झुम्पा लाहिड़ी ने फ़िलिस्तीन एकता के प्रतीक ‘केफियेह’ पर रोक के विरोध में अमेरिकी पुरस्कार ठुकराया

केफियेह फ़िलिस्तीनी एकजुटता का प्रतीक है. अमेरिका के नोगुची संग्रहालय ने बीते अगस्त में घोषणा की थी कि इसके कर्मचारी कार्य घंटों के दौरान ऐसा पहनावा धारण नहीं कर सकते जो 'राजनीतिक संदेश, नारे या प्रतीक' से जुड़ा हो.

झुम्पा लाहिड़ी. (फोटो साभार: विकिपीडिया-librairie mollat, CC BY 3.0)

नई दिल्ली: लेखिका झुम्पा लाहिड़ी ने फिलिस्तीनी एकजुटता के प्रतीक ‘केफियेह’ (स्कार्फ) पहनने वाले तीन कर्मचारियों के निकाले जाने के विरोध में अमेरिका के नोगुची संग्रहालय से पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया है.

लाहिड़ी भारतीय मूल की हैं. 1999 में उनकी लघु-कथाओं के सबसे पहले संग्रह, इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़, के लिए उन्हें उस वर्ष पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

बता दें कि जापानी-अमेरिकी डिजाइनर और मूर्तिकार इसामु नोगुची द्वारा लगभग 40 साल पहले स्थापित इस संग्रहालय ने अगस्त में घोषणा की थी कि इसके कर्मचारी अपने कार्य घंटों के दौरान ऐसे कपड़े या सहायक उपकरण नहीं पहन सकते जो ‘राजनीतिक संदेश, नारे या प्रतीक’ व्यक्त करते हों.

इसामु नोगुची पुरस्कार 2014 में स्थापित किया गया था और इसकी वेबसाइट के अनुसार इसे हर साल ‘ऐसे लोगों को प्रदान किया जाता है जो नोगुची की तरह ही नवाचार की भावना, उत्कृष्ट कल्पना और रचनात्मकता के प्रति अडिग प्रतिबद्धता दिखाते हैं.’

इससे पहले इस पुरस्कार विजेताओं में नॉर्मन फोस्टर, डेविड अडजाये, तोशिको मोरी और टाडाओ एंडो के नाम शामिल रहे हैं.

संग्रहालय ने बुधवार (25 सितंबर) को एक बयान में कहा, ‘झुम्पा लाहिड़ी ने हमारी नई पोशाक संहिता नीति के विरोध में 2024 इसामु नोगुची पुरस्कार के लिए अपनी स्वीकृति वापस लेने का फैसला किया है.’

18 सितंबर को संग्रहालय की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक अलग बयान में संग्रहालय के निदेशक एमी हाऊ ने लिखा, ‘यह निर्णय सावधानी से विचार करके लिया गया है और इसका उद्देश्य हमारे विविध आगंतुकों के किसी भी अनजाने अलगाव को रोकना है, साथ ही हमें इसामु नोगुची की कला और विरासत की समझ और मूल्यों को आगे बढ़ाने के हमारे मूल मिशन पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देना है.’

उन्होंने कहा, ‘हम स्वीकार करते हैं कि यह कठिन समय है और हर कोई हमारे दृष्टिकोण से सहमत नहीं होगा.’

केफियेह फिलिस्तीनी एकजुटता के सबसे शांत प्रतीकों में से एक बन गया है और दुनिया भर में इसके समर्थक इसे अपना रहे हैं. जैसा कि अल जज़ीरा ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, रंगभेद विरोधी दक्षिण अफ़्रीकी नेता नेल्सन मंडेला को भी कई मौकों पर स्कार्फ पहने देखा गया था.