नई दिल्ली: केरल फिल्म कर्मचारी संघ (एफईएफकेए) द्वारा कार्यस्थल पर उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों की रिपोर्ट करने में महिलाओं की सहायता के लिए शुरू की गई हेल्पलाइन नंबर के खिलाफ केरल फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स (केएफसीसी) ने सरकार और केरल महिला आयोग के समक्ष याचिका लगाई है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मलयालम फिल्म उद्योग की शीर्ष संस्था ने कहा कि संघ के पास इस तरह का हेल्पलाइन नंबर जारी करने के लिए कानूनी आधार नहीं है, क्योंकि कार्यस्थल पर उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों को प्रत्येक फिल्म स्थान पर स्थापित आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के समक्ष दर्ज कराना होता है.
चैंबर के महासचिव साजी नंथियाट्टू ने बताया कि केरल महिला आयोग की अध्यक्ष के नेतृत्व में एक निगरानी समिति है जो यह सुनिश्चित करती है कि आईसीसी मानदंडों के अनुसार काम कर रही है. उन्होंने बताया कि निगरानी समिति में मलयालम सिनेमा में फिल्म निकायों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जिसमें वीमेन इन सिनेमा कलेक्टिव भी शामिल है.
चैंबर के प्रतिनिधि ने कहा कि एफईएफकेए ने हेल्पलाइन नंबर के संबंध में महिलाओं की पांच सदस्यीय कोर कमेटी बनाई है. लेकिन ऐसी समिति के पास शिकायतें प्राप्त करने और कार्रवाई करने के लिए कानूनी समर्थन का अभाव है, क्योंकि ऐसी शक्तियां आईसीसी और निगरानी समिति के पास ही हैं.
एफईएफकेए के कार्यकारी सचिव सोहन सीनूलाल ने स्पष्ट किया कि हेल्पलाइन नंबर का उद्देश्य उद्योग में काम करने वाली महिलाओं को उनकी शिकायतें दर्ज कराने में मदद करना है.
उन्होंने कहा कि पांच सदस्यीय कोर कमेटी उन्हें बताएगी कि नियमों के अनुसार अपनी शिकायतों को कैसे आगे बढ़ाया जाए. वे पीड़ित व्यक्तियों को परामर्श या अन्य संबंधित सहायता प्राप्त करने में भी मदद करेंगे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जारी हेल्पलाइन नंबर में महिलाएं यौन उत्पीड़न, ड्रेसिंग रूम और बुनियादी सुविधाओं में गोपनीयता की कमी और सेट पर और पोस्ट-प्रोडक्शन के दौरान भोजन परोसने में भेदभाव सहित मुद्दों पर शिकायत दर्ज करा सकती हैं.
एफईएफकेए के महासचिव उन्नीकृष्णन बी. ने कहा कि यह हेल्पलाइन फेडरेशन की महिलाओं की कोर कमेटी द्वारा शुरू की गई है. शिकायतें एसएमएस या वॉट्सऐप मैसेज के माध्यम से दर्ज की जा सकती हैं.
उन्होंने कहा, ‘अभिनेताओं और तकनीशियनों सहित महिलाओं द्वारा की गई शिकायतों को पूरी तरह से कोर कमेटी द्वारा संभाला जाएगा और उनकी गोपनीयता की रक्षा की जाएगी.’
उन्होंने यह भी बताया कि हेल्पलाइन पारिश्रमिक से संबंधित शिकायतों से नहीं निपटेगी क्योंकि उन्हें ट्रेड यूनियन द्वारा संभाला जाएगा.
मालूम हो कि पिछले महीने जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट आने के बाद केरल के मलयालम फिल्म उद्योग में कई नामी हस्तियों और फिल्मकारों पर यौन अपराधों के आरोप लगे हैं. जिनमें अभिनेता और सत्तारूढ़ सीपीआई (एम) के विधायक मुकेश के साथ-साथ अन्य नामी अभिनेता- जयसूर्या, बाबूराज, सिद्दीकी, श्रीकुमार मेनन, निविन पॉली और अन्य के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं.
फिल्म निर्देशक रंजीत पर भी यौन शोषण के आरोपों के बाद मामले दर्ज किए गए थे, जिसके कारण उन्हें केरल चलचित्र अकादमी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
हेमा समिति की रिपोर्ट के आधार पर पहला मामला दर्ज
इस बीच, केरल हाईकोर्ट द्वारा अधिकारियों को हेमा समिति की पूरी रिपोर्ट देखने और उसमें कोई अपराध पाए जाने पर कार्रवाई करने का निर्देश दिए जाने के बाद पुलिस ने एक प्रसिद्ध मेकअप आर्टिस्ट के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिसके कथित यौन दुराचार का उल्लेख मलयालम फिल्म उद्योग में काम करने वाली महिलाओं द्वारा समिति को दी गई गवाही में किया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कोट्टायम जिले के पोनकुन्नम में पुलिस ने कोल्लम की एक महिला के बयान के आधार पर यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया. इसके बाद मामले को विशेष जांच दल को सौंप दिया गया, जिसका गठन रिपोर्ट जारी होने के बाद यौन दुराचार के मामलों की जांच के लिए किया गया था.
पुलिस के अनुसार, एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 354 ए (शारीरिक संपर्क या अवांछित और स्पष्ट रूप से यौन संबंध, यौन संबंधों की मांग या अनुरोध) और 354 डी (पीछा करना) के तहत दर्ज की गई है.
एक अधिकारी ने बताया, ‘यह घटना कथित तौर पर 2014 में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान पोनकुन्नम के एक लॉज में हुई थी. हेमा समिति की रिपोर्ट में घटना का उल्लेख किए जाने के बाद पुलिस ने पीड़िता से संपर्क किया, जो कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार थी. इसलिए, हमने उसका बयान दर्ज किया और मामले की जांच एसआईटी द्वारा की जाएगी.’
मालूम हो कि इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय ने हेमा समिति की रिपोर्ट पर राज्य सरकार की चार साल की निष्क्रियता पर कड़ी फटकार लगाई थी. अदालत ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह रिपोर्ट की एक अप्रकाशित प्रति और सभी संबंधित दस्तावेज एसआईटी को सौंप दे.
अदालत ने कहा था, ‘एसआईटी को अपनी जांच पूरी कर लेनी चाहिए और देखना चाहिए कि क्या कोई अपराध बनता है, चाहे वह संज्ञेय हो या अन्यथा, और फिर कार्रवाई करनी चाहिए. क्या कार्रवाई की गई है, इसकी रिपोर्ट दो सप्ताह में अदालत को देनी होगी.’
एसआईटी अब तक हेमा समिति की रिपोर्ट जारी होने के बाद आए आरोपों और शिकायतों से निपट रही है, लेकिन उन्हें सीधे तौर पर रिपोर्ट की विषय-वस्तु से नहीं लिया गया था.
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद पूरी रिपोर्ट एसआईटी के संज्ञान में आ गई और सोमवार का मामला इसके परिणामस्वरूप दर्ज की गई पहली एफआईआर है.