दिल्ली: ईडी ने ज़ब्त किए फार्महाउस में खोला ज़ोनल कार्यालय, सरकारी बैंक ने संपत्ति पर दावा ठोंका

दिल्ली के रजोकरी इलाके के एक फार्महाउस में ईडी का आंचलिक कार्यालय चल रहा है, जो इसके द्वारा ज़ब्त की गई संपत्ति है. अब यूनियन बैंक ने एजेंसी के दावे को चुनौती देते हुए कहा है कि यह फॉर्महाउस एक लोन डिफॉल्ट केस में उसके पास गिरवी था, इसलिए संपत्ति पर उसका हक़ है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: एक मीडिया रिपोर्ट में सामने आया है कि कि बीते दो सालों से दक्षिणी दिल्ली के रजोकरी फार्म नंबर 22 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) गुरुग्राम जोन का कार्यालय चल रहा है, वह इसके द्वारा ज़ब्त की गई संपत्ति है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उक्त फॉर्म हाउस के बाहर मुख्य द्वार पर ईडी के इस दफ्तर का बड़ा-सा बोर्ड भी लगा है. हालांकि अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक- यूनियन बैंक द्वारा ईडी की इस जब्ती को अदालत में चुनौती दी गई है.

बैंक का कहना है कि इस संपत्ति पर उसका हक़ है, क्योंकि ये उसके पास गिरवी रखी गई थी.

बताया गया है कि यह फॉर्म हाउस एक दिवंगत रियल एस्टेट एजेंट अतुल बंसल का था. उन्होंने 2004 में इसे खरीदा था और 2012 में इसे बाकी संपत्ति के साथ 111 करोड़ में गिरवी रख दिया था. 2017 में लोन देने वाले यूनियन बैंक ने इसे कब्जे में ले लिया, जिसे अतुल बंसल की कंपनी ‘विजडम रियलटर्स’ ने चुनौती दी थी.

2019 में बैंक को पता चला कि ईडी द्वारा भी अतुल बंसल को मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस में आरोपी बनाया गया था और ईडी ने अतुल बंसल की संपत्ति पहले ही कुर्क कर उसे जब्त कर लिया था, जबकि बैंक का दावा है कि यह फॉर्म हाउस उसके पास गिरवी था.

फिलहाल ये मामला ऋण वसूली न्यायाधिकरण (Debt Recovery Tribunal) से होता हुआ दिल्ली हाईकोर्ट और अब पंचकुला कोर्ट पहुंच गया है.

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के वकील आलोक कुमार का कहना है कि उनका मकसद बैंक का पैसा वसूल करना है और यह उद्देश्य इस तथ्य से विफल हो जाता है कि कुर्की या जब्ती के बावजूद ईडी ने न तो संपत्ति बैंक को सौंपी है और न ही सार्वजनिक धन वसूलने के लिए इसकी नीलामी की, जिसके चलते यह प्रॉपर्टी एनपीए में बदल गई है.

वहीं, इस मामले में ईडी के अधिकारियों का कहना है कि पीएमएलए की धारा 9 के प्रावधानों के तहत ‘जब्त की गई ऐसी संपत्तियां केंद्र सरकार के पास रहती हैं.’ उसने 12 सितंबर, 2023 को वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक राजपत्रित अधिसूचना का भी हवाला दिया, जिसने ईडी के विशेष निदेशकों को जब्त की गई संपत्ति के प्रबंधन और निपटान आदि के लिए प्रशासक (Administrators) के रूप में कार्य करने की शक्तियां दी थी.

हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अधिसूचना में यह नहीं कहा गया है कि ईडी जब्त की हुई संपत्ति को दफ्तर की तरह इस्तेमाल कर सकती है. इन्हें ऐसे उपयोग में लिया जा सकता जैसा विभाग चाहता है. हम तो बस उस समय तक इस फार्महाउस को इस्तेमाल कर रहे हैं ,  जब तक इस संपत्ति का कुछ निपटान नहीं हो जाता.’

नई दिल्ली में ईडी उच्च अधिकारियों ने बताया कि रजोकरी फार्महाउस उन तीन संपत्तियों में से एक हैं, जिनमें ईडी के कुछ दफ्तर काम कर रहे हैं. अन्य दो संपत्तियां रांची और मुंबई में हैं.

अखबार के मुताबिक, दिल्ली के रजोकरी में चारों ओर से पेड़ों से घिरा यह फॉर्म हाउस 2.5 एकड़ में फैला हुआ है और यहां करीब 100 से ज्यादा ईडी कर्मचारी काम करते हैं. बताया गया है कि वहां जब्त की हुई करीब 40 कारें भी हैं, जिनकी हालत काफी खराब है. अख़बार के मुताबिक, इनमें से कुछ कारों की कीमत एक करोड़ रुपये से ज्यादा की बताई जा रही है.

गाड़ियों के संबंध में जब ईडी अधिकारियों से अखबार ने सवाल पूछा तो उन्होंने बताया कि जब नई दिल्ली के ईडी मुख्यालय में जब्त की गई गाड़ियों को रखने में  परेशानी हुई, तो उन कारों को इस बड़े ईडी कार्यालय में ले आया गया. यहां कारों के लिए एक यार्ड के अलावा, एक बड़ा लिविंग रूम भी है जिसे ईडी द्वारा एजेंसी के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस आलीशान फार्म हाउस के अंदर एक स्वीमिंग पूल है, जो पूरा खाली पड़ा है. यहां बेकार पड़ चुका फर्नीचर रखा गया है.

फार्महाउस में काम करने वाले ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अख़बार से कहा, ‘सही तो यह होता कि गुरुग्राम का आंचलिक कार्यालय वहीं हो. अगर हमें कोई विकल्प मिलता है तो शायद इस फार्महाउस को ईडी ट्रेनिंग सेंटर के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है. इस संपत्ति का इस्तेमाल जोनल ऑफिस के तौर पर करने से ये तो हुआ है कि इसकी साज-संभाल हो रही है और कुछ ख़राब नहीं हो रहा.’