कोई टिप्पणी की है, इससे पहले भी वो जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के कदम की आलोचना कर चुके हैं.
इस बारे में उन्होंने लिखा था, ‘हम कश्मीर में मुसलमानों की स्थिति से चिंतित हैं. हमारे भारत से अच्छे संबंध हैं, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार कश्मीर के नेक लोगों के प्रति न्यायपूर्ण नीति अपनाएगी और इस क्षेत्र में मुसलमानों के उत्पीड़न को रोकेगी.’
We’re concerned about Muslims’ situation in #Kashmir. We have good relations with India, but we expect the Indian government to adopt a just policy towards the noble people of Kashmir and prevent the oppression & bullying of Muslims in this region.
— Khamenei.ir (@khamenei_ir) August 21, 2019
इसके बाद मार्च 2020 में दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में भड़के दंगों को लेकर बोल चुके हैं. इन दंगों के बीच खामेनेई ने ट्वीट किया था, ‘भारत में मुसलमानों के जनसंहार से पूरी दुनिया के मुसलमानों का दिल दुखी है. भारत सरकार को कट्टरपंथी हिंदुओं और उनकी पार्टियों का सामना करना चाहिए और मुसलमानों के जनसंहार को रोकना चाहिए ताकि भारत को इस्लामी दुनिया से अलग-थलग होने से बचाया जा सके.’
The hearts of Muslims all over the world are grieving over the massacre of Muslims in India. The govt of India should confront extremist Hindus & their parties & stop the massacre of Muslims in order to prevent India’s isolation from the world of Islam.#IndianMuslimslnDanger
— Khamenei.ir (@khamenei_ir) March 5, 2020
इससे पहले, नवंबर 2010 में भी भारत ने कश्मीर पर अयातुल्ला के आलोचनात्मक बयानों पर विरोध दर्ज कराने के लिए कार्यवाहक ईरानी राजदूत को बुलाया था.