नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के हाथरस में भगदड़ में 121 लोगों की मौत के तीन महीने बाद राज्य पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट में नारायण साकार हरि उर्फ ’भोले बाबा’ का नाम नहीं है, जो स्वयंभू संत हैं और जिन्होंने भगदड़ वाली जगह पर एक समागम का आयोजन किया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, चार्जशीट में दो महिलाओं समेत 11 आरोपियों के नाम हैं, लेकिन नारायण साकार हरि का नाम आरोपी के तौर पर नहीं है.
घटना के बाद मामले से संबंधित एफआईआर में हरि का नाम नहीं लिया गया था, जिसमें कई आरोप लगाए गए थे, जिनमें गैर इरादतन हत्या भी प्रमुख थी. मामले में दर्ज एफआईआर में एक आरोपी, कार्यक्रम के मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य अज्ञात आयोजकों को नामजद किया गया था.
मंगलवार (1 अक्टूबर) को कानूनी प्रक्रिया के तहत मधुकर समेत 10 आरोपियों को अलीगढ़ जिला जेल से हाथरस जिला अदालत लाया गया था. बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह ने कहा, ‘अदालत द्वारा आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के बाद मुकदमा शुरू हो जाएगा.’
बता दें कि त्रासदी के बाद स्वयंभू बाबा ने कहा था कि वह ‘हाथरस में हुई भगदड़ से बहुत परेशान हैं लेकिन जो नियति में लिखा है उसे कोई नहीं टाल सकता, एक दिन तो सभी को मरना ही है.’
अखबार के अनुसार, एसआईटी रिपोर्ट में भी हाथरस कांड में बाबा की भूमिका पर सवाल नहीं उठाया गया. इस मामले में 2 जुलाई को बीएनएस धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 126(2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा दिए गए आदेश की अवज्ञा) और 238 (साक्ष्यों को गायब करना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
ज्ञात हो कि पुलिस सहित सरकारी एजेंसियों ने इस त्रासदी के लिए आयोजकों द्वारा ‘कुप्रबंधन’ को जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भीड़ की संख्या 2.5 लाख से अधिक थी, जो अनुमत 80,000 से अधिक थी.
‘भोले बाबा’ के वकील ने यह भी दावा किया कि भगदड़ ‘कुछ अज्ञात लोगों’ द्वारा किसी जहरीले पदार्थ के छिड़काव के कारण हुई थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर में दो आरोपी महिलाओं – मंजू देवी और मंजू यादव – को सशर्त अंतरिम जमानत दी थी, जबकि शेष नौ आरोपी अभी भी हिरासत में हैं.