जम्मू-कश्मीर: चुनाव के अंतिम चरण से पहले आतंकी मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी की मौत

अधिकारियों ने बताया कि कठुआ ज़िले में तीन से चार आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद एक तलाशी अभियान शुरू किया गया था, जहां तलाशी दल के सदस्यों पर आतंकियों ने हमला कर दिया.

कांस्टेबल बशीर अहमद को अंतिम विदाई के लिए ले जाते पुलिसकर्मी. (फोटो साभर: एक्स/@ZPHQJammu)

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण से पहले शनिवार (28 सितंबर) को कठुआ जिले में हुई गोलाबारी में जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक हेड कांस्टेबल की मौत हो गई है. वहीं, इस ऑपरेशन में एक आतंकवादी भी मारा गया है.

बता दें कि मंगलवार (1 अक्टूबर) को केंद्रशासित प्रदेश में आखिर चरण का मतदान होना है, जिसमें कठुआ, जम्मू शहर, सांबा और उधमपुर की 24 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे.

द टेलिग्राफ के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद कठुआ में एक अभियान शुरू किया गया था.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी जम्मू क्षेत्र) आनंद जैन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘गांव कोग (मांडली) में चल रहे ऑपरेशन में कठुआ पुलिस के हेड कांस्टेबल बशीर अहमद ने सर्वोच्च बलिदान दिया है, उन्होंने वीरतापूर्वक एक आतंकवादी को मार गिराया, जबकि उनकी चोटों के कारण मौत हो गई. वहीं,  डिप्टी एसपी सुखबीर और एएसआई नियाज़ सहित अन्य अधिकारियों की हालत स्थिर हैं.

एडीजीपी ने आगे बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि इलाके में तीन से चार आतंकवादी छिपे हुए हैं, जिसके बाद ऑपरेशन शुरू किया गया था.

लेकिन जब तलाशी दल उग्रवादियों के पास पहुंचा तो उन पर गोलीबारी शुरू हो गई.

हालांकि अधिकारी के अनुसार, हिंसा मुक्त मतदान सुनिश्चित करने के लिए सभी चुनाव क्षेत्रों में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है.

गौरतलब है कि इससे पहले भी जम्मू-कश्मीर में मौजूदा विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच आतंकियों से जुड़ी घटनाएं सामने आई हैं.

सूबे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से एक दिन पहले 13 सितंबर को जम्मू क्षेत्र की चेनाब घाटी में आतंकवादियों के साथ भीषण गोलीबारी में सेना के दो जवान शहीद हो गए थे.

पिछले महीने 19 अगस्त को जम्मू के उधमपुर जिले में सुरक्षा बलों के गश्ती दल पर संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में केंद्रीय रिजर्व अर्धसैनिक बल (सीआरपीएफ) के एक अधिकारी की मौत हो गई थी.

इससे पहले, 10 अगस्त को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में संदिग्ध आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान दो सैनिक और एक नागरिक मारे गए थे, जबकि 27 जुलाई को उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में एक अन्य आतंकवादी हमले में सेना का एक जवान शहीद हो गया था और एक अधिकारी सहित कम से कम चार और सैनिक घायल हो गए थे.

हालांकि, 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से कश्मीर काफी हद तक शांतिपूर्ण बना हुआ है, लेकिन संघर्ष-संबंधी हिंसा का केंद्र जम्मू क्षेत्र में बन गया है, जहां सशस्त्र बल भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के एक समूह से जूझ रहे हैं, जिन्हें लेकर कुछ अधिकारियों का मानना ​​है कि वे पाकिस्तानी सेना के पूर्व सैनिक हैं, जिन्होंने चिनाब घाटी और पीर पंजाल क्षेत्रों के ऊंचे इलाकों में शरण ली हुई है.

पिछले तीन वर्षों में जम्मू क्षेत्र में आतंकवादियों द्वारा आधा सैकड़ा से अधिक सैन्यकर्मी, जिनमें वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं, मारे गए हैं, जिसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के दावों पर सवाल उठ रहे हैं कि 2019 में दो केंद्र शासित प्रदेशों में विवादास्पद विभाजन के बाद जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल हो गई है.

2021 में तेजी से बढ़े हमले शुरू में पुंछ और राजौरी के जंगली जिलों तक ही सीमित थे. हालांकि, हाल के महीनों में वे डोडा और किश्तवाड़ के चिनाब घाटी जिलों के साथ-साथ कठुआ और उधमपुर जिलों के मैदानी इलाकों में फैल गए हैं, जिससे सुरक्षा प्रतिष्ठान को पूरे जम्मू संभाग में अतिरिक्त बल तैनात करने पड़े हैं.

ज्ञात हो कि म्मू-कश्मीर मं तीन चरणों में मतदान हो रहे हैं और इसके नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे.