सीबीआई ने छापेमारी के सात साल बाद एनडीटीवी और प्रणय रॉय के ख़िलाफ़ दर्ज केस बंद किया

सीबीआई ने एनडीटीवी, प्रणय रॉय, राधिका रॉय और अन्य के ख़िलाफ़ 2017 में दर्ज मामला बंद कर दिया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक को 48 करोड़ रुपये से अधिक का जानबूझकर नुकसान पहुंचाया.

एनडीटीवी के संस्थापक प्रणय रॉय.

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने नई दिल्ली टेलीविज़न (एनडीटीवी), प्रणय रॉय, राधिका रॉय और अन्य के खिलाफ 2017 में दर्ज मामला बंद कर दिया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक को 48 करोड़ रुपये से अधिक का जानबूझकर नुकसान पहुंचाया.

एक सूत्र ने द वायर को बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने सबूतों के अभाव में मामला बंद किया है.

ज्ञात हो कि एक निजी व्यक्ति- क्वांटम सिक्योरिटीज के संजय दत्त – की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने रॉय के खिलाफ अपनी जांच शुरू की थी और मई 2017 में दिल्ली और देहरादून में उनके आवासीय परिसरों की तलाशी ली थी.

उस समय प्रमुख जांच एजेंसी के पूर्व अधिकारियों ने इस तथ्य को असामान्य और अनियमित बताया था कि सीबीआई ने मामले में एक निजी शिकायत का संज्ञान लिया था, जबकि आईसीआईसीआई बैंक ने अलग से कोई शिकायत दर्ज नहीं की थी.

सीबीआई की छापेमारी के बाद पत्रकारों और विपक्ष ने विरोध प्रदर्शन किया था, जिन्होंने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला माना था. उस समय एनडीटीवी को भारत का एकमात्र टेलीविजन समाचार चैनल माना जाता था, जो मोदी सरकार की आलोचना करता था.

इस मामले में रॉय दंपत्ति को सीबीआई द्वारा 2022 तक तलब किया गया था और उनसे पूछताछ भू हुई थी. इसी दौरान चैनल कारोबारी गौतम अडानी के अडानी समूह द्वारा अधिग्रहण की दिशा में आगे बढ़ रहा था.

दिलचस्प बात यह है कि साल 2009 में एनडीटीवी और रॉय द्वारा विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (वीसीपीएल) से लिया गया लोन भी सीबीआई जांच के दायरे में था. उस समय यह रिलायंस की एक इकाई थी, जिसे अडानी समूह ने चैनल को खरीदने के लिए खरीदा था. सीबीआई ने आरोप लगाया कि वीसीपीएल ऋण का इस्तेमाल चैनल द्वारा आईसीआईसीआई बैंक से लिए गए पहले के ऋण को बंद करने के लिए किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप बैंक को 48 करोड़ रुपये का कथित नुकसान हुआ.

सीबीआई की 2017 की कार्रवाई के तुरंत बाद एक बयान में एनडीटीवी ने एजेंसी पर पुराने अंतहीन झूठे आरोपों के आधार पर एनडीटीवी और उसके प्रमोटरों के सुनियोजित उत्पीड़न का आरोप लगाया था.

चैनल के बयान में कहा गया था, ‘एनडीटीवी और इसके प्रमोटर कई एजेंसियों द्वारा की जा रही इस धरपकड़ के खिलाफ अथक संघर्ष करेंगे. हम भारत में लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कमज़ोर करने के इन प्रयासों के आगे नहीं झुकेंगे. भारत की संस्थाओं और इसके लिए काम करने वाली हर चीज़ को नष्ट करने की कोशिश करने वालों को हमारा एक ही संदेश है: हम अपने देश के लिए लड़ेंगे और इन ताकतों पर काबू पाएंगे.’

इसके बाद अडानी समूह द्वारा एनडीटीवी का अधिग्रहण भारत और विदेशों में ‘स्वतंत्र मीडिया के लिए एक बड़ा झटका’ के रूप में देखा गया था.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)