गोरखपुर: उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के सहयोगी अपना दल (एस) के शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक विनय वर्मा सिद्धार्थनगर जिले की पुलिस कप्तान प्राची सिंह को हटाए जाने की मांग को लेकर एक सप्ताह से जिला मुख्यालय पर धरना दे रहे हैं. उनका दावा है कि उनके क्षेत्र में थाने और पुलिस चौकी पर कोई भी काम बिना पैसे लिए नहीं हो रहा है. थानेदार जन प्रतिनिधियों की अवहेलना कर रहे हैं. एक दलित व्यक्ति की मौत की एफआईआर चार महीने बाद भी दर्ज नहीं हुई जबकि इसके लिए उन्होंने अफसरों को 12 पत्र लिखे. सिद्धार्थनगर का पुलिस तंत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि खराब करने में लगा है.
अपना दल (एस) के विधायक विनय वर्मा 10 सितंबर से सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय पर नगर पालिका परिषद कार्यालय के सामने गांधी प्रतिमा के समक्ष धरने पर बैठे हैं. वे वहीं रात भी गुजार रहे हैं. उनके समर्थन में क्षेत्र के लोग भी धरने पर बैठे हैं.
इससे पहले विधायक ने धरने की शुरुआत से पहले विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर धरने के बारे में जानकारी दी थी और विशेषाधिकार हनन की शिकायत की थी. उन्होंने लिखा था कि शोहरतगढ़ के थानेदार ने उनसे अमर्यादित भाषा में बात की. उनके पत्र पर विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव ने बस्ती के आईजी से रिपोर्ट मांगी थी, जो रिपोर्ट भेज चुके हैं.
कहां से शुरू हुआ मामला
बताया जा रहा है कि विधायक विनय वर्मा की पुलिस प्रशासन से टकराहट चार महीने पहले शोहरतगढ़ थाना क्षेत्र के अकरा गांव के एक निवासी ट्रैक्टर चालक दलित मायाराम की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज कराने को लेकर शुरू हुई थी. मायाराम मिट्टी ढुलाई कर लौट रहा था कि टैक्टर ट्राली पलट गई और उसमें आग लग गई. मायराम की ट्रैक्टर में दबने और जलने से मौत हो गई.
उनके घर वालों ने हत्या की आशंका जताई. इसके पहले क्षेत्र के लोग अवैध खनन की शिकायत कर रहे थे. विधायक वर्मा ने उसी समय कहा था कि अवैध खनन की शिकायत पर कार्रवाई की गई होती तो यह घटना नहीं होती. वर्मा दो मई 2024 को मायाराम के परिजनों से मिले और उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया.
इस मामले को लेकर वे पुलिस कप्तान, आईजी, एडीजी तक और फिर लखनऊ में प्रमुख सचिव गृह तक गए. उनका कहना है कि उन्होंने इस बारे में 12 पत्र लिखे लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. इस मुद्दे पर उनका पुलिस प्रशासन से टकराव बढ़ता गया, उन्होंने मीडिया में खुलकर आरोप लगाए. इस मुद्दे के साथ–साथ उन्होंने क्षेत्र में अवैध खनन, थानों पर भ्रष्टाचार, जनता की सुनवाई नहीं होने का भी मुद्दा जोड़ दिया. आखिरकार उन्होंने 10 सितंबर से धरने की घोषणा की और धरने पर बैठ गए. उस दिन अधिकारियों ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.
पार्टी ने किया किनारा
हालांकि, अपना दल (एस) ने अपने विधायक के आंदोलन से किनारा कर लिया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार पाल ने कहा है कि विधायक के धरने से पार्टी का कोई संबंध नहीं है. पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता को इसमें भाग लेने की अनुमति नहीं है.
बताया गया है कि धरने के शुरू होने के दो दिन बाद 12 सितंबर को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने उनसे बात की.
विधायक विनय वर्मा ने कहते हैं कि उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष को पूरी बात से अवगत करा दिया था और उन्हें बताया कि जिले की पुलिस अवैध खनन में लिप्त है. दलित मायाराम की मौत के मामले में प्रशासन का नकारात्मक रुख अभी तक कायम है. इस बारे में 12 पत्र देने के बावजूद पुलिस कप्तान से लेकर ऊपर के अधिकारियों ने चुप्पी बनाए रखी. मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में जब मायाराम की मौत के मामले को उठाया तो उन्होंने कहा कि इस मामले में दोषी गिरफ्तार हो चुके हैं. जबकि आज तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हुई हैं. अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को सही जानकारी नहीं दी.
‘मेरा धरना सरकार के खिलाफ नहीं’
द वायर से बात करते हुए विनय वर्मा ने कहा कि धरने की जानकारी उन्होंने अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को पहले ही दे दी थी. उन्होंने आगे कहा, ‘मेरा धरना सरकार के खिलाफ नहीं है. मैं सिर्फ पुलिस कप्तान को हटाने की मांग कर रहा हूं.’
वर्मा ने कहा, ‘धरने पर बैठने के पहले सिद्धार्थनगर के डीएम ने उनको फोन किया और कहा कि दो घंटे का समय दीजिए. मैंने दोपहर में धरना शुरू करने वाला था. डीएम के आश्वासन पर रुक गया लेकिन शाम तक कोई जवाब नहीं आया. मैं भाजपा कार्यालय पर भी देर तक बैठा रहा कि शायद मेरी सुनवाई हो जाए और मुझे धरने पर न बैठना पड़े. लेकिन शासन–प्रशासन स्तर पर मेरी मांग के बारे में कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया. विवश होकर मैं धरने पर बैठ गया.’
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने पहले दिन धरना स्थल पर लगा टेंट हटा दिया था और दूसरे दिन छह घंटे तक वहां की बिजली काट दी. जब मैंने डीएम से बात की तब धरना स्थल पर बिजली आपूर्ति बहाल हुई. उन्होंने कहा कि शोहरतगढ़ के थानेदार ने धरने पर बैठे उनके समर्थक को फोन कर दबाव बनाया कि वह धरने पर न बैठे. जिस दलित मायाराम के परिजनों को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रहा हूं, उसके परिजनों पर दबाव बनाकर उनको गेस्ट हाउस लाया गया और बयान दिलवाया गया कि वे केस नहीं लड़ना चाहते हैं. ढेबरुआ के थाना प्रभारी ने धरने को समर्थन देने वाले व्यापारियों व सभासदों को डराने का प्रयास किया. इन सभी बातों से डीएम को अवगत कराया है.
उन्होंने यह भी कहा कि अन्याय के खिलाफ लडाई में विधायक के पद से भी इस्तीफा देना पड़े तो पीछे नही हटेंगे.
पुलिस कप्तान प्राची सिंह ने विधायक विनय वर्मा के आरोपों पर कहा है कि विधायक को इस बारे में लिखित शिकायत उच्चाधिकारियों से करनी चाहिए ताकि उनके आरोपों पर जांच कर कार्रवाई हो सके. मीडिया में किसी अधिकारी के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी ठीक नहीं हैं.
सोनार जाति से ताल्लुक रखने वाले 41 वर्षीय विनय वर्मा मूल रूप से गोरखपुर जिले के बांसगांव क्षेत्र के मलांव गांव के रहने वाले हैं. वे पहली बार विधायक बने हैं. इसके पहले वह जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे.
उनके धरने पर अभी तक भाजपा या सहयोगी दलों के नेता नहीं दिखे हैं, हालांकि कहा जा रहा है कि फोन से संपर्क किया गया है.
(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)