नई दिल्ली: हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगाने के दावे कर रही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) टिकट बंटवारे के बाद नेताओं की बगावत और असंतोष का सामना तो कर ही रही थी, अब उसके सामने एक नई चुनौती आ खड़ी हुई है. इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के मुताबिक, पार्टी उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार के दौरान अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जनता के विरोध का सामना करना पड़ा रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ निर्वाचन क्षेत्र तो ऐसे भी हैं जिन्हें पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है. वहीं, भाजपा की पूर्व गठबंधन सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) भी विरोध की इस आग में झुलस रही है.
विरोध के कारणों में किसान आंदोलन के दौरान खनौरी बॉर्डर पर हुई फायरिंग और 2019 में भाजपा तथा जेजेपी के बीच चुनाव बाद हुआ गठबंधन जैसे कई मुद्दे शामिल हैं, जिनके चलते दोनों ही दलों के नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
इस बीच, भाजपा ने आरोप लगाया है कि विपक्ष लोगों को उकसा रहा है और राजनीतिक लाभ लेने के लिए उन वीडियो का इस्तेमाल कर रहा है.
हिसार जिले के आदमपुर विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल का परिवार 1972 से चुनाव नहीं हारा और लगातार 11 बार से जीतता आ रहा है, लेकिन इस बार हालात अलग हैं. सोमवार (16 सितंबर) को कुलदीप और भव्य बिश्नोई को कुटियावाली गांव में विरोध का सामना करना पड़ा, जहां ग्रामीणों और भाजपा नेताओं के समर्थकों के बीच तीखी बहस के बाद हाथापाई हो गई. जिसके बाद पुलिस ने हस्तक्षेप करके भाजपा नेताओं को बचाकर गांव से निकाला.
हालांकि, कुलदीप बिश्नोई ने ग्रामीणों की ओर से विरोध की बात से इनकार किया और कहा कि इस काम को चुनाव प्रचार के दौरान भीड़ में बैठे हमारे विरोधियों ने अंजाम दिया था, जिन्होंने नशे में बदतमीजी शुरू कर दी थी. कुछ लोगों ने वीडियो शूट करके इस तरह दिखाया कि हमारा विरोध हो रहा है.
अंबाला जिले की नारायणगढ़ सीट, जहां से 2014 में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जीते थे, पर भी भाजपा उम्मीदवार पवन सैनी को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा. उन्हें नारायणगढ़ के मु्ख्य हिस्से में घुसने नहीं दिया गया. स्थानीय किसान संगठनों ने उनके काफिले को रास्ते में ही रोक लिया और काले झंडे लहराते हुए भाजपा विरोधी नारे लगाए, जिसके बाद उन्हें क्षेत्र से वापस लौटना पड़ा.
फरीदाबाद जिले के बड़खल से भाजपा उम्मीदवार धनेश अदलखा को भी सोमवार को तब विरोध का सामना करना पड़ा जब नवादा गांव जा रहे उनके काफिले को रास्ते में रोक दिया गया. प्रदर्शनकारियों के एक उग्र समूह ने उन्हें कार से उतरकर सड़क पर चलने के लिए कहा क्योंकि गड्ढ़ों से पटी सड़क बारिश के बाद कीचड़ से भर गई थी. प्रदर्शनकारियों के आक्रोश को देखते हुए अदलखा को भी मजबूरन वापस लौटना पड़ा.
इससे पहले, रविवार (15 सितंबर) शाम छह बार के भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री विज को अंबाला छावनी के शाहपुर गांव में उनके और पार्टी के विरोध में एक किसान संगठन के सदस्यों द्वारा लगाए गए नारों के बाद एक जनसभा को बीच में ही छोड़ना पड़ा. भारतीय किसान यूनियन (भगत सिंह गुट) के किसानों के एक समूह ने उनसे बठिंडा के 22 वर्षीय किसान शुभकरण सिंह की मौत के बारे में उनसे सवाल किए, जिसकी फरवरी में खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी.
विज के समर्थकों की किसानों से तीखी बहस भी हुई और मामला ज्यादा बढ़ते ही पूर्व मंत्री अपनी कार में वापस आ गए और उनका काफिला गांव से निकल गया.
जींद में नरवाना विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार कृष्ण बेदी को भी भिखेवाला गांव में ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा. ग्रामीणों ने उनसे 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान चुप्पी साधने को लेकर सवाल किए, जिसके बाद बहस की स्थिति बन गई. ग्रामीणों ने बेदी से कहा कि भाजपा को किसानों का अपमान करने का अंजाम भुगतना पड़ेगा.
हिसार जिले के हांसी में भाजपा उम्मीदवार विनोद भयाना ने उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों पर आपा खो दिया. ग्रामीणों ने उनसे भी शुभकरण की हत्या पर सवाल किए थे और उन पर किसान विरोध पार्टी के हिस्सा होने का आरोप लगाया था. इस पर भयाना ने भड़कते हुए कहा, ‘अगर आप वोट नहीं देना चाहते हैं तो मत दीजिए, लेकिन बदतमीजी मत कीजिए.’
पूर्व उपमुख्यमंत्री और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला को भी रविवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र उचाना कलां के छातर गांव में विरोध का सामना करना पड़ा. भीड़ ने दुष्यंत के काफिले को काले झंडे दिखाए और फिर उनके वाहन को घेर लिया. भीड़ ने उनसे पूछा कि 2019 में उन्हें वोट देने के बाद उन्होंने भाजपा से हाथ क्यों मिलाया. ग्रामीणों ने दावा किया कि दुष्यंत का सामाजिक बहिष्कार किया गया है और उन्हें गांव में फिर से घुसने नहीं दिया जाएगा.
वहीं, हिसार में कुंडलू और प्रभुवाला गांवों के लोगों ने शनिवार (14 सितंबर) शाम को जेजेपी के बागी और अब उकलाना से भाजपा उम्मीदवार अनूप धानक को निशाना बनाया. इससे पहले धानक को कंडुल, खैरी, किनाला, छन और श्यामसुख गांवों में विरोध का सामना करना पड़ा था.