नई दिल्ली: बलात्कार के मामले में दोषी करार दिए गए डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह जेल से बाहर आने वाले हैं. पिछले नौ महीनों में यह उनकी तीसरी और चार साल में 15वीं अस्थायी रिहाई होगी. पैरोल के दौरान उन्हें हरियाणा में प्रवेश करने या किसी भी चुनाव अभियान गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी.
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरमीत राम रहीम सिंह को पैरोल एक और चुनाव से पहले मिली है, क्योंकि चुनाव आयोग ने सोमवार को उनकी पैरोल याचिका को मंजूरी दे दी है. उन्होंने हरियाणा चुनाव से पहले 20 दिन की पैरोल मांगी थी.
मालूम हो कि ऐसा 5 अक्टूबर को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच हुआ है. इससे पहले भी नगरपालिका या राज्य चुनावों के साथ राम रहीम को फरलो और पैरोल मिलते रहे हैं.
हालांकि, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को व्यक्तिगत रूप से या सोशल मीडिया के माध्यम से किसी भी चुनाव संबंधी गतिविधि में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया है.
उल्लेखनीय है कि बीते 13 अगस्त को 21 दिन की पैरोल मिलने के बाद 2 सितंबर को सुनारिया जेल लौटे राम रहीम को 14 बार अस्थायी रिहाई मिल चुकी है. उनकी पैरोल कुल 259 दिनों की है. इस साल 19 जनवरी को उनकी पैरोल लोकसभा चुनाव से पहले मिली थी.
इस बार हरियाणा में आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण राम रहीम की पैरोल की अर्जी चुनाव आयोग को भेजी गई थी. आयोग ने जेल विभाग से अनुरोध के पीछे आकस्मिक और बाध्यकारी परिस्थितियों की जानकारी मांगी, जो चुनावों के दौरान दोषियों को पैरोल पर रिहा करने को उचित ठहराते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि सीईओ कार्यालय को सोमवार को राज्य सरकार से जवाब मिला, जिसमें डेरा प्रमुख के पिता की पुण्यतिथि, कुछ करीबी लोगों की गंभीर स्वास्थ्य स्थिति और रक्तदान शिविर को राम रहीम की पैरोल याचिका के पीछे के कारणों के रूप में उल्लेख किया गया है.
चूंकि उन्हें हरियाणा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी, इसलिए राम रहीम ने पैरोल अवधि के दौरान उत्तर प्रदेश के बागपत के बरनावा में डेरा आश्रम में रहने की मांग की है.
ज्ञात हो कि राम रहीम को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड का भी दोषी ठहराया गया था. उनके बेटे अंशुल छत्रपति ने चुनाव आयोग से हस्तक्षेप की मांग करते हुए हरियाणा सरकार को डेरा प्रमुख की पैरोल याचिका रद्द करने का निर्देश देने का आग्रह किया है.
अंशुल छत्रपति ला कहना कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान डेरा प्रमुख को पैरोल देना ‘लोकतांत्रिक मूल्यों, निष्पक्ष चुनाव और निष्पक्ष मतदान के अधिकार का उल्लंघन होगा.’ उन्होंने दावा किया कि जेल से बाहर आने के बाद सिंह किसी खास पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए अपने भक्तों को संदेश भेजकर मतदान को प्रभावित कर सकते हैं.
अंशुल ने आगे कहा, ‘सत्ता के भूखे नेता पिछले कई सालों से तथाकथित संत के आगे नतमस्तक हैं और डेरा प्रमुख ने खुद को बचाने के लिए राजनीतिक दलों का पूरा फायदा उठाया है.’
अंशुल के अनुसार, 2020 से डेरा प्रमुख को पहले ही कई बार पैरोल या फरलो दिया जा चुका है, जिससे उन्हें खास तौर पर चुनावों से पहले 255 दिनों के लिए जेल से बाहर रहने में मदद मिली है.
ज्ञात हो कि 2017 में सजा पाए गुरमीत राम रहीम सिंह अपने दो शिष्यों के साथ बलात्कार के लिए 20 साल की सजा काट रहे हैं. उन्हें संप्रदाय के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह की 20 साल पुरानी हत्या के मामले में चार अन्य लोगों के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. उन्हें अपने सह-आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश रचने का दोषी ठहराया गया था. मई में उच्च न्यायालय ने सिंह और चार अन्य को 2002 में रंजीत सिंह की हत्या के मामले में ‘दागी और संदिग्ध’ जांच का हवाला देते हुए बरी कर दिया था.
जनवरी 2019 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरमीत राम रहीम को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. हालांकि, इसके बाद भी वो कई बार पैरोल पर बाहर आते रहे हैं, जिसे लेकर पत्रकार छत्रपति के बेटे नाराज़गी जाहिर करते रहे हैं.