नई दिल्ली: जलवायु एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक और उनके साथ मार्च कर रहे सैकड़ों कार्यकर्ताओं को सोमवार (30 सितंबर) की रात दिल्ली से पहले सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में लेने के बाद वांगचुक ने उपवास शुरू किया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया कि वांगचुक और अन्य हिरासत में लिए गए लोगों को मंगलवार (1 अक्टूबर) की रात पुलिस द्वारा जाने की अनुमति दे दी गई थी, लेकिन वे मध्य दिल्ली की ओर मार्च करने पर अड़े थे, जिसके चलते उन्हें दोबारा हिरासत में ले लिया गया.
इस बीच, सोनम वांगचुक के साथ अन्य समर्थकों ने पुलिस हिरासत में ही मंगलवार से अनिश्चितकालिन उपवास शुरू कर दिया है. वांगचुक को कुछ अन्य लोगों के साथ बवाना पुलिस स्टेशन में रखा गया है, जबकि अन्य को नरेला औद्योगिक क्षेत्र, अलीपुर और कंझावला थानों में रखा गया है.
वांगचुक और उनके साथ आए लोगों को दिल्ली पुलिस ने सोमवार रात सिंघू सीमा पर निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में हिरासत में लिया गया था.
मंगलवार को लद्दाख के सांसद मोहम्मद हनीफा को भी दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जब वे सिंघू बार्डर पर पहुंचे.
खबरों के अनुसार, सांसद ने कहा कि हर कोई जानता है कि लद्दाख पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार के साथ कैसे बातचीत कर रहा है. पिछले 3 सालों से हम अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक लड़ रहे थे. इसके लिए हमने सरकार से बातचीत भी की थी, लेकिन लोकसभा चुनाव और नई सरकार के गठन के बाद उन्होंने बातचीत बंद कर दी.
रिपोर्ट के मुताबिक, वांगचुक और अन्य को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिकाएं भी दाखिल की गई हैं. इसे तीन अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.
याचिका में 30 सितंबर को दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 निषेधाज्ञा आदेश को भी रद्द करने की भी मांग की गई है, जो दिल्ली के कुछ हिस्सों में पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाता है.
ज्ञात हो कि कार्यकर्ताओं, नागरिक समाज समूहों और राजनेताओं ने वांगचुक और अन्य की हिरासत को ‘अवैध’, ‘अनैतिक’ और ‘अघोषित आपातकाल’ बताते हुए इनकी तत्काल रिहाई की मांग की है. साथ ही राजधानी में निषेधात्मक आदेश को लोकतंत्र और संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ बताया है.
मालूम हो कि वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर दिल्ली के लिए पदयात्रा कर रहे थे. लेह से एक सितंबर को शुरू हुई ये यात्रा क़रीब एक हज़ार किलोमीटर लंबी थी और तय कार्यक्रम के अनुसार उन्हें दो अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन बापू की समाधि पहुंचना था. लेकिन उससे पहले ही पुलिस ने इस मार्च को रोक दिया और इन लोगों को हिरासत में ले लिया गया.
सोमवार की रात खुद सोनम वांगचुक ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर अपने हिरासत में लिए जाने की सूचना दी. उन्होंने यह भी बताया था कि उनके साथ पदयात्रियों में 80 साल से ज़्यादा उम्र के बुज़ुर्ग भी हैं. इसमें महिलाएं भी शामिल हैं. इसके साथ कुछ दर्जन सेना से रिटायर्ड लोग भी हैं.
लद्दाख में प्रदर्शन
इस बीच, लेह में मंगलवार को भारी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला, जहां भारी संख्या में लोगों ने एकत्र होकर पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग वाले नारे लगाए. करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) और एपेक्स बॉडी, लेह ने पूरे लद्दाख में बंद का आह्वान भी किया था.
इस बीच लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) के सह-संयोजक चेरिंग दोर्जे लाक्रुक ने द हिंदू को बताया कि वह सोनम वांगचुक और अन्य शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के साथ किए गए व्यवहार से ‘स्तब्ध’ हैं. ये सभी लोग कठिन चट्टानी और पहाड़ी इलाकों को पार करते हुए दिल्ली पहुंचे हैं.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सदस्य लाक्रुक ने आगे कहा, ‘हमारे लोगों को इतनी गर्मी में चलने की आदत नहीं है, उनके पैरों में छाले हैं. जैसे ही वे सोमवार को दिल्ली पहुंचे, उन्हें हिरासत में ले लिया गया और एक पुलिस स्टेशन ले जाया गया, फर्श पर सुलाया गया.’
उन्होंने कहा कि लद्दाखी अपना विरोध प्रदर्शन तेज करेंगे और मांग करेंगे कि गृह मंत्रालय उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए 2023 में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति के साथ बातचीत फिर से शुरू करे.
लाक्रुक ने बताया, ‘मार्च शुरू होने के बाद से हिंसा की एक भी शिकायत दर्ज नहीं की गई है. इसे अन्य राज्यों के लोगों से भारी समर्थन मिला है. सरकार शायद इस बात से चिंता में थी कि दिल्ली में इसे और भारी समर्थन मिल सकता है और लोग बड़ी संख्या में हमारे साथ आएंगे, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की संभावना होगी, इसीलिए उन्होंने पदयात्रा को इस तरह से छोटा कर दिया. पूरा लद्दाख आज सड़कों पर है, वे गुस्से में हैं.’
विपक्ष ने क्या कहा?
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोनम वांगचुक को बापू की समाधि पर आने से रोकने को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक मार्च कर रहे सोनम वांगचुक और सैकड़ों लद्दाख के लोगों की हिरासत अस्वीकार्य है. लद्दाख के भविष्य के लिए आवाज़ उठाने वाले बुजुर्ग नागरिकों को दिल्ली की सीमा पर हिरासत में क्यों लिया जा रहा है?’
राहुल गांधी ने आगे लिखा, ‘मोदी जी, किसानों की तरह ये ‘चक्रव्यूह’ और आपका अहंकार भी टूटेगा. आपको लद्दाख की आवाज़ सुननी ही पड़ेगी.’
The detention of Sonam Wangchuk ji and hundreds of Ladakhis peacefully marching for environmental and constitutional rights is unacceptable.
Why are elderly citizens being detained at Delhi’s border for standing up for Ladakh’s future?
Modi ji, like with the farmers, this…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 30, 2024
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि जो लोग शांति से डरते हैं वो लोग अंदर से डरे हुए होते हैं.
उन्होंने लिखा, ‘भाजपा सरकार पर्यावरण रक्षक और लद्दाख हितैषी सोनम वांगचुक जी की शांतिपूर्ण दिल्ली यात्रा को बाधित करके कुछ भी हासिल नहीं कर सकती. केंद्र अगर सरहद की आवाज नहीं सुनेगा तो उसकी राजनीतिक श्रवणहीनता कहलाएगी.’
जो लोग शांति से डरते हैं, वो अंदर से डरे हुए लोग होते हैं। भाजपा सरकार पर्यावरण रक्षक व लद्दाख हितैषी सोनम वांगचुक जी की शांतिपूर्ण दिल्ली यात्रा को बाधित करके कुछ भी हासिल नहीं कर सकती।
केंद्र अगर सरहद की आवाज़ नहीं सुनेगा तो ये उसकी राजनीतिक श्रवणहीनता कहलाएगी।… pic.twitter.com/Xywe3mnjJw
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 1, 2024
मंगलवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी सोनम वांगचुक से मिलने पहंची थीं, लेकिन उन्हें पुलिस द्वारा रोक दिया गया.
इससे पहले आतिशी ने एक्स पर लिखा है, ‘सोनम वांगचुक और हमारे 150 लद्दाखी भाई-बहन शांतिपूर्ण तरीक़े से दिल्ली आ रहे थे. उनको पुलिस ने रोक लिया है. कल रात से बवाना थाने में क़ैद हैं. क्या लद्दाख के लिए लोकतांत्रिक अधिकार मांगना ग़लत है? क्या दो अक्टूबर को सत्याग्रहियों का गांधी समाधि जाना ग़लत है? सोनम वांगचुक जी को रोकना तानाशाही है.’
सोनम वांगचुक और हमारे 150 लद्दाखी भाई-बहन शांतिपूर्ण तरीक़े से दिल्ली आ रहे थे। उनको पुलिस ने रोक लिया है। कल रात से बवाना थाने में क़ैद हैं।
क्या लद्दाख के लोकतांत्रिक अधिकार माँगना ग़लत है? क्या 2 अक्तूबर को सत्याग्रहियों का गांधी समाधि जाना ग़लत है?
सोनम वांगचुक जी को रोकना… https://t.co/Nr9LVoiM7a
— Atishi (@AtishiAAP) October 1, 2024
गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को भारतीय संसद ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करते हुए जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त कर दिया था. जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग करते हुए तब दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था.
सोनम वांगचुक ने 1 सितंबर, 2024 को लेह से ‘दिल्ली चलो’ पदयात्रा शुरू की थी. इस पदयात्रा का मकसद लद्दाख को राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल कराना है.
इस संबंध में एलएबी सदस्य अशरफ अली ने दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह लोकतंत्र के चेहरे पर एक तमाचा है… हम इस बात से आहत हैं कि यहां (दिल्ली) पहुंचने के बाद उन्होंने हमारे लोगों को हिरासत में ले लिया. यह गैरकानूनी और असंवैधानिक है. पुलिस ने डूसू चुनाव नतीजे, वक्फ संशोधन कानून का हवाला दिया है. हरियाणा चुनाव आदि के लिए निषेधाज्ञा जारी करने को कहा गया है, लेकिन हम देख सकते हैं कि दिल्ली में शांति है. उन्होंने आधारहीन रिपोर्टों के आधार पर हमारे लोगों को हिरासत में लिया है. यहां तक कि हमारे सांसद को भी हिरासत में लिया गया, हम हैरान हैं कि भारत जैसे लोकतंत्र में ऐसी चीजें हो सकती हैं.’
उल्लेखनीय है कि ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ का आयोजन लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) द्वारा किया गया था, जो करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के साथ मिलकर पिछले चार वर्षों से राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची के विस्तार, लद्दाख के लिए लोक सेवा आयोग के साथ शीघ्र भर्ती प्रक्रिया और लेह तथा करगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटों की मांग को लेकर संयुक्त रूप से आंदोलन चला रहा है.