महाराष्ट्र: अजीत पवार के विभाग की आपत्ति के बाद भाजपा प्रमुख को ट्रस्ट के लिए ज़मीन नहीं मिली

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने राज्य के भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले की अध्यक्षता वाले एक सार्वजनिक ट्रस्ट को नागपुर में 5 हेक्टेयर भूमि के सीधे आवंटन के राजस्व विभाग के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की अध्यक्षता वाले वित्त विभाग ने इस पर आपत्ति जताई थी.

अजीत पवार (फोटो साभार: ट्विटर/@AjitPawarSpeaks)

नई दिल्ली: महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने सोमवार (23 सितंबर) को राज्य के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले की अध्यक्षता वाले एक सार्वजनिक ट्रस्ट को शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए नागपुर में 5 हेक्टेयर भूमि (12.35 एकड़) के सीधे आवंटन के राजस्व विभाग के प्रस्ताव को खारिज़ कर दिया.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख अजीत पवार की अध्यक्षता वाले वित्त विभाग की कड़ी आपत्ति के बाद यह फैसला लिया गया.

वित्त विभाग ने राजस्व विभाग के श्री महालक्ष्मी जगदम्बा संस्थान, कोराडी की मांग वाले प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ट्रस्ट उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय नहीं दिखता है.

प्रस्ताव खारिज़ होने के बाद राजस्व विभाग के अध्यक्ष भाजपा मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल ने अब ट्रस्ट को सार्वजनिक ट्रस्टों को भूमि आवंटन के लिए सरकारी प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया है.

इस संबंध में अखबार को चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया, ‘यह एक पुराना ट्रस्ट है और मैं केवल दो साल तक इसके अध्यक्ष पद पर रहा. ये कोई व्यक्तिगत मामला नहीं है. मैं धार्मिक उद्देश्य के लिए काम कर रहा हूं. यह एक नेक काम है. हमारा ट्रस्ट जमीन को लीज पर लेगी. यह मेरी निजी संपत्ति नहीं होगी.’

हालांकि, बावनकुले ने वित्त विभाग की टिप्पणी पर कुछ भी कहने से इनकार करते हुए कहा कि यह प्रशासनिक काम है. कोई भी अवैध काम नहीं किया जाएगा और हर नियम का पालन होगा.

क्या है पूरा मामला?

ये मामला बीते साल 2023 में 29 नवंबर से जुड़ा है, जब ट्रस्ट ने अपने सचिव दत्तूजी समरितकर के माध्यम से कौशल विकास केंद्र के रूप में एक जूनियर कॉलेज, विज्ञान-कला-वाणिज्य कॉलेज और तकनीकी और नर्सिंग शिक्षा कॉलेज बनाने के लिए जमीन मांगी थी.

वित्त विभाग ने सोमवार (23 सितंबर) को मंत्रिमंडल को मराठी में भेजे गए अपने नोट में सामाजिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए भूमि आवंटन के दिशानिर्देशों का उल्लेख किया, जैसा कि राजस्व विभाग की 25 जुलाई, 2019 की नीति में विस्तृत रूप से बताया गया है.

इस नोट में कहा गया है कि बिंदु 10 के अनुसार, उक्त ट्रस्ट रिसर्च गतिविधियों में शामिल नहीं है. हालांकि, यह अक्षम और समाज के वंचित वर्गों के लिए काम करता है. उक्त कार्य के लिए स्थायी भूमि की आवश्यकता नहीं है. इसमें बिंदुसंख्या 11 का भी उल्लेख किया गया, जो उच्च एवं तकनीकी शिक्षा में सक्रिय शैक्षणिक संस्थानों के लिए भूमि आवंटन से संबंधित है.

वित्त विभाग ने अपने नोट में कहा, ‘नागपुर के जिला कलेक्टर की रिपोर्ट के मुताबिक श्री महालक्ष्मी जगदंबा संस्थान, कोराडी के तहत जूनियर कॉलेज और विज्ञान-कला-वाणिज्य कॉलेज शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है. रिपोर्ट के अनुसार, उक्त ट्रस्ट उच्च और तकनीकी शिक्षा में सक्रिय नहीं दिखता है. साथ ही वित्त विभाग ने यह भी बताया कि बावनकुले ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं.

इसमें कहा गया है कि ट्रस्ट एक प्रतिष्ठित संस्थान होने के मानदंड को पूरा नहीं करता है, जिसके लिए अपवाद बनाया जाए… इस आधार पर वित्त विभाग उक्त ट्रस्ट को भूमि के सीधे आवंटन का विरोध करता है. वित्त विभाग की आपत्तियों के बाद राजस्व विभाग ने भूमि आवंटन के अपने मूल प्रस्ताव को बदल दिया, तथा ट्रस्ट को नीति के अनुसार प्रक्रिया अपनाने का निर्देश दिया.

ज्ञात हो कि 2019 की नीति के अनुसार, उपलब्ध भूमि खंडों को सूचीबद्ध करने के बाद जिला कलेक्टर भूमि के संभावित उपयोग के लिए एक प्रस्ताव पेश करते हैं, जिसकी राज्य सरकार द्वारा जांच की जाती है. आवंटन की शर्तों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद जिला कलेक्टर विज्ञापन प्रकाशित करके आवेदन मांगना होता है. इसके बाद कलेक्टर कार्यालय आवेदनों की प्राथमिक जांच करेगा, और फिर एक सूची संभागीय आयुक्त को भेजी जाएगी, जो इसे आगे सरकार को भेजेंगे.

हालांकि, कुछ लोगों को सीधा आवंटन प्राप्त कर सकते हैं, जिनमें असाधारण गुणों वाले व्यक्ति, प्रतिष्ठित संगठन, शोध गतिविधियों में शामिल लोग, अक्षम और वंचित व्यक्तियों के लिए काम करने वाले लोग, तथा उच्च और तकनीकी शिक्षा से जुड़े शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं.

गौरतलब है कि पूर्व में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब कैबिनेट ने भूमि आवंटन को मंजूरी देने के लिए वित्त विभाग की आपत्तियों को खारिज कर दिया है. पिछले महीने कैबिनेट ने वित्त विभाग की आपत्तियों के बावजूद, जैन इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन नामक एक गैर-लाभकारी संगठन को प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय बनाने के लिए 30 साल के लिए मंत्रालय के पास दक्षिण मुंबई में 2,995.75 वर्ग मीटर की प्रमुख भूमि पट्टे पर देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी.

वहीं, एक अन्य मामले में दक्षिण मध्य मुंबई के प्रमुख सायन क्षेत्र में 2,566.57 वर्ग मीटर का म्हाडा भूखंड वित्त विभाग की नकारात्मक टिप्पणियों के बावजूद मुंबई जिला केंद्रीय सहकारी बैंक को पट्टे पर दे दिया गया. इसके अध्यक्ष भाजपा नेता प्रवीण दारकेकर हैं.