बेंगलुरु: वित्त मंत्री पर चुनावी बॉन्ड के ज़रिये वसूली का आरोप, कोर्ट ने मामला दर्ज करने को कहा

बेंगलुरु की अदालत का यह आदेश एक एनजीओ जनाधिकार संघर्ष परिषद के एक्टिविस्ट द्वारा दायर याचिका पर आया है, जिन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर कथित तौर से ईडी का इस्तेमाल कर चुनावी बॉन्ड्स के ज़रिये जबरन वसूली का आरोप लगाया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फोटो साभार: फेसबुक/@nirmala.sitharaman)

नई दिल्ली: बेंगलुरु की एक अदालत ने शुक्रवार (27 सितंबर) को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. उन पर कथित तौर से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का इस्तेमाल कर इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिये जबरन वसूली का आरोप लगाया गया है.

द न्यूज़ मिनट की खबर के मुताबिक, अदालत का ये आदेश एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) जनाधिकार संघर्ष परिषद के सह-अध्यक्ष एक्टिविस्ट आदर्श अय्यर द्वारा दायर याचिका पर दिया गया  है.

मालूम हो कि इस याचिका में जनाधिकार संघर्ष परिषद ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ ही ईडी अधिकारियों, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं, तत्कालीन भाजपा कर्नाटक अध्यक्ष नलिन कुमार कटील, बीवाई विजयेंद्र के खिलाफ भी शिकायत की गई है.

हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या वित्तमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है, और यदि दर्ज की गई, तो क्या पुलिस बिना राष्ट्रपति की मंजूरी के जांच कर सकती है. वहीं, विजयेंद्र के मामले में भी कर्नाटक के राज्यपाल से मंजूरी मिलनी जरूरी है, क्योंकि वो एक विधायक हैं.

गौरतलब है कि चुनावी बॉन्ड योजना 2017 में वित्त अधिनियम के माध्यम से लाई गई थी और फरवरी 2024 में इसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए इसे तत्काल प्रभाव से रद्द करने का आदेश दे दिया था. अदालत ने इसे मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए एसबीआई से बॉन्ड से संबंधित सभी जानकारी चुनाव आयोग को सौंपने और फिर आयोग द्वारा इसे अपनी वेबसाइट पर साझा करने का निर्देश दिया था.

जनाधिकार संघर्ष परिषद की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि वित्त मंत्री ने ईडी, जो वित्त मंत्रालय के तहत काम करती है, और संवैधानिक पदों पर बैठे कई व्यक्तियों के साथ मिलकर साजिश रची, जिसके तहत एल्युमीनियम और तांबे की दिग्गज कंपनियों- वेदांता, स्टरलाइट और अरबिंदो फार्मा पर चुनावी बॉन्ड के जरिये 8,000 करोड़ से अधिक की रकम वसूलने के लिए छापे मारे गए,

ज्ञात हो कि चुनावी बॉन्ड एक तरह का वचन पत्र (promissory note) है, जिसमें दानदाताओं को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के जरिये इन बॉन्ड्स को खरीदने और राजनीतिक दलों को गुमनाम रूप से चंदा देने की अनुमति दी गई थी. इन बॉन्ड्स पर चंदा देने वालों का नाम नहीं होता था और न ही राजनीतिक दलों को इन बॉन्ड्स के स्रोत का खुलासा करने की आवश्यकता होती थी.

उल्लेखनीय है कि अरबिंदो फार्मा के निदेशक और हैदराबाद स्थित व्यवसायी पी. सरथ चंद्र रेड्डी को ईडी ने 11 नवंबर, 2022 को दिल्ली आबकारी मामले में गिरफ्तार किया था. कुछ दिनों बाद 15 नवंबर, 2022 को अरबिंदो फार्मा ने 5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे, जिसे 21 नवंबर को भाजपा द्वारा भुनाया गया.

हालांकि, जून 2023 में पी. सरथ चंद्र रेड्डी के सरकारी गवाह बनने के बाद अरबिंदो फार्मा ने नवंबर 2023 में भाजपा को अतिरिक्त 25 करोड़ रुपये का चंदा दिया. कुल मिलाकर, कंपनी ने 52 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे, जिनमें से 34.5 करोड़ रुपये भाजपा को, 15 करोड़ रुपये भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) को 2.5 करोड़ रुपये दिए गए.