नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के इस दावे ने राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है कि तिरुमाला स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रसाद के लड्डू जिस घी से बनाए जा रहे थे, उसमें पशु चर्बी का इस्तेमाल हुआ था. इस दावे के बाद सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और वाईएस जगमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के बीच तो वाकयुद्ध छिड़ा ही है, साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस की ओर से भी टिप्पणियां सामने आई हैं.
जहां नायडू की टिप्पणी पर धर्मगुरुओं, राजनीतिक दलों और मंदिर प्रबंधन की ओर से कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, वहीं भाजपा और कांग्रेस दोनों ने गहन जांच की मांग की है. उधर, पूर्ववर्ती वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने नायडू पर राजनीतिक लाभ के लिए विवाद खड़ा करने का आरोप लगाया है.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
विवाद तब शुरु हुआ जब नायडू ने बुधवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के 100 दिन पूरे होने के उपलक्ष्य में एक बैठक को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार ने तिरुपति मंदिर के लड्डू बनाने में घटिया घी के इस्तेमाल की अनुमति दी, जिसमें पशु चर्बी और मछली का तेल मिला हुआ था.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, नायडू ने कहा कि इन दावों की पुष्टि गुजरात की राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी)-सीएएलएफ की लैब रिपोर्ट से होती है, जिसमें कथित तौर पर लड्डू के लिए इस्तेमाल किए गए घी के नमूनों में सुअर की चर्बी, बीफ चर्बी और मछली के तेल की मौजूदगी की पुष्टि हुई है.
रिपोर्ट पर 16 जुलाई 2024 की तारीख अंकित है. यह रिपोर्ट टीडीपी प्रवक्ता अनम वेंकट रमन्ना रेड्डी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी प्रस्तुत की. लैब रिपोर्ट के निष्कर्ष बताते हुए रेड्डी ने कहा कि वाईएसआरसीपी सरकार के कार्यकाल के दौरान मिलावटी घी की आपूर्ति की गई थी. उन्होंने लैब द्वारा घी के नमूने 9 जुलाई को लिए जाने की बात कही.
यह रिपोर्ट सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से शेयर की जा रही है. आठ पन्नों की इस रिपोर्ट को द वायर ने भी देखा है, और पुष्टि की कि रिपोर्ट में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में संभावित मिलावट का सुझाव दिया गया है. इसमें उल्लेख है कि जब एस-वैल्यू (एक रासायनिक माप) सामान्य से अलग होती है, तो मछली के तेल और बीफ चर्बी सहित विदेशी वसा मौजूद हो सकता है.
क्या है मंदिर प्रबंधन का कहना
मंदिर का प्रबंधन देखने वाले ट्र्स्ट तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने भी मुख्यमंत्री नायडू के आरोपों को दोहराया है.
शुक्रवार (20 सितंबर) को इसने कहा कि घी आपूर्तिकर्ताओं ने मंदिर के अंदर मिलावट की जांच करने संबंधी इकाई न होने और मंदिर द्वारा इस काम में किसी बाहरी इकाई की सेवा न लेने का फायदा उठाया.
टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी श्यामला राव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्रयोगशाला के परीक्षण से पता चला है कि लिए गए नमूने में सुअर की चर्बी की मिलावट थी. उन्होंने कहा, ‘नमूनों की चारों रिपोर्ट में एक जैसे नतीजे मिले हैं. इसलिए हमने तुरंत आपूर्ति रोक दी. ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट में डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और जुर्माना लगाने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी. अब कानूनी प्रक्रिया शुरू होगी.’
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, ट्रस्ट की ओर से कहा गया, ‘टीटीडी को पांच आपूर्तिकर्ताओं से घी मिलता है, जिसकी कीमत 320 रुपये से 411 रुपये के बीच है. इन आपूर्तिकर्ताओं में प्रीमियर एग्री फूड्स, कृपाराम डेयरी, वैश्णवी, श्री पराग मिल्क और एआर डेयरी शामिल हैं.’ ट्रस्ट इस संबंध में एक विशेषज्ञ समिति का भी गठन किया है.
वाईएसआर कांग्रेस का का ‘गंदी राजनीति’ का आरोप
इस विवाद को लेकर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने नायडू के आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. वाईएसआरसीपी के वरिष्ठ नेताओं ने उन पर तिरुमाला मंदिर की पवित्रता के साथ ‘गंदी राजनीति’ करने का आरोप लगाया. टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी ने नायडू की टिप्पणियों को दुर्भावनापूर्ण और लाखों हिंदुओं की आस्था के लिए खतरनाक बताया. पिछली सरकार में सेवा दे चुके सुब्बा रेड्डी ने नायडू को अपने दावों को साबित करने के लिए देवता के सामने शपथ लेने की चुनौती दी.
वाईएसआरसीपी के एक अन्य नेता बी करुणाकर रेड्डी, जो टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष भी हैं, ने नायडू पर विपक्ष को बदनाम करने के लिए इस मुद्दे का लाभ उठाने का आरोप लगाया.
उन्होंने एक क्षेत्रीय समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘ये वाईएसआरसीपी और पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को निशाना बनाने के लिए लगाए गए निराधार आरोप हैं. नायडू अभूतपूर्व स्तर तक गिर गए हैं, पवित्र परंपराओं को राजनीतिक कीचड़ उछालने में घसीट रहे है.’
इस बीच, बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए आरोपों को खारिज किया. उन्होंने मुख्यमंत्री नायडू पर हमलावर होते हुए कहा कि वह मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं और भगवान के नाम पर राजनीति कर रहे हैं.
एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि लैब रिपोर्ट नायडू के आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद जुलाई की है. इंडिया टुडे के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘हमें पता चला था कि घी की गुणवत्ता खराब थी और हमने तुरंत मुख्यमंत्री को सूचित किया.’
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में आपूर्तिकर्ता को चुनने में सामान्य प्रोटोकॉल का पालन किया जाता था. उन्होंने आगे कहा, ‘निविदा प्रक्रिया हर छह महीने में होती है और योग्यता मानदंड दशकों से नहीं बदले हैं. आपूर्तिकर्ताओं को एनएबीएल प्रमाणपत्र और उत्पाद गुणवत्ता प्रमाणपत्र प्रदान करना होता है. टीटीडी घी से नमूने एकत्र करता है और केवल सर्टिफिकेट पाने वाले उत्पादों का उपयोग किया जाता है.’
उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में 18 बार मानक पर खरे ने उतरे उत्पादों को अस्वीकार किया था.
रेड्डी ने प्रधानमंत्री और भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर उन्हें यह बताने की बात कही है कि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं और जनता को गुमराह कर रहे हैं, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.
अन्य दलों का क्या है रुख़?
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने एक्स पर कहा, ‘तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर मंदिर में प्रसाद को अपवित्र करने की खबरें परेशान करने वाली हैं. भगवान बालाजी भारत और दुनिया भर में लाखों भक्तों के लिए पूजनीय देवता हैं. यह मुद्दा हर भक्त को दुखी करेगा और इस पर गहनता से विचार किए जाने की आवश्यकता है. भारत भर के अधिकारियों को हमारे धार्मिक स्थलों की पवित्रता की रक्षा करनी होगी.’
The reports about the defilement of the Prasad at Sri Venkateshwara temple in Tirupati are disturbing.
Lord Balaji is a revered deity for millions of devotees in India and across the world. This issue will hurt every devotee and needs to be thoroughly looked into.
Authorities…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 20, 2024
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी जो भी बातें सामने आईं हैं, वे किसी के लिए भी सही नहीं हैं. इस तरह की धोखाधड़ी अच्छी बात नहीं है. ये भक्तों के लिए भी अच्छा नहीं है, क्योंकि लोग बहुत श्रद्धा के साथ मंदिर में जाते हैं. मामले में दोषियों पर एक्शन लेना चाहिए.’
तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी जो भी बातें सामने आईं हैं, वे किसी के लिए भी सही नहीं है।
इस तरह की धोखाधड़ी अच्छी बात नहीं हैं।
ये भक्तों के लिए भी अच्छा नहीं है, क्योंकि लोग बहुत श्रद्धा के साथ मंदिर में जाते हैं।
इस मामले में दोषियों पर एक्शन लेना चाहिए।
: कांग्रेस अध्यक्ष… pic.twitter.com/sJH3fwPN3l
— Congress (@INCIndia) September 21, 2024
वहीं, आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) की अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने मुख्यमंत्री नायडू द्वारा तिरुपति लड्डू का मुद्दा उठाने के समय पर सवाल किया है और कहा कि इसमें राजनीतिक की बू आती है. उन्होंने पूछा कि जब सरकार को जुलाई में ही लैब रिपोर्ट की जानकारी थी, तो इसे सार्वजनिक करने में इतना समय क्यों लगाया.
द हिंदू के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘यह राज्य में टीडीपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की अपने शासन के पहले 100 दिनों में विफलता से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश लग रही है.’
उन्होंने मामले की सीबीआई जांच की भी मांग की है.